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Delhi Crime: पेट्रोल और CNG पंप लगाने के नाम करोड़ों की धोखाधड़ी, दबोचे गए तीन शातिर

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पेट्रोल और सीएनजी पंप लगाने के नाम पर लोगों को ठगने वाले एक मॉड्यूल के तीन शातिरों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने एक व्यवसायी से 2.39 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की थी। पुलिस ने इनके घरों से 60 लाख रुपये नकद दो मोबाइल सिम कार्ड फर्जी आईजीएल पत्र एनओसी चालान एरिया ब्लॉकिंग फीस प्रमाण पत्र आदि जब्त किए हैं।

By Rakesh Kumar Singh Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Mon, 30 Sep 2024 01:05 PM (IST)
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दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने तीन शातिरों को गिरफ्तार किया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पेट्रोल और सीएनजी पंप लगाने के नाम पर लोगों को ठगने वाले एक मॉड्यूल के तीन शातिर को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) ने गिरफ्तार किया है। इन्होंने सीएनजी पंप स्थापित करने के नाम पर एक व्यवसायी से 2.39 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की थी।

आरोपितों के विभिन्न बैंक खातों में जमा 1.79 करोड़ रुपये फ्रीज करा दिया है। इनके घरों से 60 लाख रुपये नकद, दो मोबाइल, सिम कार्ड, फर्जी आईजीएल पत्र, एनओसी, चालान, एरिया ब्लॉकिंग फीस प्रमाण पत्र आदि जब्त किए गए हैं।

प्लॉट पर पेट्रोल पंप लगवाने का वादा

डीसीपी आईएफएसओ हेमंत कुमार तिवारी के मुताबिक 27 मार्च को एक व्यवसायी ने आईएफएसओ में शिकायत कर बताया कि उनके भूखंड पर सीएनजी पंप लगवाने के नाम पर कुछ लोगों ने 2.39 करोड़ की धोखाधड़ी की है। 2021 में पेट्रोल व सीएनजी पंप आवंटन प्रक्रिया के बारे में ऑनलाइन जानकारी लेने के दौरान उनसे दो व्यक्तियों, अमरेंद्र और अमित पांडे ने संपर्क किया था।

उन्होंने खुद को इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के समन्वयक और एजेंट के रूप में प्रस्तुत किया था और कम से कम औपचारिकताओं के साथ सीएनजी पंप लगाने का वादा करके उनसे करोड़ों ठग लिए। फर्जी दस्तावेज जैसे पंजीकरण प्रमाणपत्र, बैंक खाता विवरण और जीएसटी नंबर के साथ चालान तैयार कर उनके पास भेजा गया।

आईजीएल का अधिकारी बनकर लगाया चूना

आईजीएल के अधिकारियों के रूप में प्रस्तुत होकर धोखेबाजों ने उन्हें शिकार बनाया। शिकायत पर जांच के बाद केस दर्ज कर लिया गया। एसीपी जय प्रकाश के नेतृत्व में पुलिस टीम ने पहले पैसे के लेन-देन का पता लगाया। आरोपितों द्वारा प्रस्तुत पंजीकरण और आवंटन दस्तावेजों को आईजीएल से सत्यापित कराने पर सब कुछ फर्जी पाए गए।

इसके बाद अमित कुमार पांडे, अमरेंद्र कुमार और अमर सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। पहचान से बचने के लिए आरोपित अन्य व्यक्तियों के नाम पर लिए गए सिम कार्डों का उपयोग कर रहे थे। उन्होंने शिकायतकर्ता को दस्तावेज़ भेजने के लिए फर्जी ईमेल आइडी भी बनाई थी।

अमित कुमार पांडे इस मॉड्यूल का मास्टरमाइंड है जिसने फर्जी पंजीकरण और आवंटन दस्तावेज बनाया था, जबकि अमरेंद्र कुमार पीड़ित से नकदी एकत्र की थी। अमर सिंह पेट्रोलियम मंत्रालय के पूर्व कर्मचारी है। उसने मध्यस्थ के रूप में काम किया। अमित, पश्चिम विहार, अमरेंद्र, विनोद नगर व अमर सिंह, नोएडा का रहने वाला है।

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