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Delhi News: जल्द दिल्ली की सड़कों पर चलने वाली डीटीसी की बसों में दिखेंगी ये खास महिला ड्राइवर, जानें अन्य डिटेल

दिल्ली सरकार ने बुराड़ी में ड्राइवर प्रशिक्षण संस्थान में भारी मोटर वाहन (एचएमवी) लाइसेंस हासिल कराने के लिए महिलाओं के लिए मुफ्त प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया था जिससे महिलाओं के लिए डीटीसी बसों को चलाने में सक्षम होने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Mon, 30 May 2022 01:10 PM (IST)
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बुराड़ी स्थित ड्राइवर प्रशिक्षण संस्थान में 38 महिला चालकों का प्रशिक्षण पूरा

नई दिल्ली [वी के शुक्ला]। उन्नाव की लक्ष्मी, छत्तीसगढ़ की लता, दिल्ली की पिंकी, बुलंदशहर की रेखा और समस्तीपुर की आरती जैसी 38 लड़कियां और महिलाएं जल्द ही दिल्ली की सड़कों पर डीटीसी की बसें चलाती दिखेंगी। इनका बस चलाने का प्रशिक्षण पूरा हो गया है और अब हैवी लाइसेंस व बैज बनाए जाने का काम पूरा होना है। इस काम में करीब दो माह लग सकते हैं। दिल्ली सरकार की योजना इन्हें इलेक्टि्रक बस देने की है, जो बसें पूरी तरह आटोमेटेड हैं। बसें चलाने के लिए ये सभी उत्साहित हैं।

दिल्ली सरकार ने बुराड़ी में ड्राइवर प्रशिक्षण संस्थान में भारी मोटर वाहन (एचएमवी) लाइसेंस हासिल कराने के लिए महिलाओं के लिए मुफ्त प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया था, जिससे महिलाओं के लिए डीटीसी बसों को चलाने में सक्षम होने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। प्रशिक्षण लेने के बाद सभी खुश हैं। उनका कहना है कि अब लोग कहेंगे कि देखो लड़की बस चला रही है। उनका बस चलाने का सपना पूरा होगा और डीटीसी में नौकरी मिलने से परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी।

महिला बस चालकों में उन्नाव के राजापुर के अचलगंज की लक्ष्मी हैं, जिनका मायका हरदोई के अजीजपुर (हरिहरपुर) में है। वह कहती हैं कि पिछले आठ साल से टैक्सी चला रही हैं। अब बस चलाएंगी तो अच्छा लगेगा। लता लाठौर छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा के गांव असौंदा की रहने वाली हैं। वह दिल्ली के बदरपुर इलाके में रहती हैं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में बस चलाना बहुत अच्छा लगा है।

कैब चलाने वाली प्रीति अन्य महिलाओं के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहती हैं। कानपुर के पास तेरवा औरैया गांव की हैं, यहां बदरपुर में अपने माता-पिता के साथ रहती हैं। वह कहती हैं कि अब मेरे माता-पिता को गर्व महसूस होता है कि उनकी बेटी बस चलाने जा रही है।

चालक पिंकी ने कहा मैं आर्थिक तंगी के कारण 12वीं के बाद पढ़ाई नहीं कर पाई। इसलिए मैंने एक कैब सर्विस ज्वाइन की और ड्राइविंग सीखी। मैं बस ड्राइवर बनना चाहती थी, लेकिन बुराड़ी में प्रशिक्षण शुल्क महंगा था। जब मुझे पता चला कि सरकार मुफ्त में प्रशिक्षण दिला रही है, तो मैंने आवेदन कर दिया।

बुलंदशहर के गांव घुंघरावली की रहने वाली रेखा अपने पिता के साथ दिल्ली में मदनपुर खादर में रहती हैं। वह कहती हैं कि जब लड़कियां हवाई जहाज चला सकती हैं, तो बस क्यों नहीं? हमें बस चलाने के प्रशिक्षण में कोई परेशानी नहीं हुई। बिहार के समस्तीपुर के शाहपुर पटौैरी गांव की रहने वाली आरती अपने बच्चों के साथ स्वरूप नगर में रहती हैं। उन्हें उम्मीद है कि डीटीसी में नौकरी मिलेगी तो परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी।

प्रशिक्षण में पास हुई महिला चालक मीना, शबनम, लता राठौर, अंजली, शीतल, पूजा, अनीता कुमारी, सोनिया ¨सह, निर्मला देवी, लक्ष्मी रावत, योगिता पाल, रेखा डागर, लक्ष्मी, चांदनी, रिया, आरती देवी, श्रद्धा, पार्वती, रेखा और ¨पकी आदि शामिल हैं।