Delhi Murder: क्या है नार्को टेस्ट, जिससे खुलेंगे आफताब के सीने में दफन Shraddha Walker की हत्या से जुड़े राज
Shraddha Walker Murder Case में ठहराव आ गया है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक आरोपित आफताब अमीन पूनावाला जांच में सहयोग नहीं कर रहा है इसलिए अब उसका नार्को टेस्ट कराया जाएगा जिससे सबूत की तलाश में तेजी आए।
By Jp YadavEdited By: Updated: Wed, 16 Nov 2022 10:23 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। दिल्ली पुलिस ने मुंबई की युवती श्रद्धा वकार की हत्या का खुलासा करते हुए आरोपित ब्वॉयफ्रेंड आफताब अमीन पूनावाला को गिरफ्तार कर लिया है। एक तरह से श्रद्धा की हत्या का राज सुलझ गया है, लेकिन कानूनी लिहाज से अभी कई सबूत दिल्ली पुलिस को जुटाने हैं और पूरी कड़ियां जोड़नी हैं।
वहीं, आफताब दिल्ली पुलिस जांच में पूरी तरह सहयोग नहीं कर रहा है। वह कई छिपा रहा है। ऐसे में अब दिल्ली पुलिस आफताब का नार्को टेस्ट (Narco Test ) कराएगी, जिसकी इजाजत दक्षिण दिल्ली की साकेत कोर्ट दे सकती है, इसके लिए याचिका दायर की गई है। यहां पर हम बता रहे हैं कि क्या होता है नार्को टेस्ट? और श्रद्धा हत्याकांड में सबूत तलाशने में कितनी मदद मिलेगी?
क्या होता है नार्को टेस्ट?
अपराध के कई मामलों में आरोपित के झूठ बोलने अथवा सच छिपाने के चलते पुलिस जांच में अड़चन आने लगती है। ऐसे में आरोपित शख्स का नार्को टेस्ट करवाया जाता है। जांच अधिकारियों और वैज्ञानिकों की मानें तो नार्को टेस्ट से अपराधी या फिर संदिग्ध अपराधी से सच उगलवाने की पूरी संभावना रहती है। इसमें एक इंजेक्शन शख्स को दिया जाता है और वह अर्धबेहोशी की स्थिति में सवालों के सही-सही जवाब देता चला जाता है।नार्कों टेस्ट के लिए लेना पड़ती है कोर्ट की अनुमति
यहां पर बता दें कि किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या फिर आरोपित का नार्को टेस्ट पुलिस स्वत: नहीं करा सकता है, इसके लिए उसे स्थानीय कोर्ट की इजाजत लेना पड़ती है। कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद ही नार्को टेस्ट करने का अधिकार पुलिस के पास होता है।
कैसे होता है नार्को टेस्ट
नार्को टेस्ट एक परीक्षण प्रक्रिया होती है, जिसमें शख्स को ट्रुथ ड्रग नाम से आने वाल ली एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है। कुछ मामलों में सोडियम पेंटोथोल का इंजेक्शन भी लगाया जाता है। इंजेक्शन लगने के बाद खून में ये दवा पहुंचती है और व्यक्ति अर्धबेहोशी की स्थिति में में पहुंच जाता है। इसके बाद एक्सपर्ट अर्धबेहोशी की अवस्था में पहले से तय सवाल किए जाते हैं। यह सवाल अमूमन अपराधी के जीवन और खास अपराध से जुड़े होते हैं।नार्को टेस्ट को सबूत के तौर नहीं किया जा सकता पेश
नार्को टेस्ट के जरिये पुलिस जांच में मदद ले सकती है, लेकिन टेस्ट के दौरान दिए गए बयान को कोर्ट में कानूनी मान्यता नही है। वहीं, नारको एनालिसिस टेस्ट कितना सटीक है? इस सवाल के जवाब में विशेषज्ञों का कहना है कि नार्को टेस्ट 100 प्रतिशत सही नहीं होते हैं। कुछ लोग तो नार्को टेस्ट में भी बचकर निकल जाते हैं। कई मामलों में पाया गया है कि आरोपितों ने पूरी तरह से झूठे बयान दिए। ऐसे में नार्को टेस्ट को जांच में इस्तेमाल की जाने वाली एक अवैज्ञानिक विधि माना जाता है।
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