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महासमर 2024: एनसीआर में आसान कनेक्टिविटी की अभी भी 'आस'! इन सुविधाओं का सालों से इंतजार कर रहे लोग

बस एक दिल्ली मेरठ कॉरिडोर पर ही प्रगति हो रही है अगले वर्ष तक यह कॉरिडोर पूरी तरह ऑपरेशनल भी हो जाएगा। जबकि दिल्ली अलवर और दिल्ली पानीपत कॉरिडोर की डीपीआर को 2019 से केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय की मंजूरी मिलने का इंतजार है। दिल्ली- अलवर कॉरिडोर को इसे लेकर अंतिम फैसला बेशक नहीं हुआ है लेकिन नए रूट के जियोटेक्निकल सर्वे का टेंडर निकाल दिया है।

By sanjeev Gupta Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Mon, 11 Mar 2024 12:36 PM (IST)
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एनसीआर में आसान कनेक्टिविटी की अभी भी 'आस'!
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बेहतर और तीव्र कनेक्टिविटी आज भी एक ऐसी ''आस'' है, जिसके पूरा होने का सालों से इंतजार है। इस दिशा में रैपिड ट्रेन की परिकल्पना तो बीती सदी में ही तैयार हो गई थी, लेकिन इसके ट्रैक पर दौड़ने का सपना अब भी आंखों में ही है।

विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भी बन चुकी है, मगर मंजूरी नहीं मिल पा रही। बस एक दिल्ली मेरठ कॉरिडोर पर ही प्रगति हो रही है, अगले वर्ष तक यह कॉरिडोर पूरी तरह ऑपरेशनल भी हो जाएगा। जबकि दिल्ली अलवर और दिल्ली पानीपत कॉरिडोर की डीपीआर को 2019 से केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय की मंजूरी मिलने का इंतजार है।

1998 में महसूस की गई थी आरआरटीएस की जरूरत

रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) की जरूरत सर्वप्रथम 1998 में जब महसूस की गई थी, जब भारतीय रेलवे ने इसे दिल्ली- एनसीआर में भविष्य के एक यातायात विकल्प रूप में पहचाना था। दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद, गाजियाबाद सहित एनसीआर के अन्य जिले पहले से ही देश के सबसे बड़े शहरी समूह हैं।

प्रारंभिक योजना मौजूदा रेलवे कॉरिडोर के साथ ही आरआरटीएस बनाने की थी। बताया जाता है कि उस समय रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने यहां के सर्वे के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक सैलून कोच में यात्रा भी की थी। लेकिन तब आरआरटीएस की योजना परवान नहीं चढ़ सकी।

2009 में यह योजना पुनर्जीवित हुई। तब एनसीआर 2032 के परिवहन पर कार्यात्मक योजना में दिल्ली से मेरठ, रेवाड़ी, पानीपत, पलवल, रोहतक और बड़ौत को तेजी से कनेक्टिवटी प्रदान करने के लिए 520 किमी की लंबाई के साथ कुल आठ आरआरटीएस कॉरिडोर विकसित करने का प्रस्ताव तैयार हुआ। दो अन्य कॉरिडोर गाजियाबाद से खुर्जा और हापुड़ तक प्रस्तावित थे।

इन रूटों को शामिल किया गया पहले चरण में

पहले चरण में प्राथमिकता वाले तीन आरआरटीएस कॉरिडोर- दिल्ली मेरठ (82 किमी), दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी-अलवर (198 किमी) एवं दिल्ली-सोनीपत-पानीपत (103 किमी) विकसित करने का प्रस्ताव तैयार हुआ।

2011 में यूपीए सरकार ने इन योजनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। 2013 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन विकास निगम (एनसीआरटीसी) काे आरआरटीएस बनाने के लिए एक कंपनी के रूप में शामिल किया गया।

वर्तमान में क्या है स्थिति?

