असिस्टेंट कमांडेंट की पत्नी बेचती थी बच्चे, सरोगेसी सेंटर की आड़ में चल रहा था गोरखधंधा
कविता टोकस की कई अस्पतालों व आइवीएफ सेंटरों से अच्छी जान पहचान है। वह ऐसी महिलाओं को ढूंढ़ती थी जो गर्भवती हो जाने पर बच्चा नहीं चाहती थीं और नि:संतान दंपत्तियों को बच्चे की जरूरत होती थी।
By Edited By: Updated: Thu, 27 Sep 2018 09:44 AM (IST)
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने बच्चा बेचने वाले रैकेट का भंडाफोड़ किया है। अर्द्धसैनिक बल में तैनात असिस्टेंट कमांडेंट की पत्नी दक्षिण दिल्ली के मुनिरका में आइवीएफ सेंटर की आड़ में बच्चा बेचती थी। महिला करीब 20 से अधिक नि:संतान दंपत्तियों को बच्चा बेच चुकी है, जिनमें छह बच्चों को क्राइम ब्रांच ने बरामद कर लिया है। वहीं, अन्य बच्चों की तलाश जारी है।
10 आरोपी गिरफ्तार
बरामद बच्चों को पालना गृह में रखवा दिया गया है, जिन्हें अब कानूनी प्रक्रिया के तहत नि:संतान दंपत्तियों को दिया जा सकेगा। क्राइम ब्रांच अभी तक इस मामले में 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनमें आइवीएफ सेंटर की मालकिन, मैनेजर, कर्मचारी व बच्चा खरीदने वाले दंपती शामिल हैं।ये हैं शामिल
क्राइम ब्रांच के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों के नाम कविता टोकस, मोहम्मद जहांगीर, शकीला, मिथिला, राहुल, ज्योति, जितेंद्र, बलवीर दुबे, नरेश व सतीश महाजन हैं। जितेंद्र कविता के आइवीएफ सेंटर का मैनेजर व मोहम्मद जहांगीर कर्मचारी था। बाकी सदस्य बच्चे खरीदने वाले हैं।
बरामद बच्चों को पालना गृह में रखवा दिया गया है, जिन्हें अब कानूनी प्रक्रिया के तहत नि:संतान दंपत्तियों को दिया जा सकेगा। क्राइम ब्रांच अभी तक इस मामले में 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनमें आइवीएफ सेंटर की मालकिन, मैनेजर, कर्मचारी व बच्चा खरीदने वाले दंपती शामिल हैं।ये हैं शामिल
क्राइम ब्रांच के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों के नाम कविता टोकस, मोहम्मद जहांगीर, शकीला, मिथिला, राहुल, ज्योति, जितेंद्र, बलवीर दुबे, नरेश व सतीश महाजन हैं। जितेंद्र कविता के आइवीएफ सेंटर का मैनेजर व मोहम्मद जहांगीर कर्मचारी था। बाकी सदस्य बच्चे खरीदने वाले हैं।
नकली ग्राहक बन किया पर्दाफाश
जुलाई में क्राइम ब्रांच को सूचना मिली कि दिल्ली में आइवीएफ सेंटर से जुड़े कुछ लोग नि:संतान दंपत्तियों को बच्चा बेचने का काम करते हैं। क्राइम ब्रांच की टीम ने नकली ग्राहक बनकर मोहम्मद जहांगीर से 4.30 लाख रुपये में बच्चा खरीदने की डील तय की। जहांगीर ने नकली ग्राहक से 14 अगस्त को नारायणा विहार से बच्चा ले जाने को कहा।
जुलाई में क्राइम ब्रांच को सूचना मिली कि दिल्ली में आइवीएफ सेंटर से जुड़े कुछ लोग नि:संतान दंपत्तियों को बच्चा बेचने का काम करते हैं। क्राइम ब्रांच की टीम ने नकली ग्राहक बनकर मोहम्मद जहांगीर से 4.30 लाख रुपये में बच्चा खरीदने की डील तय की। जहांगीर ने नकली ग्राहक से 14 अगस्त को नारायणा विहार से बच्चा ले जाने को कहा।
पुलिस टीम ने जहांगीर को दबोच लिया
पुलिस टीम व जहांगीर वहां तय समय पर पहुंच गये। कुछ देर बाद एक कार वहां आकर रुकी, जिसमें दो महिलाएं व एक पुरुष था। बच्चा सौंपने के बाद वे लोग तुरंत चले गए। इसके बाद पुलिस टीम ने जहांगीर को दबोच लिया। साथ ही बच्चे को भी बरामद कर लिया। छानबीन से पता चला कि वह बच्चा प्री-मेच्योर यानी 7 महीने में जन्म ले लिया था। बच्चे की हालत गंभीर देख पुलिसकर्मियों ने उसे लेडी हार्डिंग अस्पताल के नर्सरी में भर्ती करा दिया था, जहां 10 दिन बाद ही उसकी मृत्यु हो गई।कोख किराए पर लेती थी
