Delhi Meerut Rapid Rail: देश की पहली रैपिड रेल जल्द दौड़ेगी, यहां जानें सब कुछ
Delhi Meerut Ghaziabad Rapid Metro भारत की पहली रेपिड रेल बनकर तैयार हो गई है। लोग अब इसकी जल्दी ही सवारी करते दिखेंगे। ट्रेन का जल्दी ही ट्रायल किया जाएगा। दिसंबर 2023 में ट्रेन में यात्री सफर का आनंद ले सकेंगे।
By Geetarjun GautamEdited By: Updated: Mon, 11 Jul 2022 07:01 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। देश की पहली रैपिड रेल का बड़ी उत्सुकता के साथ इंतजार किया जा रहा है। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीसी) कारिडोर का निर्माण दिल्ली गाजियाबाद मेरठ के बीच हो रहा है, जिसकी लंबाई 82 है। ट्रेन का इस साल नवंबर के अंत तक ट्रायल शुरू हो जाएगा।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी, NCRTC) अगले साल 2023 से रैपिड ट्रेन का परिचालन शुरू कर देगा। इस कारिडोर में तीन खंड हैं। प्राथमिक खंड में दुहाई से साहिबाबाद का 17 किलोमीटर का क्षेत्र आता है, यहां मार्च 2023 में रैपिड ट्रेन का परिचालन शुरू होना है। 2025 तक पूरी तरह से परिचालन शुरू करने का लक्ष्य है।
मुख्य बातें आठ मार्च 2019 को आरआरटीएस कारिडोर का शिलान्यास किया गया।
जून 2019 में सिविल निर्माण का कार्य शुरू किया गया।एक कोच में 75 यात्री बैठकर सफर कर सकेंगे।एक कोच में अधिकतम 400 यात्री सफर कर सकेंगे।आपातकालीन स्थिति में रैपिड ट्रेन से मरीज को स्ट्रैचर पर अस्पताल ले जाया जा सकेगा।
यात्रियों के लिए सुविधाएं अधिकतम 180 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। औसतन 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ेगी।ट्रेन में छह कोच होंगे, इनमें से एक कोच महिलाओं के लिए आरक्षित होगा।ट्रेन के अंदर एक बिजनेस क्लास कोच होगा, जिसमें खान-पान का सामान भी मिलेगा। इसमें दायें-बायें दो-दो सीट बैठने के लिए होंगी।
ट्रेन में सीट के पास ही मोबाइल चार्जिंग की सुविधा होगी। यात्रियों को ट्रेन के अंदर वाई-फाई सुविधा उपलब्ध होगी।ट्रेन में सामान रखने के लिए अलग से रैक लगी मिलेगी। आपातकालीन स्थिति में ट्रेन के अंदर स्ट्रेचर पर मरीज को ले जा सकेंगे।दिल्ली-मेरठ के बीच ट्रेन 5 से 10 मिनट के बीच मिला करेगी। इससे दिल्ली-मेरठ के बीच की दूरी 55 मिनट की रह जाएगी। वहीं, करीब 8 लाख यात्री रोजाना यात्रा कर सकेंगे।
रैपिड रेल के बारे में खास बातें रैपिड रेल आकर्षक और आधुनिक डिजाइन के साथ बनाई गई है। इसमें रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम है, जिससे बिजली पैदा होगी। रेल पूरी तरह से स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी), स्वचालित ट्रेन नियंत्रण (एटीसी) व स्वचालित ट्रेन संचालन (एटीओ) से संपन्न है।
एनसीआर परिवहन निगम ने डॉयचे बान (डीबी) इंडिया के साथ ट्रेन के परिचालन और रखरखाव के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता 12 साल के लिए किया गया है।विश्व के कई देशों में यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ईटीसीएस) के हाइब्रिड लेवल-दो व तीन का उपयोग किया जा रहा है जो सबसे उन्नत सिग्नलिंग और ट्रेन कंट्रोलिंग सिस्टम में से एक है। यह एक रेडियो टेक्नोलाजी आधारित सिग्नलिंग प्रणाली है, जिसमें निरंतर नियंत्रण और पर्यवेक्षण के माध्यम से न केवल ट्रेन की गति की जानकारी रखी जा सकती है, बल्कि यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए आवश्यकतानुसार उसमें बदलाव भी किए जा सकते हैं।
रैपिड रेल कारिडोर के लिए भी इस तकनीक का प्रयोग होगा, लेकिन नई बात यह है कि इसमें लांग टर्म इवोल्यूशन (एलटीई) को भी जोड़ दिया गया है। मोबाइल का 4जी नेटवर्क भी एलटीई के सहारे चलता है। इस तरह का प्रयोग दुनिया में पहली बार हो रहा है।विश्व में पहली बार रेल संचालन के रेडियो नेटवर्क में एलटीई, ईटीसीएस, डिजिटल इंटरलाकिंग और स्वचालित ट्रेन आपरेशन (एटीओ) को एक-दूसरे से जोड़ा जा रहा है। इससे ट्रेन की हाई फ्रीक्वेंसी, बेहतर हेडवे और थ्रूपुट को बढ़ाने में यह प्रणाली सक्षम हो जाएगी।
रैपिड ट्रेन में दो तरह के कोच हैं, एक प्रीमियम और दूसरा स्टेंडर्ड। तो यहां व्यवस्था कायम करने के लिए प्लेटफार्म पर भी एएफसी गेट रहेगा। कानकोर्स लेवल पर तो हर यात्री को अपनी टिकट का क्यू आर कोड स्कैन करना ही है। प्रीमियम कोच के यात्रियों को प्लेटफार्म पर दोबारा भी ऐसा करना होगा।ट्रेन के भीतर भी प्रीमियम कोच में दरवाजे लगे होंगे। मतलब, स्टेंडर्ड कोच के यात्री इसी श्रेणी के दूसरे कोच में तो आ जा सकेंगे, लेकिन प्रीमियम कोच में प्रवेश नहीं पा सकेंगे।
82 किमी लंबे रैपिड रेल कारिडोर का 68 किमी का हिस्सा उत्तर प्रदेश में है, जबकि 14 किमी का हिस्सा दिल्ली में है। दिल्ली से मेरठ तक 25 स्टेशन हैं, जिनमें सराय काले खां, न्यू अशोक नगर और आनंद विहार तीन स्टेशन दिल्ली में हैं, जबकि बाकी स्टेशन उत्तर प्रदेश में हैं।ये भी पढ़ें- Gurugram Sohna Expressway : गुरुग्राम से सोहना तक फर्राटा भरेंगे वाहन, डेढ़ घंटे का सफर अब महज 20 मिनट में पूरा
देश में अन्य मेट्रो प्रणालियों की तुलना में आरआरटीएस की टनल को 6.5 मी. व्यास का बनाया जा रहा है, जोकि अन्य रेल नेटवर्क से बड़ा आकार है। ये 6.5 मी. व्यास की टनल ट्रेनों की गति अधिक होने के कारण यात्रियों को होने वाली असुविधा को कम करने में सहायता प्रदान करेंगी।
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