32 वर्ष पुराने मामले में दिल्ली का पुलिसकर्मी बरी, एक हजार रुपये की रिश्वत लेने का है मामला
वर्ष 1991 में एक महिला से उसके पड़ोसी को गिरफ्तार करने के लिए एक हजार रुपये रिश्वत लेने के मामले में पुलिसकर्मी को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिली है। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने पुलिसकर्मी को यह कहते हुए निचली अदालत का आदेश रद्द कर दिया कि रिश्वत की मांग और इसकी स्वीकृति को अभियोजन पक्ष साबित नहीं कर सका।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वर्ष 1991 में एक महिला से उसके पड़ोसी को गिरफ्तार करने के लिए एक हजार रुपये रिश्वत लेने के मामले में पुलिसकर्मी को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिली है। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने पुलिसकर्मी को यह कहते हुए निचली अदालत का आदेश रद्द कर दिया कि रिश्वत की मांग और इसकी स्वीकृति को अभियोजन पक्ष साबित नहीं कर सका।
कोर्ट ने मामले में क्या कहा?
पुलिसकर्मी की अपील याचिका पर अदालत ने कहा कि रिश्वत की मांग और इसके बाद इसकी स्वीकृति को पूरी तरह से साबित किया जाना चाहिए और इसका दायित्य अभियोजन पक्ष पर है। हालांकि, अभियोजन पक्ष प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मामले को साबित करने में नाकाम रहा है।
32 वर्ष पहले हुआ था झगड़ा
अभियोजन पक्ष के अनुसार, शिकायतकर्ता के भाई का वर्ष 1991 में अपने पड़ोसी के साथ झगड़ा हुआ था और उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उस समय संबंधित पुलिस थाने में सब-इंस्पेक्टर के तौर पर तैनात अपीलकर्ता पुलिसकर्मी को मामले की जांच सौंपी गई थी।
यह है मामला
आरोप है कि अपीलकर्ता ने शिकायतकर्ता से उसके पड़ोसी को गिरफ्तार करने के लिए दो हजार रुपये की मांग की और दो किश्तों में राशि का भुगतान करने के लिए कहा। रिश्वत के रूप में पहली किश्त लेने के बाद भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा की गई छापेमारी में पुलिसकर्मी के पास से एक हजार रुपये बरामद किए गए थे।
निचली अदालत ने पुलिसकर्मी को दोषी करार देते हुए एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
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