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दिल्ली-NCR के 25 लाख से अधिक लोगों को राहत, हड़ताल पर HC की रोक; चल रही मेट्रो

दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) कर्मचारी यूनियन ने वेतन वृद्धि व अन्य मांगों को लेकर 30 जून से हड़ताल करने की चेतावनी दी है।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 30 Jun 2018 09:45 AM (IST)
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दिल्ली-NCR के 25 लाख से अधिक लोगों को राहत, हड़ताल पर HC की रोक; चल रही मेट्रो

नई दिल्ली (जेएनएन)। हाई कोर्ट सेे दिल्ली-एनसीआर के लोगों को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) के हजारों कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने नोटिस जारी कर हड़ताली कर्माचारियों से भी जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई अब 6 जुलाई को होगी।

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने माना कि दिल्ली मेट्रो वर्तमान समय में दिल्ली की लाइफ लाइन बन चुकी है और ये जनसेवा के आधार पर चलती है। इसके रुक जाने से करीब दिल्ली की एक चौथाई आबादी पर असर होगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर आदेश के बावजूद भी मेट्रो कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो उन पर अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाएगा। हाई कोर्ट के इस फैसले से उन 25 लाख यात्रियों को राहत मिलेगी जो रोजाना मेट्रो से सफर करते है।

समझौता नहीं हुआ 

ज्ञात हो कि दिल्ली मेट्रो के 9 हजार कर्मचारी 30 जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की जिद पर अड़ गए थे। कर्मचारी यूनियन की मेट्रो प्रशासन से कई मीटिंग भी हुई लेकिन दोनों पक्षो में समझौता होता नहीं दिखा। इसके बाद शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति विपिन सांघी की पीठ में याचिका दायर कर सुनवाई की अपील की गई। मामला आम नागरिकों से जुड़ा होने के कारण पीठ ने याचिका को तुरंत स्वीकार कर लिया।

जनता पर बुरा असर होगा

सुनवाई के दौरान दिल्ली मेट्रो की तरफ से अधिवक्ता कुणाल शर्मा, पुनीत गर्ग ने दलील दी कि कर्मचारियों की मांगों से जुड़ा मामला बातचीत के दौर में है इसे आपसी बातचीत से सुलझाया जा सकता है, लेकिन जिस तरीके से लगातार हड़ताल की धमकी दी जा रही है। उससे दिल्ली की जनता पर बहुत बुरा असर होगा, क्योंकि रोजाना करीब 25 लाख यात्री दिल्ली मेट्रो का प्रयोग करते है। मेट्रो अब दिल्ली की लाइफ लाइन बन चुकी है। अगर हड़ताल होती है तो काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। कर्मचारियों की मांगों से जुड़ा मामला लेबर कमिश्नर के पास भी लंबित है।

6 जुलाई तक जवाब देने का आदेश

डीएमआरसी ने दिल्ली हाई कोर्ट में दलील दी कि कर्मचारियों से जुड़ी कुछ मांगो को मान लिया गया था। इस पर 23 जुलाई तक फैसला किया जाना था। इसी बीच कर्मचारियों ने नई मांगें रख दीं। मामले की गंभीरता और लाखों लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने दिल्ली मेट्रो कर्मचारियों की हड़ताल पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी और यूनियन को 6 जुलाई तक जवाब देने के आदेश दिए।

सबसे बड़ी मांग वेतन बढ़ोतरी की

डीएमआरसी कर्मचारी यूनियन के महासचिव महावीर प्रसाद ने कहा कि पिछले साल डीएमआरसी ने जिन मांगों को पूरा करने के लिए आश्वासन दिया था वे अभी तक पूरी नहीं की गईं। कर्मचारियों को पांच साल पर पदोन्नति देने का प्रावधान है, लेकिन कर्मचारी 10 साल से एक ही पद पर काम कर रहे हैं। ग्रेड वेतनमान 13,500-25,520 रुपये का ग्रेड वेतनमान 14,000-26,950 रुपये में विलय किया जाएगा। ऐसा नहीं हुआ। कई कर्मचारी इससे भी उच्च वेतनमान की मांग कर रहे हैं।

19 जून से जारी है कर्मचारियों का प्रदर्शन

यूनियन के पदाधिकारी डीएमआरसी से यूनियन को मान्यता देने की भी मांग कर रहे हैं, जबकि डीएमआरसी इसके लिए तैयार नहीं है। गैर कार्यपालक कर्मचारियों की श्रेणी में मेट्रो ट्रेन चालक, स्टेशन कंट्रोलर, तकनीकी कर्मचारी व रखरखाव से संबंधित कर्मचारी शामिल हैं। वे अधिकारियों को मिलने वाली कई तरह की सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। इसलिए 19 जून से वे कई स्टेशनों पर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

25 लाख से अधिक लोग मेट्रो से करते हैं रोजाना सफर

बता दें कि दिल्ली मेट्रो के जरिये करीब 25 लाख लोग रोजाना यात्रा करते हैं। इन यात्रियों में केवल दिल्ली के ही नहीं, बल्कि हरियाणा (गुरुग्राम, फरीदाबाद व बहादुरगढ़) और यूपी (नोएडा व गाजियाबाद) के मेट्रो यात्री भी शामिल हैं। वहीं, हड़ताल पर जाने के मुद्दे पर दिल्ली मेट्रो के प्रवक्ता का कहना है कि कर्मचारियों की कुछ एचआर संबंधी समस्याएं हैं। हमें उम्मीद हैं कि इन्हें जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। 

पहले भी बन चुके हैं ऐसे हालात 

इससे पहले जुलाई, 2017 में भी ऐसी परिस्थिति आ गई थी, जब उसके नॉन-एग्जिक्यूटिव स्टाफ ने इसी तरह की मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी। हालांकि, आखिरी समय पर डीएमआरसी प्रबंधन और स्टाफ काउंसिल की बैठकों के बाद मसला टल गया था। यहां पर याद दिला दें कि डीएमआरसी के कर्मचारी पिछले कई दिनों से लगातार अलग-अलग मेट्रो स्टेशनों पर हाथ पर काली पट्टी बांधकर धरना दे रहे हैं। इनमें ट्रेन ऑपरेटर्स, स्टेशन कंट्रोलर, तकनीशियन, ऑपरेशन स्टाफ व अन्य स्टाफ शामिल है।

बसों की है कमी 

अगर हड़ताल हुई तो दिल्ली सरकार भी परेशानी में आ सकती है, क्योंकि मेट्रो ट्रेनों के नहीं चलने से ज्यादा से ज्यादा यात्री सार्वजनिक वाहन यानी बसों की तरफ भागेंगे। ऐसे में दिल्ली परिवहन निगम (DTC) नाकाम ही साबित होगा, क्योंकि उसके पास बसों की काफी कमी है। 

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