SHO की गंदी करतूत, महिला दारोगा को कमरे में बुलाया और फिर...; न्याय के लिए 7 माह से दर-दर भटक रही पीड़िता
Delhi Crime राजधानी दिल्ली में महिला सब इंस्पेक्टर के साथ छेड़छाड़ का मामला प्रकाश में आया है। एक एसएचओ द्वारा महिला दारोगा के साथ बार-बार छेड़छाड़ की गई। पीड़िता ने एसएचओ की गंदी करतूत की शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। पीड़िता को सात महीने दफ्तरों के चक्कर काटते हुए हो गए लेकिन कोई सुन नहीं रहा है। पढ़िए आखिर पूरा मामला क्या है?
राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी की घटना के बाद प्रधानमंत्री से लेकर तमाम न्यायिक संस्थाओं द्वारा महिला अपराध के मामले को बेहद गंभीरता से लेने की बात कही गई, लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में ही इसका पालन होते नहीं दिख रहा है।
पीड़िता दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर पद पर तैनात है तब भी उनकी नहीं सुनी जा रही है। वह सात माह से न्याय के लिए दर-दर भटक रही है। पुलिस विभाग से थक हारकर पीड़िता ने अब न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है।
पीड़िता ने 14 फरवरी को दर्ज कराई थी शिकायत
थानाध्यक्ष की हरकतों से तंग आकर 14 फरवरी को पीड़िता ने दक्षिण जिला के डीसीपी से उनके खिलाफ छेड़खानी करने की शिकायत की थी। जिसके बाद सात मार्च को पीड़िता को पुलिस मुख्यालय बुलाकर यौन उत्पीड़न निवारण समिति के चार सदस्यों की टीम के समक्ष पीड़िता का बयान दर्ज किया था।समिति में डीसीपी व पुलिस प्रवक्ता सुमन नलवा, एडिशनल पुलिस कमिश्नर गीता रानी, डीसीपी क्राइम ब्रांच राकेश पावरिया व एनजीओ कर्मी ज्योति बघेल शामिल थी। बयान के बाद पीड़िता के वाट्सऐप चैट व गवाहों के भी बयान दर्ज किए गए।
एसएचओ का भी बयान दर्ज किया गया
इस दौरान एसएचओ का भी बयान दर्ज किया गया और उनसे साक्ष्य मांगे गए। 22 जुलाई को समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कोई निर्णय नहीं आने पर पीड़िता मानसिक सदमे में पहुंच गई है। अत्यधिक मानसिक तनाव लेने के कारण वह सड़क दुर्घटना में घायल भी हो गई। उनके एक पैर में चोट लगने के कारण ऑपरेशन भी कराना पड़ा।पीड़िता का कहना है कि अगर किसी वर्क प्लेस पर किसी महिला के साथ कोई अपराध होता है तो उनके बयान के आधार पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए। जांच का इंतजार नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन तमाम साक्ष्य देने के बावजूद महिला सब इंस्पेक्टर की नहीं सुनी जा रही है।
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