दिल्ली मेरठ कॉरिडोर पर तो तेजी से काम चल रहा है, लेकिन दिल्ली अलवर और दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर को अभी तक केंद्रीय आवास व शहरी विकास मंत्रालय से मंजूरी ही नहीं मिली है।

दरअसल, इन दोनों ही कॉरिडोर को उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली सरकार की मंजूरी भी चाहिए। उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार की मंजूरी मिल चुकी है जबकि दिल्ली सरकार की मंजूरी का आज भी इंतजार है। संभवतया इसीलिए केंद्र सरकार ने भी अभी इन कॉरिडोरों को स्वीकृति नहीं दी है।

दिल्ली मेरठ कॉरिडोर पर तय समय सीमा में चल रहा काम

दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर साहिबाबाद से दुहाई तक 17 किमी लंबे प्राथमिकता खंड पर तो रैपिड ट्रेन, जिसे नमो भारत का नाम दिया गया है, गत अक्टूबर से ही चल रही है। 14 किमी लंबे दिल्ली खंड में भी सराय काले खां, न्यू अशोक नगर और आनंद विहार (भूमिगत) तीनों स्टेशनों ने आकार ले लिया है। इसके साथ ही इस खंड में वायाडक्ट निर्माण भी अंतिम चरण में है और जल्द पूर्ण होने वाला है।

दिल्ली खंड में नौ किमी एलीपेटिड जबकि पांच किमी भूमिगत हिस्सा है। भूमिगत हिस्सा पहले ही बनकर तैयार हो चुका है। एलीवेटिड खंड मे लगभग आठ किमी वायाडक्ट का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और अब सिर्फ एक किमी बाकी है। आधारभूत ढांचा तैयार होने के साथ साथ सभी स्टेशनों में फिनिशिंग के कार्य भी जारी हैं।

इन तीनों स्टेशनों को यात्रियों की सुविधा के लिए मल्टी-माडल इंटीग्रेशन के तहत परिवहन के अन्य माध्यमों के साथ जोड़ा जाएगा। 82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर जहां-जहां संभव है, आरआरटीएस स्टेशनों को सार्वजनिक परिवहन के अन्य साधनों मसलन बस अड्डों, हवाई अड्डों, मेट्रो स्टेशनों व रेलवे स्टेशनों से जोड़ा जा रहा है।

अधिकारियों के मुताबिक अगले लगभग पांच छह माह में ट्रैक लगभग पूरा तैयार हो जाएगा और सात से आठ माह में इसका ट्रायल शुरू हो जाने की उम्मीद की जा सकती है।

दिल्ली-अलवर कॉरिडोर के रूट में बदलाव पर विचार!

दिल्ली- अलवर कॉरिडोर को इसे लेकर अंतिम फैसला बेशक नहीं हुआ है, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने इसके नए रूट के जियोटेक्निकल सर्वे का टेंडर निकाल दिया है। अब इस रूट को पहले चरण में शाहजहांपुर -नीमराना- बहरोड़ (एसएनबी) की जगह धारूहेड़ा तक ले जाया जा सकता है।

इससे यह ट्रैक 107 किमी की बजाए 36 किमी घटकर 71 ही किमी रह जाएगा। वहीं इसके स्टेशन 17 से कम होकर 13 रह जाएंगे। डिपार्टमेंट फोर प्रमोशन आफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआइआइटी- केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय) के तहत गठित नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप द्वारा शहरी कनेक्टिविटी को बढ़ावा एवं विनिर्माण को समर्थन देने के लिए इस कॉरिडोर को पहले ही चिन्हित कर चुका है। इसे पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान के दायरे में तैयार किया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक, पहले चरण में अब इसे सराय काले खां से धारूहेड़ा तक ही ले जाने की बात हो रही है। इसमें भी पहले इसे एयरोसिटी के बाद वाया कापसहेड़ा सरहौल से राष्ट्रीय राजमार्ग लाने की योजना बनी थी, लेकिन अब एयरोसिटी के बाद भी राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही एलिवेटिड ट्रैक बनाया जाएगा।

