CM स्टालिन के बेटे की बढ़ सकती हैं मुश्किलें? सनातन धर्म पर विवादित बयान के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज
Delhi News तमिलनाडु सरकार में मंत्री और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म को लेकर दिए गए एक बयान से हंगामा मचा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के वकील और सामाजिक कार्यकर्ता विनीत जिंदल द्वारा उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ सनातन धर्म के खिलाफ उत्तेजक भड़काऊ और मानहानिकारक बयान के लिए दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है।
By Dhananjai MishraEdited By: Nitin YadavUpdated: Sun, 03 Sep 2023 10:24 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। तमिलनाडु सरकार में मंत्री और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म को लेकर दिए गए एक बयान से हंगामा मचा हुआ है।
रविवार को उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस से शिकायत देकर एफआइआर दर्ज करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील और सामाजिक कार्यकर्ता विनीत जिंदल द्वारा उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ सनातन धर्म के खिलाफ उत्तेजक, भड़काऊ और मानहानिकारक बयान के लिए दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है।
इसके अलावा, हिंदू सेना ने भी उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ दिल्ली पुलिस आयुक्त से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की गई है उदयनिधि ने कहा है कि सनातन का सिर्फ विरोध नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि, इसे समाप्त ही कर देना चाहिए।
उदयनिधि ने शनिवार को सनातन उन्मूलन सम्मेलन में दिए बयान में कहा कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है। कुछ चीजों का विरोध नहीं किया जा सकता, उन्हें खत्म ही कर देना चाहिए। हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते। हमें इसे मिटाना है। इसी तरह हमें सनातन को भी मिटाना है।
विहिप ने भी किया विरोध
वहीं, दूसरी ओर विहिप तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पुत्र व राज्य के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की सनातन धर्म की तुलना डेंगू-मलेरिया से करने और उसे समाप्त करने के आह्वान से स्तब्ध है। संगठन के केंद्रीय कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार अपने संवैधानिक दायित्व का पालन करने की जगह, कानून के रास्ते से भटक गई है।ऐसे में केंद्र को सोचना पड़ेगा कि उसके पास कौन-कौन से विकल्प हैं। उन्होंने उदयनिधि से पूछा कि क्या उनका यह बयान उनकी सरकार का बयान है। यदि ऐसा है तो हम केंद्र सरकार से कहेंगे कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार देते हैं। ऐसे केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि वह उसकी रक्षा करें।
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