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Delhi: महिला सिपाही की हत्या करने वाला हवलदार 2 साल बाद गिरफ्तार, शव को नाले में फेंककर रख दिया था पत्थर

दिल्ली पुलिस की सिपाही मोनिका को अगवा कर उसकी हत्या करने के आरोपित हवलदार सुरेंद्र सिंह को क्राइम ब्रांच ने दो साल बाद गिरफ्तार कर लिया है। हत्या के बाद अपराध को छिपाने के लिए हवलदार की मदद करने वाले बहनोई रविन और फर्जी दस्तावेजों पर सिमकार्ड मुहैया कराने वाले डीलर राजपाल को भी क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है।

By Rakesh Kumar SinghEdited By: Nitin YadavUpdated: Sun, 01 Oct 2023 10:51 PM (IST)
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महिला सिपाही की हत्या करने वाला हवलदार 2 साल बाद गिरफ्तार।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की सिपाही मोनिका को अगवा कर उसकी हत्या करने के आरोपित हवलदार सुरेंद्र सिंह को क्राइम ब्रांच ने दो साल बाद गिरफ्तार कर लिया है। हत्या के बाद अपराध को छिपाने के लिए हवलदार की मदद करने वाले बहनोई रविन और फर्जी दस्तावेजों पर सिमकार्ड मुहैया कराने वाले डीलर राजपाल को भी क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है।

हवलदार की निशानदेही पर क्राइम ब्रांच ने नाले से मोनिका का कंकाल बरामद किया है। कंकाल का मिलान मोनिका के स्वजनों के डीएनए से किया जाएगा। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस ने हवलदार को निलंबित कर दिया है और बर्खास्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

शादी के लिए बनाने लगा दवाब

वर्ष 2018 में पीसीआर यूनिट में नौकरी के दौरान सुरेंद्र और मोनिका की मुलाकात हुई थी। दोस्ती हुई और फिर प्रेम करने लगे। हवलदार ने मोनिका से अविवाहित होने का झूठ बोला था। हवलदार ने शादी करने के लिए मोनिका पर दवाब बना रहा था, लेकिन वह राजी नहीं थी। जिस पर हवलदार ने सितंबर 2021 में मोनिका को अगवा करने के बाद उसकी हत्या कर दी। उसके शव में पत्थर बांधकर बुराड़ी पुश्ता के पास नाले में डुबा दिया गया।

पीसीआर यूनिट में है तैनाती

विशेष आयुक्त क्राइम ब्रांच रवींद्र सिंह यादव के मुताबिक गिरफ्तार हवलदार सुरेंद्र सिंह अलीपुर का रहने वाला है। वर्तमान में उसकी तैनाती पीसीआर यूनिट में है। वर्ष 2012 में वह बतौर ड्राइवर दिल्ली पुलिस में भर्ती हुआ था। उसका बहनोई रविन झज्जर का रहने वाला है। उसने एमडीयू रोहतक से बीकॉम किया है। सिम कार्ड उपलब्ध कराने वाला राजपाल भी झज्जर का रहने वाला है।

ये है मामला

वर्ष 2021 की 20 अक्टूबर मोनिका(28) की गुमशुदगी मुखर्जी नगर थाने में दर्ज की गई थी। शिकायत में बताया गया था कि वह आठ सितंबर, 2021 से लापता है। मोनिका की बहन ने आरोप लगाया था कि घटना के दौरान वह दो माह तक लगातार मुखर्जी नगर थाने और तत्कालीन डीसीपी उषा रंगरानी के कार्यालय के चक्कर काटती रही, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। बहन के पुलिस महकमे में होने के बावजूद वह भटकती रही।

इस वर्ष अप्रैल में मोनिका की मां ने पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा से मिलकर न्याय की गुहार लगाई थी, जिसके बाद अपहरण की धारा में 12 अप्रैल को मुखर्जी नगर थाने में केस दर्ज किया गया और जांच की क्राइम ब्रांच को सौंपी गई। मोनिका का चयन 2020 में यूपी पुलिस के सब-इंस्पेक्टर के लिए हो गया था, जिसके बाद उसने दिल्ली पुलिस से इस्तीफा दे दिया था। इसके साथ ही मुखर्जी नगर स्थित एक पीजी में रहकर सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी भी कर रही थी।

मोनिका के स्वजन को दो साल से किया जा रहा था गुमराह 

हवलदार सुरेंद्र सिंह अपने बहनोई रविन के जरिये मोनिका के बुलंदशहर निवासी स्वजन को फोन करवाकर दिलासा देता रहा कि वह अपनी मर्जी से गई है। पुरुष मित्र के साथ खुशी से रह रही है। उसे ढूंढने की जरूरत नहीं है। इधर, खुद सुरेंद्र केस की तफ्तीश की जानकारी करने के लिए मोनिका के स्वजन के साथ तो कभी अकले मुखर्जी नगर थाने जाता रहा, ताकि पुलिस उस पर शक न करे।

पुलिस के मुताबिक पिछले दिनों सुरेंद्र एक कॉल गर्ल के साथ देहरादून, ऋषिकेश और मसूरी गया था। वह अलग-अलग होटलों में ठहरा। इस दौरान मोनिका की पहचान के दस्तावेज होटल में छोड़ दिए। जिसके बाद होटल प्रबंधन की ओर से मोनिका के स्वजन को कॉल कर दस्तावेज छूट जाने की बात बताई। जिससे स्वजनों को लगा कि मोनिका जीवित है और उनके पास नहीं आना चाहती है।

हवलदार सुरेंद्र को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। उसे जल्द नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा। उसकी बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। -आनंद मिश्रा, डीसीपी पीसीआर

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