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Delhi Crime: दिल्ली- NCR के गैंगस्टरों को आसानी से मिल रहे अवैध हथियार, 9 माह में हुई 383 लोगों की हत्या

Delhi Crime पिछले वर्ष नौ माह में 335 लोगों की हत्या हुई थी। पुलिस की मानें तो राजधानी की सबसे बड़ी समस्या दिल्ली-एनसीआर के कई बड़े गैंगस्टर हैं। इनके गिराेहों में आए दिन नए-नए बदमाश शामिल होते रहते हैं।

By Rakesh Kumar SinghEdited By: Prateek KumarUpdated: Wed, 02 Nov 2022 07:52 PM (IST)
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गैंगवार की घटनाएं हैं पुलिस के लिए बड़ा सिरदर्द -सट्टा।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी में पिछले नौ माह में 383 लोगों की हत्या हो चुकी है, जो पिछले वर्ष के नौ माह के तुलनात्मक आंकड़ों से अधिक है। पिछले वर्ष नौ माह में 335 लोगों की हत्या हुई थी। पुलिस की मानें तो राजधानी की सबसे बड़ी समस्या दिल्ली-एनसीआर के कई बड़े गैंगस्टर हैं। इनके गिराेहों में आए दिन नए-नए बदमाश शामिल होते रहते हैं।

इस तरह कमाते हैं गैंगस्टर पैसा 

विवादित प्रापर्टी पर कब्जा, धमकी देकर व्यापारियाें व अमीर लोगों से रंगदारी वसूलने, सट्टा, जुआ, शराब, मादक पदार्थों व अवैध हथियाराें की तस्करी जैसे संगठित अपराध इनका मुख्य धंधा है। इस तरह के धंधों को लेेकर वर्चस्व को लेकर गैंगस्टरों के बीच साल भर गैंगवार की घटनाएं होती रहती हैं। गैंगवार में बड़ी संख्या में बदमाश तो मारे ही जाते हैं साथ ही कई बार सड़कों पर सरेआम होने वाली गोलीबारी की घटनाओं में निर्दोष राहगीरों की भी जान चली जाती है।

गैंगवार की घटनाओं पर नहीं लग पा रहा अंकुश

लाख कोशिशों के बावजूद दिल्ली पुलिस गैंगस्टरों के बीच होने वाली गैंगवार की घटनाओं पर अंकुश नहीं लगा पा रही है। पुलिस का कहना है कि अधिकतर बड़े गैंगस्टरों के सरगना दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न जेल में बंद हैं बावजूद इसके जेलों से भी वे मोबाइल के जरिए अपने-अपने गिरोहों को आसानी से संचालित करते हैं। आए दिन पुलिस के सामने इस तरह की बातें सामने आती रहती हैं।

बड़े गैंगस्टरों पर रखी जा रही नजर 

दिल्ली पुलिस की स्पेशलाइज्ड यूनिट स्पेशल सेल व क्राइम ब्रांच नियमित तौर पर बड़े गैंगस्टरों पर नजर रखने का काम करती है। इससे आए दिन गैंगस्टरों के गुर्गे पकड़े जाते हैं। हथियार तस्करों पर काम करती रहती है, इससे बड़ी संख्या में तस्कर भी पकड़े जाते हैं और उनसे अवैध हथियारों के अलावा कारतूस बरामद किए जाते हैं। शराब व अन्य मादक पदार्थों के तस्कर भी पकड़े जाते हैं।

आसानी से मिल जाते हैं हथियार 

जिला पुलिस भी अपने-अपने इलाके में चलने वाले संगठित अपराध जैसे सट्टा, जुआ, शराब व अन्य तरह के ड्रग तस्करों की धर पकड़ करती है फिर भी पुलिस इस तरह के अपराध पर पूरी तरह अंकुश नहीं लगा पा रही है। माना जाता है कि बदमाशों को आसानी से कम कीमत में पिस्टल व कट्टा जैसे अवैध हथियार व चाकू मिल जाते हैं जिसके बल पर बेखौफ होकर बदमाश लूटपाट करते हैं। विरोध जताने पर वे लोगों की हत्या करने से तनिक भी नहीं चूकते हैं।

संगठित अपराध पुलिस के लिए चुनौती 

पुलिस अधिकारी का कहना है कि संगठित अपराध पर अंकुश लगाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। हथियार व ड्रग तस्करों पर पूरी तरह से पुलिस को लगाम लगाने की जरूरत है, तभी राजधानी की कानून व्यवस्था में सुधार हो सकता है। दिल्ली पुलिस के बीट सिस्टम को और अधिक मजबूत करने व सड़कों पर पुलिस की मुस्तैदी बढ़ाने की जरूरत है।

हत्या के सालभर के आंकड़ें

  • 2016--528
  • 2017--487
  • 2018--513
  • 2019--521
  • 2020-472
  • 2021--459

नौ माह के तुलनात्मक आंकड़ें

  • 2021--335
  • 2022--383
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