जामिया के बाहर दीपोत्सव को जुटे छात्रों पर भांजी लाठी, साढ़े तीन घंटे बाद मिली थी अनुमति; यूनिवर्सिटी ने जारी किया बयान
जामिया में 22 अक्टूबर को दीपावाली समारोह के दौरान हुई घटना को लेकर देर रात विश्वविद्यालय प्रशासन ने बयान जारी किया। विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक घटना में बाहरी तत्वों का हाथ है जिन्होंने विश्वविद्यालय के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की। छात्रों को दीपावली मनाने की सशर्त अनुमति दी गई थी। सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था तभी कुछ अज्ञात लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी।
जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के बाहर 22 अक्टूबर की घटना के विरोध में बुधवार को जुटे छात्रों पर पुलिस ने लाठिया भांजी। इस दौरान कुछ छात्रों को हिरासत में ले लिया। इसके बावजूद छात्र विश्वविद्यालय के बाहर दीपोत्सव मनाने पर अड़े रहे।
साढे तीन घंटे चली गहमागहमी के बाद आखिरकार पुलिस ने गेट नंबर 13 पर दीपोत्सव मनाने की अनुमति दी। दीपोत्सव के बाद ही छात्र घर लौटे। वहीं, जामिया के उच्च अधिकारी ने कहा कि हमने थाने में शिकायत की है। उपद्रवियों की पहचान नहीं हो पाई है। सभी की पहचान करके कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
दीये सजाने की चल रही थी स्पर्धा
दरअसल, जामिया मिल्लिया इस्लामिया में 22 अक्टूबर को दीपावली उत्सव के उपलक्ष्य में एबीवीपी के राष्ट्रीय कला मंच की ओर से ‘ज्योतिर्मय 2024’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।विश्वविद्यालय के गेट नंबर सात के पास देर शाम रंगोली प्रतियोगिता के साथ दीये सजाने की स्पर्धा चल रही थी। आरोप है कि इस बीच छात्रों के एक गुट ने न केवल कार्यक्रम का विरोध किया, बल्कि रंगोली को पैरों से मिटा दिया। कहासुनी और विवाद के बाद दोनों पक्ष के सैकड़ों छात्र जुट गए।
इस बीच कार्यक्रम का विरोध कर रहे गुट ने फिलिस्तीन जिंदाबाद के नारे भी लगाए। छात्रों के साथ मारपीट की और कुछ छात्राओं के साथ अभद्रता भी की। घटना के विरोध में एबीवीपी की ओर से शाम 4.30 बजे जामिया विश्वविद्यालय के गेट नंबर सात के बाहर दीपोत्सव मनाने का आह्वान किया। छात्र गुटों में झड़प को देखते हुए सभी गेट के बाहर तैनात पुलिसकर्मी भीड़ जमा ही नहीं होने दे रही थी।
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