नए रूट पर ज्यादा यात्री मिलने की संभावना

बताते हैं कि एनएचएआइ अधिकारियों के साथ इस पर वार्ता चल रही है। नए रूट पर ज्यादा यात्री मिलने की संभावना है। ट्रेन का प्रस्तावित रूट घटने से चार स्टेशन भी कम हो जाएंगे।

एनसीआरटीसी ने जनवरी में इस बदलाव के अनुरूप नए रूट यानी एयरोसिटी से खेड़कीदौला और धारूहेड़ा तक जियोटेक्निकल सर्वे का टेंडर भी निकाल दिया है। फरवरी में टेंडर अवार्ड कर दिया जाएगा। टेंडर में यह सर्वे छह माह में पूरा करने को कहा गया है।

सुलझ चुका है दिल्ली पानीपत कॉरिडोर का मुद्दा

इस कॉरिडोर से पानीपत से दिल्ली तक का सफर केवल 45 मिनट में पूरा हो जाएगा। पिछले दिनों यह परियोजना केंद्र, प्रदेश और दिल्ली सरकार के बीच उलझ गई थी। लेकिन एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की 36 वीं बैठक में प्रोजेक्ट का रास्ता साफ हो गया था। यह कॉरिडोर एनसीआर से जुड़े 72 हजार करोड़ रुपये के आरआरटीएस का एक हिस्सा है।

पानीपत कॉरिडोर पर 100.3 किलोमीटर का रास्ता जमीन और 2.7 किलोमीटर एलिवेटेड होगा। दिल्ली में कश्मीरी गेट से शुरू होकर कॉरिडोर पानीपत में आइओसीएल रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स समेत 12 स्टेशन प्रस्तावित हैं। कश्मीरी गेट, कुंडली, सोनीपत, गन्नौर, समालखा, पानीपत रिफाइनरी लाइन को अगर बनाया जाता है तो इससे करीब 80 हजार करोड़ का फायदा होने की बात कही है।

छह वर्षों से दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर के लिए हर वर्ष बजट में आवंटन\B वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय अंतरिम बजट में देश के प्रथम रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के लिए 3,596 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 में भी इतनी ही राशि आवंटित की गई थी जबकि वर्ष 2022-23 में 4,710 करोड़ रुपये दिए गए थे।

एनसीआर परिवहन निगम ने इस बार भी बजट को कम नहीं बताया है। अधिकारियों के मुताबिक जितने बजट की मांग की गई थी, कमोबेश उसी के अनुरूप आवंटित किया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय केंद्र सरकार ने आरआरटीएस के लिए वित्त वर्ष 2018-19 में 629 करोड़, वित्त वर्ष 2019-20 में 974 करोड़, वित्त वर्ष 2020-21 में 2487.40 और वित्त वर्ष 2021-22 में 4,472 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था।

एनसीआर के 13 सांसदों से अपेक्षा

  • 2019 से दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर की डीपीआर तैयार है, लेकिन केंद्र की मंजूरी का इंतजार है। एनसीआर में बेहतर कनेक्टिविटी के लिए यहां के सभी 13 सांसदों को इसके लिए आवाज उठानी चाहिए।
  • एनसीआरटीसी की तैयारी पूरी है, अगर सांसदों के प्रयासों से उक्त दोनों कॉरिडोर का निर्माण कार्य जल्द शुरू हो जाए तो छह साल में ही यहां भी बेहतर कनेक्टिविटी हो जाएगी।
  • सांसद चाहें तो आरआरटीएस स्टेशनों को ट्रांजिट हब बनवाकर मेट्रो, रेलवे स्टेशन और बस अडडों से भी जुड़वाने का प्रयास कर सकते हैं। इससे लास्ट माइल कनेक्टिविटी की समस्या भी सुधर सकती है।

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