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Delhi Crime: 500 से ज्यादा नवजात बच्चों की तस्करी में शामिल था गिरोह का सरगना, कोलकाता से दबोचा

Delhi Crime News दिल्ली पुलिस ने नवजात शिशुओं की तस्करी के एक कुख्यात सरगना को गिरफ्तार किया है। आरोपी पर 20 हजार रुपये का इनाम घोषित था। वह 500 से अधिक नवजात शिशुओं की तस्करी में शामिल रहा है। पुलिस ने उसे कोलकाता से गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान बेगमपुर के संग्राम दास के रूप में हुई है।

By mohammed saqib Edited By: Geetarjun Updated: Sat, 07 Sep 2024 10:56 PM (IST)
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बच्चों की तस्करी में शामिल गिरोह का सरगना गिरफ्तार।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। क्राइम ब्रांच की टीम ने नवजात शिशुओं की तस्करी में शामिल गिरोह के सरगना को गिरफ्तार किया है जो 500 से अधिक नवजात बच्चों की तस्करी में शामिल रहा है। आरोपी पर बीस हजार रुपये का इनाम घोषित था।

आरोपी को पुलिस ने कोलकाता से गिरफ्तार किया गया। उसकी पहचान बेगमपुर के संग्राम दास के रूप में हुई है, जिसे न्यायालय द्वारा भगोड़ा घोषित किया गया था। आरोपी की तलाश में पुलिस की कई टीमें दिल्ली-एनसीआर, ओडिशा और पश्चिम बंगाम में छापेमारी कर रही थीं।

नवजात शिशुओं के साथ थे आरोपी

क्राइम ब्रांच के डीसीपी संजय कुमार सैन के अनुसार, 20 फरवरी को सूचना मिली थी कि जैन नगर एक्सटेंशन के इलाके में नवजात शिशुओं को कथित व्यक्तियों के साथ संदिग्ध परिस्थितियों में देखा गया था। मामले की जांच में मानव तस्करी के सबूत मिले, जिसके बाद कुल नौ लोगों (चार पुरुष और पांच महिला) को गिरफ्तार किया गया।

गिरोह का सरगना संग्राम दास फरार था और न्यायालय ने उसे भगोड़ा घोषित किया था। साथ ही, उसकी गिरफ्तारी पर 20 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया था।

लगातार ठिकाने बदल रहा था आरोपी

आरोपी को पकड़ने के लिए दिल्ली, एनसीआर, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में विभिन्न स्थानों पर छापे मारे गए, लेकिन आरोपी लगातार अपने ठिकाने बदल रहा था। सूचना के आधार पर एसआई अंकुर यादव, एएसआइ रोहित सोलंकी, हेड कांस्टेबल गुरुवेंद्र और नितिन सरोहा की एक टीम ने कोलकाता से आरोपी संग्राम दास को पकड़ लिया।

पूछताछ में उसने बताया कि वह उस गिरोह का सरगना है जो नवजात शिशुओं की मानव तस्करी के जघन्य अपराध में शामिल था। उसने आगे बताया कि वह अपने गिरोह के सदस्यों के साथ मिलकर पंजाब और यूपी से शिशुओं की खरीद-फरोख्त करता था।

गरीब परिवारों को बनाते थे निशाना

आरोपी संग्राम दास और उसके साथियों ने उत्तर भारत में अपना नेटवर्क बढ़ा रखा था। वे जरूरतमंद गरीब परिवारों को निशाना बनाते थे और उनके बच्चों की अच्छी परवरिश का वादा करके उन्हें अपने नवजात शिशुओं को बेचने के लिए लुभाते थे। वे माता-पिता को धोखा देकर अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों और अन्य सार्वजनिक स्थानों से नवजात शिशुओं को भी निशाना बनाते थे।

इसके बाद, गिरोह की महिला सदस्य द्वारा शिशुओं की देखभाल की जाती थी, ताकि संभावित ग्राहक मिलने तक किसी को उन पर चोरी का शक न हो। मानव तस्करों के इस गिरोह के सदस्य दिल्ली और हरियाणा के विभिन्न पुलिस थानों में चार मामलों में शामिल रहे हैं।

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