सर्दी में रिकार्ड बारिश के बाद भी दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण में मामूली सुधार, मौसम ने बिगाड़ा हवा का हाल
बढ़े हुए प्रदूषण के स्तर और धुंध के एपिसोड प्रणालीगत प्रदूषण का सुबूत है जो सभी क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और प्रणालियों के कारण इस क्षेत्र में जारी है। हालांकि लोधी रोड और रोहिणी में प्रदूषण उच्चतम शिखर पर दर्ज किया गया।
By Pradeep ChauhanEdited By: Updated: Thu, 31 Mar 2022 07:32 AM (IST)
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। बीती सर्दी के मौसम में रिकार्ड बारिश के बावजूद दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण में मामूली सुधार देखा गया। बुधवार को जारी की गई सेंटर फार साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2021 व फरवरी 2022 के बीच प्रदूषण का स्तर तय मानकों से कहीं अधिक था। रिपोर्ट में कहा गया है कि पराली के धुएं से इतर प्रदूषण के अन्य स्नोतों का मौसमी औसत पीएम 2.5 स्तर का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 217 मिमी की औसत वर्षा के साथ दिल्ली में पीएम 2.5 का औसत स्तर 172 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर, जबकि सर्वाधिक स्तर 516 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। वर्ष 2021-21 की सर्दी के मौसम में यह क्रमश: 189 और 542 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, जबकि बारिश 114 मिमी थी। बढ़े हुए प्रदूषण के स्तर और धुंध के एपिसोड प्रणालीगत प्रदूषण का सुबूत है, जो सभी क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और प्रणालियों के कारण इस क्षेत्र में जारी है। सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी कहती हैं, ‘इस पर तभी काबू पाया जा सकता है जब साल भर की कार्रवाई सभी क्षेत्रों और क्षेत्र में अधिक कठोर और समान हो जाए।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि पराली जलाने से पीएम 2.5 का औसत स्तर 28 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर प्रति दिन था, जबकि बाकी प्रदूषण के लिए अन्य स्रोत जिम्मेदार रहे। इस रिपोर्ट के मुताबिक एनसीआर में ‘गंभीर’ श्रेणी की वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या सबसे अधिक दिल्ली में ही थी। दिल्ली में इस सर्दियों के दौरान ‘गंभीर’ श्रेणी की हवा वाले 25 दिन दर्ज किए गए। इसके बाद गाजियाबाद में 16 दिन का रिकार्ड रहा। नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में 15, 13 और पांच दिन दर्ज किए गए।’
इसमें आगे कहा गया है कि दिल्ली के 38 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों में से 30 में इस सर्दी में मौसमी औसत में गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, लोधी रोड और रोहिणी में प्रदूषण उच्चतम शिखर पर दर्ज किया गया।वजीरपुर एकमात्र हाटस्पाट था, जिसने हवा की गुणवत्ता में गिरावट दर्ज की। वजीरपुर को छोड़कर, दिल्ली-एनसीआर की हाटस्पाट सूची के सभी स्थानों में पिछली सर्दियों की तुलना में मौसमी पीएम 2.5 के स्तर में गिरावट देखी गई। 131 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के मौसमी औसत के साथ बहादुरगढ़ हाटस्पाट में सबसे कम प्रदूषित बना हुआ है, जबकि जहांगीरपुरी मौसमी औसत 252 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ दिल्ली में सबसे गंदा था।
एनसीआर की बात करें तो रिपोर्ट बताती है कि फरीदाबाद और गुरुग्राम में मौसमी औसत में बढ़ोतरी हुई है, जबकि गाजियाबाद और नोएडा में गिरावट देखी गई है। गाजियाबाद में लोनी 247 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के मौसमी औसत के साथ उभरते हाटस्पाट्स में सबसे प्रदूषित था।
सीएसई की रिपोर्ट
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- एनसीआर में गंभीर श्रेणी की वायु गुणवत्ता वाले सर्वाधिक दिन दिल्ली में ही दर्ज किए गए
- सीएसई निदेशक ने कहा, प्रदूषण पर काबू पाने के लिए पूरे साल करनी होगी कठोर कार्रवाई
- इस साल मार्च में बारिश बिल्कुल नहीं हुई। दूसरी तरफ हवा की दिशा पश्चिम ज्यादा रही। मध्य पाकिस्तान और राजस्थान से धूल भरी गर्म हवाएं लगातार चलती रही हैं, जिससे प्रदूषक कण बढ़े। स्थानीय कारक तो हमेशा अपनी भूमिका निभाते ही हैं। डा. दीपांकर साहा पूर्व अपर निदेशक, सीपीसीबी