बदायूं में नकली नोट छापने का सेट-अप, दिल्ली में सप्लाई; पुलिस ने पकड़े गैंग के तीन तस्कर; नकली 50 लाख रुपये बरामद
अक्षरधाम लिंक रोड नोएडा पर जाल बिछाकर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भारतीय नकली नोटों की तस्करी करने वाले तीन अंतरराज्यीय तस्करों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से पुलिस ने 500-500 रुपये के 50 लाख रुपये के नकली नोट बरामद किए हैं। यह तीनों तस्कर पिछले पांच साल से इस गोरखधंधे में लगे थे और अभी तक पांच करोड़ रुपये के नकली नोट छापकर तस्करी कर चुके हैं।
जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। अक्षरधाम लिंक रोड नोएडा पर जाल बिछाकर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भारतीय नकली नोटों की तस्करी करने वाले तीन अंतरराज्यीय तस्करों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से पुलिस ने 500-500 रुपये के 50 लाख रुपये के नकली नोट बरामद किए हैं।
यह तीनों तस्कर पिछले पांच साल से इस गोरखधंधे में लगे थे और अभी तक पांच करोड़ रुपये के नकली नोट छापकर तस्करी कर चुके हैं। गिरोह में एक डॉक्टर और सीएससी केंद्र का मालिक शामिल होने का मामला सामने आया है।
अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन के पास करनी थी नोटों की आपूर्ति
विशेष पुलिस आयुक्त विशेष शाखा एचजीएस धालीवाल के अनुसार, 30 दिसंबर को विशेष सूचना प्राप्त हुई कि आसिफ अपने 2-3 साथियों के साथ भारी मात्रा में नकली भारतीय मुद्रा नोट लेकर रात में अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन के पास स्थित लिंक रोड नोएडा के पास पहुंचेगा और वे दिल्ली में अपने अन्य सहयोगियों को इसकी आपूर्ति करेगा।जान बिछाकर तीनों को पकड़ा
इसके बाद टीम का गठन करने के बाद जाल बिछा दिया गया और रात में दस बजे के करीब टीम ने तीन आरोपितों को 500-500 के नोटों के साथ 50 लाख रुपये के नकली नोट बरामद किए। चार दिन के रिमांड के बाद पकड़े गए आरोपितों की पहचान आसिफ अली, दानिश अली और सरताज बदायूं के रूप में हुई।
आसानी से थे पैसे कमाने
आरोपित आसिफ अली ने बताया कि उसका परिवार किसान है और वह एक डॉक्टर के पास काम करता था, लेकिन इसमें गुजारा न होने के कारण वह बड़े स्तर पर पैसा कमाना चाहता था। इसके लिए नकली नोट छापने का प्लान बनाया गया। उसने अपने साथ सहयोगी सरताज खान को शामिल किया और अच्छी गुणवत्ता वाले एफआईसीएन को प्रिंट करने के लिए कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और अन्य कंप्यूटर कार्यों में लिया था।उन्होंने नकली नोटों को स्कैन करने और छापने के लिए उच्च गुणवत्ता वाला सॉफ्टवेयर खरीदा। उनके पुराने मित्र और सहयोगी दानिश अली ने प्रिंटिंग सेट-अप स्थापित करने के लिए सहसवान बदायू में एक गुप्त ठिकाने की व्यवस्था की। आरोपित आसिफ अली के साथ मुद्रा नोटों की छपाई के लिए कागज, स्याही और ''डाई'' सहित कच्चे माल की खरीद करते थे और उनके सहयोगी सरताज खान एफआईसीएन को मुद्रित करने के लिए कंप्यूटर सिस्टम का संचालन किया।
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