Delhi News: धर्म और रिलीजन में अंतर करने से जुड़ी याचिका पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब, 16 जनवरी को होगी सुनवाई
धर्म और रिलीजन के बीच अंतर करने और प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों के पाठ्यक्रम में इस विषय पर एक अध्याय शामिल करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 16 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
By Jagran NewsEdited By: Paras PandeyUpdated: Thu, 09 Nov 2023 04:00 AM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। धर्म और रिलीजन के बीच अंतर करने और प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों के पाठ्यक्रम में इस विषय पर एक अध्याय शामिल करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 16 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका में कहा है कि इससे जनता को शिक्षित करना और धर्म-आधारित घृणा और नफरत भरे भाषणों को नियंत्रित किया जा सकेगा। उपाध्याय के अनुसार रिलीजन का अर्थ धर्म न होकर पंथ या संप्रदाय है।
उन्होंने तर्क दिया कि धर्म और रिलीजन पूरी तरह से अलग-अलग है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी और कर्मचारी न केवल जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, स्कूल प्रमाणपत्र, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेजों में धर्म शब्द का उपयोग रिलीजन के पर्याय के रूप में करते हैं। उपाध्याय ने याचिका में कहा कि धर्म एक आदेश देने वाला सिद्धांत है जो किसी के विश्वास या पूजा के तरीकों से स्वतंत्र है। समाप्त विनीत आठ नवंबर
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