दिल्ली पुलिस के जवानों को सही प्रशिक्षण देने में हो रही है लापवाही, अपराधियों के आगे बेबस दिख रही है खाकी
दिल्ली में बीते दिनों से पुलिस के ऊपर किए बार हमले हो चुके हैं जिसमें पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैं। जबकि शंभु दयाल नाम के एएसआई ने इलाज के दौरान अपनी जान गंवा दी। अब दिल्ली पुलिस को दी जा रही ट्रेनिंग पर सवाल उठ रहे हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली पुलिस के जवानों को उचित प्रशिक्षण देने में बरती जा रही लापरवाही उनकी जान पर भारी पड़ रही है। 20 दिन के भीतर दो पुलिसकर्मियों को घटनास्थल पर बदमाशों ने चाकू मारा है। एक पुलिसकर्मी की मौत हो चुकी है, तो दूसरा अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है।
दिल्ली पुलिस के सिपाही, हवलदार और एएसआइ की कानून-व्यवस्था से जुड़े कार्यों में सबसे अधिक भूमिका रहती है। इन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण देने का प्रविधान हैं, लेकिन इस पर खास ध्यान नहीं दिया जाता है। प्रशिक्षण में बदमाशों को काबू करने, आत्मरक्षा, अपराधियों के चंगुल से पीड़ितों को बचाने आदि की तकनीक सिखाई जाती है। प्रशिक्षण केंद्रों पर कोताही बरती जाती है और समय-समय पर होने वाली ड्रिल के नाम सिर्फ खानापूरी होती दिख रही है।
एसओपी का पालन करना सिखाया जाए
सेवानिवृत्त एसीपी राजेंद्र सिंह बताते हैं कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों, इसके लिए जरूरी है कि निचले रैंक के पुलिसकर्मियों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाए। उन्हें बताया जाए कि विपरीत परिस्थितियों में किस मानक प्रक्रिया (एसओपी) का पालन करना है। सिपाही, हवलदार व एएसआइ रैंक के प्रशिक्षण पर अधिकारी खास ध्यान नहीं देते, जबकि प्रशिक्षण की सबसे अधिक जरूरत इन्हीं कर्मियों को होती है।
हालांकि, पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने 12 जनवरी को अलवर में अत्याधुनिक प्रशिक्षण केंद्र के उद्घाटन में कहा था कि पुलिस के जवानों को सभी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए खुद को तैयार करना होगा। इसके लिए उन्हें उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।
महज दो साल में 700 पुलिसकर्मियों पर हमले
दिल्ली पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2021 और 2022 में दिल्ली पुलिस के 700 से अधिक पुलिसकर्मियों पर ड्यूटी के दौरान हमला किया गया। 2021 में 471 और 2022 में 207 पुलिसकर्मियों पर हमले हुए। इन आंकड़ों में बाहरी उत्तरी जिले में पुलिसकर्मियों पर हुए हमले का विवरण शामिल नहीं है। इन मामलों को शामिल करने पर खाकी पर हुए हमलों की संख्या 700 से अधिक बताई गई। पांच वर्ष में 30 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी के दौरान मौत हुई है।
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