Move to Jagran APP

Delhi Police: पीसीआर कर्मी कर रहे सूचनाओं का खेल, सीपी संजय अरोड़ा बदल सकते पुराना नियम

Delhi Police कुछ महीनों में ही अस्थाना ने हर जिले में साइबर थाने दिल्ली पुलिस एकेडमी आदि की कई सारी यूनिटें खोल दीं। उसके बाद थानों से हटाकर इन जगहों पर पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई। अलग यूनिट होने पर पीसीआर वैन मेंटेनेंस पर भी अधिक निगरानी होती थी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Sun, 21 Aug 2022 12:24 PM (IST)
Hero Image
Delhi Police: थानों के साथ मिलाने पर अब नहीं हो पा रही पीसीआर कर्मियों की कार्यप्रणाली की निगरानी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पीसीआर (पुलिस कंट्रोल रूम, PCR) को थानों के साथ मिलाने से व्यवस्था में सुधार आने के बजाय स्थिति और बिगड़ती नजर आ रही है। पहले काल मिलने पर मौके पर पहुंचने के बाद पीसीआर कर्मी कंट्रोल रूम को हालात की सही जानकारी देते थे, अब काल पर पहुंचने से पहले पीसीआर कर्मी वैन(PCR Van) में मौजूद डिवाइस का बटन दबाकर मौके पर पहुंच जाने की झूठी जानकारी दे रहे हैं।

पीसीआर के अलग यूनिट होने पर आला अधिकारी हर काल के रेस्पांस टाइम की जीपीएस सिस्टम(GPS System) के आधार पर जांच कर उसकी कार्यप्रणाली की निगरानी करते थे, लेकिन थानों के साथ मिलाने पर अब उनकी कार्यप्रणाली पर निगरानी रख पाना संभव नहीं हो रहा है। थानाध्यक्षों के निर्देशानुसार पीसीआर कर्मी हालात के बारे में कई चीजें छिपाते हुए आधी-अधूरी जानकारी कंट्रोल रूम को देते हैं।

ऐसी खामियां मिलने पर माना जा रहा है कि नए पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा(CP Sanjay Arora) पीसीआर को फिर से थानों से अलग करने पर विचार कर सकते हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना(Ex.CP Rakesh Asthana) द्वारा पीसीआर यूनिट को भंग कर उसे थानों के साथ मिलाने का निर्णय सही नहीं था, क्योंकि इसका बेहतर परिणाम नहीं मिला।

हालांकि, अस्थाना ने इस फैसले को बेहतर बताते हुए दावा किया था कि इससे काल रेस्पांस टाइम में कमी आई है, जबकि ऐसा नहीं हुआ। पुलिस अधिकारी का कहना है कि अलग यूनिट होने पर पीसीआर कर्मी मौके पर पहुंचने के बाद कंट्रोल रूम को हालात के बारे में जानकारी देते थे। उसके बाद संबंधित जिले को काल ट्रांसफर किया जाता था। ऐसे में घटना के बारे में कंट्रोल रूम को गलत जानकारी दे पाना संभव नहीं था।

यूनिट के आला अधिकारी हर चीज पर पैनी निगाह रखते थे। अब थानाध्यक्ष के निर्देशानुसार हालात की जानकारी दी जाती है। पीसीआर वैन में डिवाइस और जीपीएस तो अभी भी लगे हैं, लेकिन निगरानी का तंत्र जिले के पास नहीं है। पीसीआर को थाने के साथ मिलाने पर यह दावा भी किया गया था कि इस फैसले से थानों में पुलिसकर्मियों की संख्या भी बढ़ गई। लेकिन, यह दावा भी सही साबित नहीं हुआ।

पीसीआर में अधिकतर 50 साल से ऊपर के कर्मचारी तैनात हैं जो रोज दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग इलाकों से ड्यूटी करने आते हैं। 12 घंटे की ड्यूटी करने पर इन्हें 24 घंटे का आराम दिया जाता है। राकेश अस्थाना ने नियम बनाया था कि पीसीआर कर्मी अपने नजदीकी जिले में ड्यूटी कर सकते हैं। ऐसे में पीसीआर के अधिकतर कर्मियों ने अपना ट्रांसफर करवा लिया।

इसके अलावा कुछ महीनों में ही अस्थाना ने हर जिले में साइबर थाने, दिल्ली पुलिस एकेडमी आदि की कई सारी यूनिटें खोल दीं। उसके बाद थानों से हटाकर इन जगहों पर पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई। अलग यूनिट होने पर पीसीआर वैन के मेंटेनेंस पर भी अधिक निगरानी होती थी। ऐसे में अब नए पुलिस आयुक्त नई और पुरानी व्यवस्था को समझकर उस पर निर्णय ले सकते हैं।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।