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Delhi Pollution: वायु प्रदूषण में किसकी कितनी भागीदारी, दिल्लीवासियों को नहीं मिल पा रही इसकी जानकारी

किन कारणों की वजह से वृद्धि हो रही है दिल्लीवासियों को इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है।केंद्र सरकार का संस्थान सफर (सिस्टम आफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) ने सबसे पहले प्रदूषण का पूर्वानुमान स्थिति और पराली प्रदूषण की जानकारी देना शुरू किया था लेकिन अबकी बार सफर ने भी प्रदूषण पूर्वानुमान और पराली प्रदूषण से पूरी तरह दूरी बनाई हुई है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Sun, 29 Oct 2023 07:56 AM (IST)
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वायु प्रदूषण में किसकी कितनी भागीदारी, दिल्लीवासियों को नहीं मिल पा रही इसकी जानकारी

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। Delhi Pollution : समस्या की वजह पता चल जाए, तो समाधान निकल ही आता है। यही हाल वायु प्रदूषण का है। सर्दियों की दस्तक के साथ ही राजधानी के वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) में वृद्धि हो रही है, लेकिन किन कारणों की वजह से वृद्धि हो रही है, दिल्लीवासियों को इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है।

पहले आम लोगों के लिए थी यह सुविधा

पिछले तीन से चार वर्ष में प्रदूषण को कम करने के लिए इस बात पर ध्यान केंद्रित रहा है कि लोगों को प्रदूषण की असली वजह बताई जाए। इसके लिए कई प्रयास भी किए गए।

आम लोगों को यह सुविधा दी गई थी कि वह जान सकें कि उनके क्षेत्र में प्रदूषण की वजह क्या है, लेकिन इस बार प्रदूषण के दौरान अभी तक की स्थिति कुछ अलग बयां कर रही है। 

300 के पार पहुंचा दिल्ली का AQI

दिल्ली- एनसीआर में हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गई है। एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 221 से 341 के बीच है, जो लोगों के लिए खतरे की घंटी है। बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए 15-सूत्रीय विंटर एक्शन प्लान लागू होने के बावजूद, बिगड़ती वायु गुणवत्ता को कंट्रोल में करने को लेकर लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।

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आम लोगों के साथ ही विशेषज्ञ और अधिकारी भी परेशान हैं, क्योंकि या तो जानकारी देने वाले सिस्टम शुरू नहीं हुए या प्रदूषक तत्वों की हिस्सेदारी का आंकड़ा नहीं दे पा रहे हैं। प्रदूषण के कारणों की जानकारी न होने से प्रदूषण पर काम करने वाले एनजीओ तक को परेशानी हो रही हैं। ग्रीनपीस के अविनाश चंचल के अनुसार जब जानकारी ही नहीं होगी तो शोध ही मुमकिन नहीं होगा।

दिल्ली सरकार की सुपरसाइट हुई बंद

दिल्ली सरकार ने राजधानी में प्रदूषण की वजह पता करने के लिए आइआइटी कानपुर के साथ मिलकर 30 जनवरी को सुपरसाइट शुरू की थी। इस पर प्रदूषण की वजह पता चलती थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह सुपरसाइट बंद है।

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का आरोप है कि इस प्रोजक्ट के लिए आइआइटी कानपुर को दी जाने वाली दूसरी किस्त की राशि डीपीसीसी के अधिकारियों ने मनमर्जी से रोक ली है।

इसी वजह से सुपरसाइट काम नहीं कर रही है। आइआइटीएम पुणे में 2019 में यह सिस्टम शुरू किया था। इस सिस्टम पर दिल्ली में प्रदूषण की लोकल वजहों के साथ बाहर से आने वाले प्रदूषण जैसे पराली आदि की जानकारी मिलती थी।

एनसीआर के शहरों से राजधानी में कितना प्रदूषण पहुंच रहा है, यह जानकारी भी इस सिस्टम में मिलती थी। 2022 तक यह जानकारी आसानी से मिल रही थी। लांचिंग के समय कहा गया था कि इससे आम लोगों को पता चलेगा कि उन्हें क्या करना है, लेकिन 2023 में इसे सितंबर में तो चालू ही नहीं किया गया। अक्टूबर में जब यह शुरू हुआ भी तो जानकारी नहीं मिल रही। इसे अधिकारियों तक सीमित कर दिया गया है।

सफर भी नहीं दे रहा कोई जानकारी

केंद्र सरकार का संस्थान सफर (सिस्टम आफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) ने सबसे पहले प्रदूषण का पूर्वानुमान, स्थिति और पराली प्रदूषण की जानकारी देना शुरू किया था, लेकिन अबकी बार सफर ने भी प्रदूषण पूर्वानुमान और पराली प्रदूषण से पूरी तरह दूरी बनाई हुई है।

दो दिन पराली प्रदूषण की जानकारी अपलोड करने के बाद इसने जानकारियां हटा लीं। अब पब्लिक डोमेन में इससे संबंधित कोई जानकारी नहीं है। प्रदूषण से निपटने को इसके स्रोतों का पता लगना जरूरी है।

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