दिल्ली में सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा, तकनीकी त्रुटि का फायदा उठा कर साढ़े 10 करोड़ की ठगी
निवेश और कर्ज देने वाली एक कंपनी के साथ साढ़े 10 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। कंपनी के 457 यूजर ने पैसे निवेश कर उसे दो बार में निकाल लिया। आरोपितों ने तकनीकी त्रुटि के जरिये फर्जीवाड़ा किया है। कंपनी की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मुकदमा दर्ज किया है। इस संबंध में फिलहाल स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट जांच कर रही है।
By Dhananjai MishraEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Mon, 07 Aug 2023 06:11 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। निवेश और कर्ज देने वाली एक कंपनी के साथ साढ़े 10 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। दक्षिणी दिल्ली में स्थित लैंडबाक्स नाम की कंपनी कर्ज देने के अलावा निवेश भी करती है।
कंपनी के 457 यूजर ने पैसे निवेश कर उसे दो बार में निकाल लिया। आरोपितों ने तकनीकी त्रुटि के जरिये फर्जीवाड़ा किया है। कंपनी की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मुकदमा दर्ज किया है। इस संबंध में फिलहाल स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट जांच कर रही है।
आरोपितों ने दो बार निकाली नकदी
दर्ज की गई एफआईआर में बताया गया है कि आरोपितों ने कंपनी की निवेश की योजना के तहत नकदी जमा की, लेकिन बाद में उसे दो बार में निकाल लिया। आरोपितों ने एक बार सीधे ऐप से पैसे निकाले फिर भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआइ) के माध्यम से गैर-रसीद की रिपोर्ट करके निकाला।पुलिस फिलहाल संदिग्ध खातों का आइपी एड्रेस का विश्लेषण कर रही। शुुरुआती जांच में पता चला है कि यह फर्जीवाड़ा दिसंबर 2022 से इस वर्ष मार्च के बीच हुई। फर्जीवाड़ा की जानकारी के मिलने के बाद कंपनी ने 457 आरोपितों के खाते सीज कर दिए हैं। काफी रकम वापस देने से पहले रोकी गई है।
ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा
कंपनी की शिकायत में बताया गया है कि नकदी जमा करने के बाद कभी भी ब्याज के साथ पैसा निकाला जा सकता है। कंपनी के प्लेटफार्म साझेदार मोबिक्विक के जरिये भी कई निवेश जुडे थे। मोबिक्विक ने कंपनी को बताया कि पैसे जमा करने वाले कई उपयोगकर्ताओं ने उसी दिन, यानी जमा की तारीख वाले दिन ही पैसे वापस करने का अनुरोध किया। यह सभी पैसे यूपीआई के जरिये जमा किए गए थे।यूपीआई के जरिये किए गए लेने एनपीसीआई के निगरानी में होते हैं। एनपीसीआई ने सभी ऑनलाइन भुगतान मध्यमों को निर्देश दिया है कि ग्राहक अपने पैसे वापस मांगे (चार्जबैक) तो उसके अनुरोध को निर्धारित समय में यदि कोई आपत्ती नहीं मिलती तो स्वीकार किया जाए।ऐसे में आरोपितों ने मोबिक्विक से पैसे वापस मांगने के साथ ही एनपीसीआई के साथ भी चार्जबैक के लिए अनुरोध किया। मोबिक्विक से पैसे वापस मिलने के बाद आरोपितों ने एनपीसीआई से पैसे वापस नहीं मिलने का दावा किया, जिससे उन्हें दोनों तरफ से पैसे वापस मिले। पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपितों ने तकनीकी त्रुटि का लाभ उठा कर फर्जीवाड़ा किया है।
एक बार जब आरोपित को पता चला कि कंपनी ने चार्जबैक अनुरोधों पर आपत्ती नहीं जताई है तो उन्होंने कई लेनदेन करना शुरू कर दिया यानी, आरोपित ने पैसे जमा करना शुरू कर दिया और उसी दिन राशि लौटाने का दावा करते हुए न केवल जमा की गई राशि वापस ली बल्कि उसके बराबर राशि और भी ली। पुलिस अधिकारी ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि मोबिक्विक और एनपीसीआइ के बीच समन्वय की कमी के कारण आरोपितों ने यह फर्जीवाड़ा किया है।
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