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बर्खास्त IAS पूजा खेडकर की जमानत याचिका की खारिज; कोर्ट ने कहा- UPSC के अंदर किसने ने की मदद? इसकी भी हो जांच

Puja Khedkar बर्खास्त ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जांच करने के आदेश दिए। साथ ही कोर्ट ने पूजा खेडकर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि जांच होनी चाहिए कि यूपीएससी के अंदर तो किसी ने पूजा की मदद नहीं की।

By Ritika Mishra Edited By: Kapil Kumar Updated: Thu, 01 Aug 2024 10:37 PM (IST)
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पटियाला हाउस कोर्ट ने पूजा खेडकर की जमानत याचिका खारिज कर दी। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पटियाला हाउस कोर्ट ने बर्खास्त IAS अधिकारी पूजा खेडकर Puja Khedkar की अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की कि शिकायतकर्ता द्वारा नियुक्त अधिकारी इस देश की रीढ़ हैं, जो देश का प्रशासन संभालते हैं।

आरोपित ने एक बार नहीं बल्कि बार-बार धोखे से शिकायतकर्ता के साथ धोखाधड़ी की है। अगर सच्चाई का पता लगाने के लिए गहन जांच नहीं की गई तो बड़े पैमाने पर समाज का विश्वास खो जाएगा।

दिल्ली पुलिस को जांच करने के आदेश दिए

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जांगला ने कहा कि दिल्ली पुलिस को यह भी जांच करनी चाहिए कि क्या संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अंदर से किसी ने अपने अवैध लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए खेडकर की मदद की थी। अदालत ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि वह हाल के दिनों में नियुक्त उम्मीदवारों का पता लगाने के लिए पूरी निष्पक्षता से अपनी जांच करे।

न्यायाधीश ने मामले में जांच का दायरा भी बढ़ाया और दिल्ली पुलिस को यह जांच करने का निर्देश दिया कि क्या अन्य लोगों ने बिना पात्रता के ओबीसी और दिव्यांगता कोटा के तहत लाभ उठाया है।

आरोपित ने UPSC को धोखा दिया है

अदालत ने कहा कि आरोपित ने न केवल यूपीएससी UPSC को धोखा दिया है बल्कि पात्र अभ्यर्थियों (बेंचमार्क दिव्यांगता वाले) के वैध अधिकार भी छीन लिए हैं। अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता एक संवैधानिक संस्था होने के नाते प्रतिष्ठित पदों के लिए परीक्षा आयोजित कर रहा है, जिसके लिए पूरे देश से अभ्यर्थी आवेदन कर रहे हैं। इसलिए शिकायतकर्ता से अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी मानक संचालन प्रक्रिया में उच्चतम स्तर की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखे।

यह शिकायतकर्ता का भी स्वीकृत मामला है कि आरोपित द्वारा इसकी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का उल्लंघन किया गया है। इसलिए, शिकायतकर्ता को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। क्योंकि इसकी जांच प्रणाली उल्लंघन पर अंकुश लगाने में विफल रही है।

अदालत ने कहा कि उम्मीदवारों और आम जनता की प्रतिष्ठा, निष्पक्षता, पवित्रता और विश्वास को बनाए रखने के लिए, भविष्य में इस तरह की घटना सुनिश्चित करने के लिए यूपीएससी को अपने एसओपी को मजबूत करने की आवश्यकता है।

अदालत ने यह भी कहा...

अदालत ने कहा कि यूपीएससी को उन उम्मीदवारों का पता लगाने के लिए हाल ही में की गई अपनी सिफारिशों पर भी दोबारा गौर करने की जरूरत है, जिन्होंने अवैध रूप से अनुमेय सीमा से परे प्रयासों का लाभ उठाया है या हकदार न होने के बावजूद ओबीसी (नान क्रीमी लेयर) का लाभ प्राप्त किया है या फिर जिन्होंने पात्रता न होने के बावजूद बेंचमार्क दिव्यांगता कोटे का लाभ लिया था।

अदालत ने कहा कि पूजा खेडकर के खिलाफ आरोप गंभीर है और इनकी गहन जांच की आवश्यकता है। वहीं, साजिश में शामिल अन्य व्यक्तियों की संलिप्तता स्थापित करने के लिए पूरी साजिश से पर्दाफाश करने के लिए आरोपित से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है।

दिल्ली पुलिस ने हाल ही में यूपीएससी द्वारा दायर एक शिकायत पर खेडकर के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिसमें उन पर दस्तावेज और पहचान बदलकर परीक्षा नियमों के तहत स्वीकार्य सीमा से परे धोखाधड़ी से प्रयास करने का आरोप लगाया गया था।

पूजा खेडकर ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका की दलील दी थी 

खेडकर ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका दायर कर दलील दी थी कि उनको अपना बचाव करने का पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए। पूजा की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी थी कि उनकी मुवक्किल ने कोई जानकारी नहीं छिपाई, उसने बस अपने प्रयासों की संख्या गलत बताई।

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वहीं, मामले में अभियोजन पक्ष के साथ-साथ यूपीएससी की ओर से पेश अधिवक्ता ने खेडकर के आवेदन का विरोध करते हुए दावा किया था। अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि पूजा ने व्यवस्था को धोखा दिया है और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है। उन्होंने अपनी खामियों का फायदा उठा कर तथ्यों को छुपाया।

उन्होंने पहले मानसिक बीमारी को आधार बनाया गया, फिर बहु दिव्यांगता (मल्टीपल डिसेबिलिटी) कहने लगीं। उन्होंने यूपीएससी को धोखा देने के लिए जानबूझकर अपना नाम बदला और किसी को भी अपने प्रयासों की संख्या के बारे में नहीं बताया।

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यूपीएससी की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी थी कि खेडकर संपन्न महिला है और कानून का दुरुपयोग करने की संभावना अभी भी बनी हुई है।

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