जहांगीर ने बताया कि कविता टोकस की कई अस्पतालों व आइवीएफ सेंटरों से अच्छी जान पहचान है। वह ऐसी महिलाओं को ढूंढ़ती थी जो गर्भवती हो जाने पर बच्चा नहीं चाहती थीं और नि:संतान दंपत्तियों को बच्चे की जरूरत होती थी। ऐसी महिलाएं भी उनके संपर्क में थीं, जिन्हें लाखों रुपये देकर वह उनकी कोख किराए पर लेती थी। बच्चा पैदा होने पर वह दंपत्तियों को बेच देती थी। होती थी बच्चों की खरीद फरोख्त
पुलिस को जानकारी मिली कि कई महीने पूर्व 17 साल की किशोरी द्वारा दिए बच्चे को शकीला ने 20 हजार में खरीदा और उसे 20 हजार में ही मिथिला नाम की महिला को बेच दिया। जहांगीर ने मिथिला से उस बच्चे को खरीदकर राहुल को 4.30 लाख में बेच दिया था। दी जाती थीं पूरी सुविधाएं
कविता के बारे में सबूत मिलने के बाद 20 सितंबर को उसे भी दबोच लिया गया। जांच से पुलिस को पता चला कि कविता अपने सरोगेसी सेंटर में किराए पर कोख लेती है और जरूरतमंद दंपत्तियों को बच्चा पैदा करवा कर बेचती है जो महिलाएं किराए पर कोख देती हैं उन्हें वह एक से दो लाख रुपये देती थी और उनके ठहरने व खाने पीने से लेकर इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराती थी।यहां से मिला आइडिया
कविता की कहानी भी अजीब है। शादी के कई साल बाद उसे संतान पैदा हुई। संतान न होने पर इलाज के लिए उसने काफी भागदौड़ की थी। वहीं उसे यह आइडिया मिल गया कि सरोगेसी सेंटर से काफी मुनाफा हो सकता है। इसके बाद उसने सेंटर खोल अवैध धंधा शुरू कर दिया था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।पुलिस टीम व जहांगीर वहां तय समय पर पहुंच गये। कुछ देर बाद एक कार वहां आकर रुकी, जिसमें दो महिलाएं व एक पुरुष था। बच्चा सौंपने के बाद वे लोग तुरंत चले गए। इसके बाद पुलिस टीम ने जहांगीर को दबोच लिया। साथ ही बच्चे को भी बरामद कर लिया। छानबीन से पता चला कि वह बच्चा प्री-मेच्योर यानी 7 महीने में जन्म ले लिया था। बच्चे की हालत गंभीर देख पुलिसकर्मियों ने उसे लेडी हार्डिंग अस्पताल के नर्सरी में भर्ती करा दिया था, जहां 10 दिन बाद ही उसकी मृत्यु हो गई।कोख किराए पर लेती थी
जहांगीर ने बताया कि कविता टोकस की कई अस्पतालों व आइवीएफ सेंटरों से अच्छी जान पहचान है। वह ऐसी महिलाओं को ढूंढ़ती थी जो गर्भवती हो जाने पर बच्चा नहीं चाहती थीं और नि:संतान दंपत्तियों को बच्चे की जरूरत होती थी। ऐसी महिलाएं भी उनके संपर्क में थीं, जिन्हें लाखों रुपये देकर वह उनकी कोख किराए पर लेती थी। बच्चा पैदा होने पर वह दंपत्तियों को बेच देती थी। होती थी बच्चों की खरीद फरोख्त
पुलिस को जानकारी मिली कि कई महीने पूर्व 17 साल की किशोरी द्वारा दिए बच्चे को शकीला ने 20 हजार में खरीदा और उसे 20 हजार में ही मिथिला नाम की महिला को बेच दिया। जहांगीर ने मिथिला से उस बच्चे को खरीदकर राहुल को 4.30 लाख में बेच दिया था। दी जाती थीं पूरी सुविधाएं
कविता के बारे में सबूत मिलने के बाद 20 सितंबर को उसे भी दबोच लिया गया। जांच से पुलिस को पता चला कि कविता अपने सरोगेसी सेंटर में किराए पर कोख लेती है और जरूरतमंद दंपत्तियों को बच्चा पैदा करवा कर बेचती है जो महिलाएं किराए पर कोख देती हैं उन्हें वह एक से दो लाख रुपये देती थी और उनके ठहरने व खाने पीने से लेकर इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराती थी।यहां से मिला आइडिया
कविता की कहानी भी अजीब है। शादी के कई साल बाद उसे संतान पैदा हुई। संतान न होने पर इलाज के लिए उसने काफी भागदौड़ की थी। वहीं उसे यह आइडिया मिल गया कि सरोगेसी सेंटर से काफी मुनाफा हो सकता है। इसके बाद उसने सेंटर खोल अवैध धंधा शुरू कर दिया था।