NewsClick मामले में आया नया मोड़, आरोपियों के रिमांड और गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली HC ने रखा फैसला सुरक्षित
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तारी और रिमांड के विरुद्ध दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। कहा आरोपितों की आगे की रिमांड अदालत के आदेश के अधीन होगी। सुनवाई के दौरान न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ ने आरोपों को झूठा व फर्जी बताया। वहीं पुलिस की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने बताया।
By Jagran NewsEdited By: Paras PandeyUpdated: Tue, 10 Oct 2023 04:43 AM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तारी और रिमांड के विरुद्ध दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। कहा, आरोपितों की आगे की रिमांड अदालत के आदेश के अधीन होगी। सुनवाई के दौरान न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ ने आरोपों को झूठा व फर्जी बताया।
वहीं, पुलिस की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि यह गंभीर अपराध है और मामले की जांच अभी जारी है।बता दें कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गत तीन अक्टूबर को दिल्ली व अन्य स्थानों पर छापेमारी कर न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ व एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया था।
जमानत के लिए याचिका पुरकायस्थ व चक्रवर्ती ने दायर की है। न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष पुरकायस्थ की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दावा किया कि सभी तथ्य झूठे हैं, चीन से एक पैसा भी नहीं आया। इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि लगभग 75 करोड़ रुपये की जांच जारी है और मैं इसे केस डायरी से दिखा सकता हूं। चीन में रहने वाले एक व्यक्ति से पैसा आया है, जिसका उद्देश्य देश की स्थिरता और अखंडता को चोट पहुंचाना है।
मेहता ने कहा कि चीन में बैठे किसी व्यक्ति के साथ आरोपित व्यक्तियों के बीच ई-मेल का आदान-प्रदान सबसे गंभीर आरोपों में से एक है। कपिल सिब्बल ने एसजी के दावे का खंडन किया। बचाव पक्ष के अधिवक्ता दयान कृष्णन ने तर्क दिया कि आरोपितों की गिरफ्तारी और रिमांड को कई कानूनी आधारों पर कायम नहीं रखा जा सकता है। आज तक गिरफ्तारी का कारण नहीं बताया गया। निचली अदालत ने आरोपितों के वकीलों की अनुपस्थिति में रिमांड आदेश पारित किया था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी आरोपित को पकड़ते समय गिरफ्तारी का लिखित आधार बताने के साथ पसंद का वकील रखना उसका संवैधानिक अधिकार है।
इसलिए गिरफ्तारियां सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश का उल्लंघन हैं। एसजी मेहता ने कहा कि लिखित रूप में गिरफ्तारी का आधार बताने का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय मनी लांड्रिंग के तहत अपराधों के लिए था, जो यूएपीए से अलग था और इस मामले पर लागू नहीं होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि पुलिस हिरासत समाप्त होने पर आरोपितों को न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकता है और बाद में वे नियमित जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध समीक्षा याचिका का दिया संकेतसुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने संकेत दिया कि ईडी आरोपित को गिरफ्तारी के आधार लिखित रूप में पेश करने के संबंध में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की जा सकती है। उन्होंने कहा, एक संवैधानिक पीठ ने पहले ही फैसला सुनाया था कि गिरफ्तारी के आधार की मौखिक सूचना पर्याप्त है।पत्रकारों से दूसरी बार हो चुकी पूछताछस्पेशल सेल पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती से लगातार पूछताछ कर रही है। एक अधिकारी ने बताया कि अभी तक किसी को क्लीन चिट नहीं दी गई है। 3 अक्टूबर को नौ महिला पत्रकारों सहित लगभग 46 लोगों से पूछताछ की गई थी। सभी को दूसरे दौर की पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है। उनमें लगभग 25 लोग दोबारा पेश हो चुके हैं।
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