'दिल्ली में धारा 163 लगाने का आदेश वापस लिया गया', पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया; सौरभ भारद्वाज ने ली चुटकी
दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 30 सितंबर से 5 अक्टूबर तक राजधानी में पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर रोक लगाने वाला आदेश वापस ले लिया गया है। इस आदेश को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 163 के तहत लागू किया गया था। कालकाजी मंदिर के पुजारी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि 30 सितंबर से 5 अक्टूबर तक राजधानी में पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर रोक लगाने वाला आदेश वापस ले लिया गया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को इसकी जानकारी दी। बता दें, कालकाजी मंदिर के पुजारी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
सीजेआई ने वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी से कहा, "सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि पुलिस आयुक्त का आदेश वापस ले लिया गया है।" उन्होंने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया था।
सरकार के फैसले का कई संगठनों ने किया था विरोध
पुलिस आयुक्त द्वारा जारी आदेश में कानून और व्यवस्था के मुद्दों का हवाला देते हुए 30 सितंबर से 5 अक्टूबर तक किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र में पांच या अधिक व्यक्तियों के इकट्ठा होने, हथियार रखने, बैनर, तख्तियां आदि ले जाने या धरना देने पर रोक लगा दी गई है। सरकार के इस फैसले का कई संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया था।रामलीला का आयोजन होता प्रभावित: पुजारी सुनील
बता दें, याचिकाकर्ता पुजारी सुनील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि दिल्ली पुलिस के इस आदेश के कारण तीन अक्टूबर से शुरू होने वाले रामलीला उत्सव नहीं हो पाएंगे। ऐसे में पुलिस के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पुजारी सुनील मानस नमन सेवा सोसायटी के सचिव हैं। यह सोसायटी चिराग दिल्ली के सतपुला मैदान में हर साल रामलीला मेले का आयोजन कराती है।
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