बर्खास्त IAS पूजा खेडकर की जमानत याचिका की खारिज; कोर्ट ने कहा- UPSC के अंदर किसने ने की मदद? इसकी भी हो जांच
Puja Khedkar बर्खास्त ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जांच करने के आदेश दिए। साथ ही कोर्ट ने पूजा खेडकर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि जांच होनी चाहिए कि यूपीएससी के अंदर तो किसी ने पूजा की मदद नहीं की।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पटियाला हाउस कोर्ट ने बर्खास्त IAS अधिकारी पूजा खेडकर Puja Khedkar की अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की कि शिकायतकर्ता द्वारा नियुक्त अधिकारी इस देश की रीढ़ हैं, जो देश का प्रशासन संभालते हैं।
आरोपित ने एक बार नहीं बल्कि बार-बार धोखे से शिकायतकर्ता के साथ धोखाधड़ी की है। अगर सच्चाई का पता लगाने के लिए गहन जांच नहीं की गई तो बड़े पैमाने पर समाज का विश्वास खो जाएगा।
दिल्ली पुलिस को जांच करने के आदेश दिए
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जांगला ने कहा कि दिल्ली पुलिस को यह भी जांच करनी चाहिए कि क्या संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अंदर से किसी ने अपने अवैध लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए खेडकर की मदद की थी। अदालत ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि वह हाल के दिनों में नियुक्त उम्मीदवारों का पता लगाने के लिए पूरी निष्पक्षता से अपनी जांच करे।न्यायाधीश ने मामले में जांच का दायरा भी बढ़ाया और दिल्ली पुलिस को यह जांच करने का निर्देश दिया कि क्या अन्य लोगों ने बिना पात्रता के ओबीसी और दिव्यांगता कोटा के तहत लाभ उठाया है।
आरोपित ने UPSC को धोखा दिया है
अदालत ने कहा कि आरोपित ने न केवल यूपीएससी UPSC को धोखा दिया है बल्कि पात्र अभ्यर्थियों (बेंचमार्क दिव्यांगता वाले) के वैध अधिकार भी छीन लिए हैं। अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता एक संवैधानिक संस्था होने के नाते प्रतिष्ठित पदों के लिए परीक्षा आयोजित कर रहा है, जिसके लिए पूरे देश से अभ्यर्थी आवेदन कर रहे हैं। इसलिए शिकायतकर्ता से अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी मानक संचालन प्रक्रिया में उच्चतम स्तर की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखे।यह शिकायतकर्ता का भी स्वीकृत मामला है कि आरोपित द्वारा इसकी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का उल्लंघन किया गया है। इसलिए, शिकायतकर्ता को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। क्योंकि इसकी जांच प्रणाली उल्लंघन पर अंकुश लगाने में विफल रही है।
अदालत ने कहा कि उम्मीदवारों और आम जनता की प्रतिष्ठा, निष्पक्षता, पवित्रता और विश्वास को बनाए रखने के लिए, भविष्य में इस तरह की घटना सुनिश्चित करने के लिए यूपीएससी को अपने एसओपी को मजबूत करने की आवश्यकता है।
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