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संसद की सुरक्षा में सेंधमारी का साजिशकर्ता कौन? जांच एजेंसियों के लिए पता लगाना बड़ी चुनौती

जिस तरह 13 दिसंबर को संसद के अंदर घुसकर आरोपित वारदात को अंजाम देने में सफल हो गए। उससे जांच एजेंसियों को आशंका है कि इनके पीछे कुछ बड़े चेहरे हैं जिन्होंने बड़े स्तर पर साजिश रचकर गिरफ्तार आरोपितों के जरिए वारदात को अंजाम दिलाया है। पुसिस और जांच एजेंसियों के सामने असली साजिशकर्ता का पता लगाने के लिए बड़ी चुनौती है।

By Rakesh Kumar SinghEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Wed, 20 Dec 2023 04:58 PM (IST)
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संसद की सुरक्षा में सेंधमारी का साजिशकर्ता कौन
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। संसद की सुरक्षा में सेंध मामले में आरोपितों के मोबाइल फोन बरामद न होने पर साजिशकर्ताओं के बारे में पता लगाना दिल्ली पुलिस व केंद्रीय एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। जिस तरह की साजिश रचकर आराेपित संसद के अंदर घुसकर वारदात को अंजाम देने में सफल हो गए।

साजिश के पीछे बड़े चेहरे की आशंका

उससे जांच एजेंसियों को आशंका है कि इनके पीछे कुछ बड़े चेहरे हैं जिन्होंने बड़े स्तर पर साजिश रचकर गिरफ्तार आरोपितों के जरिए वारदात को अंजाम दिलाया है। आरोपितों के मोबाइल बरामद न होने पर दिल्ली पुलिस व केंद्रीय एजेंसियों को साजिशकर्ताओं के बारे में पता लगाना काफी मुश्किल हो रहा है।

स्पेशल सेल का कहना है कि आरोपितों के मोबाइल नंबर के बारे में जानकारी मिलने पर उनके कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकाल यह तो पता लगा लिया गया है कि इनकी किन-किन लोगों से बातचीत हुई थी। किन लोगों के संपर्क में ये लोग अधिक समय से थे और किनसे कम बात हुई थी। सभी आरोपित पिछले कुछ दिनों के दौरान कहां-कहां गए उनके लोकेशन का भी पता लगा लिया गया है, लेकिन मोबाइल न मिलने से यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि चैटिंग के जरिये इनकी किन-किन लोगों से क्या बातें हुई थी।

जांच एजेंसी को नहीं मिला कोई अहम सबूत

मोबाइल मिल जाने पर इनके द्वारा डिलीट किए गए चैट व अन्य डेटा को रिट्रीट कराया जा सकता था जिससे साजिशकर्ताओं के बारे में पता लग सकता था। सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपित सागर शर्मा, मनोरंजन गौड़, नीलम झा, अमोल शिंदे, ललित झा व महेश कुमावत के घरों व अन्य सभी ठिकानों पर छापेमारी कर गहन तलाशी ली जा चुकी है, लेकिन जांच एजेंसी को काेई अहम सुबूत बरामद नहीं हो सका, जिसकी जांच करने से साजिशकर्ताओं के बारे में पता लग सके।

सभी के रिमांड की अवधि अब समाप्त होने पर है। ऐसे में सुबूत इकट्ठा करने के लिए स्पेशल सेल दोबारा सभी को रिमांड पर लेने पर विचार कर रही है। हो सकता है कि कोर्ट दोबारा स्पेशल सेल को आरोपितों की रिमांड न भी दें, क्योंकि सात दिनों के दौरान पुलिस जब आरोपितों के घरों व अन्य ठिकानों से कोई महत्वपूर्ण सुबूत बरामद नहीं कर सकी है तब आगे भी पुलिस को कुछ मिलना मुश्किल होगा।

बैंक खातों में भी नहीं मिला अधिक पैसा

जांच एजेंसी के पास संसद के बाहर व अंदर के सीसीटीवी कैमरे के फुटेज अहम सुबूत हैं, जिनमें आरोपितों के घुसने से लेकर वारदात को अंजाम देने तक की सारी तस्वीरें कैद है। इसके अलावा सभी छह आरोपितों के बयान हैं। सूत्रों के मुताबिक, सभी के बैंक खातों की भी जांच की जा चुकी है, लेकिन किसी के बैंक खातों में अधिक पैसे जमा नहीं मिले हैं। सागर शर्मा के घर से उसकी कुछ और डायरी मिली है जिसमें कुछ नंबर मिले हैं। पुलिस उक्त नंबरों के बारे में पता लगा रही है।

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