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Delhi Pollution: पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में आई कमी, फिर क्यों 'जहरीली' हो रही दिल्ली की हवा?

इसी मौसम के दौरान वायु प्रदूषण चरम पर होता है जिससे दिल्ली पंजाब और हरियाणा में उठाए गए नीतिगत उपायों की प्रभावशीलता पर चर्चा शुरू हो जाती है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़ने के लिए भी पंजाब एवं हरियाणा को ही सीधे तौर पर जिम्मेदार माना जाता है लेकिन इस बीच क्लाइमेट ट्रेंड्स नाम की संस्था द्वारा किए गए इस नए विश्लेषण से कुछ रोचक जानकारी सामने आई है।

By sanjeev GuptaEdited By: Nitin YadavUpdated: Tue, 07 Nov 2023 08:32 AM (IST)
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दिल्ली में ग्रेप का चौथा चरण लागू हो गया है। सोमवार को कनाट प्लेस के समीप विशाल इमारत ओझल रही।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। हर साल, दिल्ली में इसी मौसम के दौरान वायु प्रदूषण चरम पर होता है, जिससे दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में उठाए गए नीतिगत उपायों की प्रभावशीलता पर चर्चा शुरू हो जाती है।

हर वर्ष दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़ने के लिए भी पंजाब एवं हरियाणा को ही सीधे तौर पर जिम्मेदार माना जाता है। अभी भी दिल्ली में वायु गुणवत्ता ''गंभीर'' बनी हुई है, लेकिन इस बीच क्लाइमेट ट्रेंड्स नाम की संस्था द्वारा किए गए इस नए विश्लेषण से कुछ रोचक जानकारी सामने आई है।

80 प्रतिशत से ज्यादा पराली जलाने के मामलों में आई कमी

नासा अर्थ VIIRS डेटा और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पराली के मामलों, हवा के बहाव और तापमान की प्रोफाइल आदि जैसे प्रासंगिक डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि 2023 की इसी अवधि की तुलना में एक अक्टूबर से पांच नवंबर 2022 की अवधि के दौरान पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 47.8 प्रतिशत जबकि हरियाणा में 38.04 प्रतिशत की कमी आई है।

कैथल में दर्ज हुईं 189 घटनाएं

सर्वाधिक 46 प्रतिशत की कमी के साथ पंजाब में संगरूर शीर्ष प्रदर्शन करने वाला जिला बनकर उभरा है। वहां साल 2022 में पराली जलाने के 4,287 मामले दर्ज किए गए थे जो इस साल घटकर 2,295 रह गए। वहीं, हरियाणा के कैथल में जहां साल 2022 में 591 घटनाएं रिकॉर्ड की गई थीं, वहीं इस साल वहां कुल 189 घटनाएं दर्ज की गईं।

साथ ही, हवा के बहने के डेटा के विश्लेषण से पंजाब और हरियाणा से आने वाली हवा और दिल्ली में प्रदूषण के स्तर के बीच एक बार फिर एक मजबूत संबंध का पता चलता है। अक्टूबर 2023 में, 81 प्रतिशत समय हवा ने इन राज्यों से प्रदूषण को दिल्ली तक पहुंचाया।

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आपातकालीन स्थिति पर पहुंचा दिल्ली का प्रदूषण

क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बार फिर आपातकालीन स्तर तक पहुंच रहा है। एक्यूआइ का स्तर 400 से अधिक है। विश्लेषण से पता चलता है कि इस प्रदूषण के कई कारक हैं, जैसे हवा के बहाव की गति, पराली का जलना, साल भर की गतिविधियां, मौसम का पैटर्न आदि। जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वो ये है कि दिल्ली को प्रभावित करने वाली 81 प्रतिशत हवा पंजाब और हरियाणा से आती है।"

"अबकी बार इन राज्यों से पराली जलाने के आंकड़ों में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है, लेकिन इन क्षेत्रों से बह कर आने वाली हवा की मात्रा इतनी ज़्यादा है कि वो दिल्ली की वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर देती है।"

आरती ने इस बात पर भी जोर दिया कि बिजली संयंत्रों, उद्योगों, यातायात और निर्माण जैसे साल भर प्रदूषण के स्रोतों पर लगातार सुधारात्मक कार्यवाही करना सार्थक परिणामों के लिए महत्वपूर्ण है।

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