तीन नए कानून समझाने के लिए Delhi Police ने बनाया स्टडी मैटेरियल, 8 राज्यों की पुलिस कर रही डिमांड
हाल ही में देशभर में लागू हुए तीन नए कानून को लेकर अब सभी राज्यों की पुलिस (Delhi Police New Criminal Laws) उसे समझने के प्रयास में जुट गई है। दिल्ली पुलिस के तीन नए कानूनों से संबंधी अध्ययन साग्रमी को अब आठ राज्यों की पुलिस ने अध्ययन सामाग्री मांगी है। इससे पहले अरुणाचल प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने दिल्ली पुलिस से नए आपराधिक कानूनों की ट्रेनिंग ली है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस द्वारा अपने कर्मियों के लिए तैयार किए गए तीन नए कानूनों से संबंधित अध्ययन सामग्री अन्य राज्य की पुलिस ने मांगी है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आठ राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, झारखंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू -कश्मीर की पुलिस ने दिल्ली पुलिस से संपर्क किया है। सूत्र ने बताया कि अध्ययन सामग्री कुछ राज्यों के साथ साझा की गई है। इसे जल्द ही अन्य राज्यों के साथ साझा किया जाएगा।
बीएसए एक जुलाई से हो गया लागू
इससे पहले अरुणाचल प्रदेश के पुलिस अधिकारियों के एक बैच ने दिल्ली पुलिस से नए आपराधिक कानूनों पर प्रशिक्षण लिया। देश में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) एक जुलाई से लागू हो गए हैं।
नए कानूनों में करीब 20 नए अपराध जुड़े
नए कानूनों ने क्रमशः ब्रिटिशकालीन भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। धाराओं और प्रविधान में बदलाव के अलावा नए कानूनों में करीब 20 नए अपराध जोड़े गए हैं और 33 आपराधिक मामलों में सजा की अवधि बढ़ाई गई है। दिल्ली पुलिस (Delhi Police) देश की पहली पुलिस में से एक है, जिसने अध्ययन सामग्री प्रकाशित की है, अपने कर्मियों को प्रशिक्षण दिया है और पुस्तिकाएं वितरित की हैं। कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया।जनवरी में दिल्ली पुलिस ने कानूनों का अध्ययन करने और अपने कर्मियों के लिए अध्ययन सामग्री तैयार करने के लिए 14 सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति का नेतृत्व विशेष पुलिस आयुक्त छाया शर्मा ने किया।अधिकारियों के अनुसार, अध्ययन सामग्री के दो प्रमुख घटक - जांच अधिकारियों के लिए प्रपत्रों का संग्रह और एक संदर्भ पुस्तिका (आईपीसी से बीएनएस) - कर्मियों के लिए उनके दैनिक कार्य में सहायक हैं। इस अध्ययन सामग्री को ब्यूरो आफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट की आधिकारिक वेबसाइट पर भी साझा किया जा रहा है, ताकि अन्य राज्य पुलिस भी इसका उपयोग कर सकें।
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