Delhi AIR Pollution: दस सालों में 39 फीसदी बढ़ा दिल्ली का प्रदूषण, सिर्फ पराली ही नहीं; ये कारण भी हैं जिम्मेदार
Delhi Pollution एक अध्ययन में सामने आया है कि 2010 से 2020 के दशक में दिल्ली और आस-पास के एनसीआर क्षेत्रों में परिवहन क्षेत्र से प्रदूषकों का उत्सर्जन बढ़ गया है। बेग के अनुसार वाहनों के उत्सर्जन में गिरावट नहीं हुई है बावजूद इसके दिल्ली में वार्षिक औसत में मामूली सुधार प्रतीत होता है। यह ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान जैसे अल्पकालिक अस्थायी उपायों के कारण हो सकता है।
By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Fri, 27 Oct 2023 06:45 AM (IST)
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। रोना भले पराली का रोया जाता हो, लेकिन सच यह है कि दिल्ली के प्रदूषण में सबसे बढ़ी हिस्सेदारी परिवहन क्षेत्र की है। साल दर साल बढ़ती जा रही वाहनों की संख्या के साथ-साथ इसके धुएं का उत्सर्जन भी लगातार बढ़ रहा है। आलम यह कि एक दशक में यह प्रदूषण 39 प्रतिशत तक बढ़ गया है।
अर्थ सिस्टम साइंस डेटा जर्नल में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में सामने आया है कि 2010 से 2020 के दशक में दिल्ली और आस-पास के एनसीआर क्षेत्रों में परिवहन क्षेत्र से प्रदूषकों का उत्सर्जन बढ़ गया है। यह अध्ययन पेपर 'दिल्ली में प्रमुख वायु प्रदूषण के उत्सर्जन भार में दशकीय वृद्धि'... सफर के संस्थापक परियोजना निदेशक और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एडवांस्ड स्टडीज (न्यास) बंगलुरू के चेयर प्रोफेसर गुफरान बेग, उत्कल विश्वविद्यालय भुवनेश्वर में सहायक प्रोफेसर सरोज कुमार साहू और पूनम मंगराज द्वारा लिखा गया है।
यह भी पढ़ें- Delhi Pollution: दिल्ली में प्रदूषण के लिए वाहन कितना जिम्मेदार, जानिए क्या कहते हैं ये आकड़े?
बेग के अनुसार, वाहनों के उत्सर्जन में गिरावट नहीं हुई है, बावजूद इसके दिल्ली में वार्षिक औसत में मामूली सुधार प्रतीत होता है। यह ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान जैसे अल्पकालिक, अस्थायी उपायों के कारण हो सकता है। लेकिन, स्थायी समाधान के लिए, दीर्घकालिक कदम उठाकर ही इसे कम करने की आवश्यकता है ताकि सी स्रोत से उत्सर्जन कम हो, न कि अस्थायी आधार पर कड़े पुन: प्रतिबंध लगाने का तरीका।
इसमें इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना भी शामिल है। इस अध्ययन पेपर में कहा गया है कि पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में दशकीय वृद्धि क्रमशः 31 और तीन प्रतिशत पाई गई। बेग ने कहा कि 2020 के अनुमान में ''अन्य'' की एक अतिरिक्त श्रेणी शामिल की गई थी। इसमें नगरपालिका ठोस अपशिष्ट जलाने और निर्माण कार्यों जैसे स्रोतों से उत्सर्जन शामिल है।
बेग बताते हैं कि पार्टिकुलेट मैटर और गैसीय प्रदूषक स्तरों में वृद्धि के अलावा, वाहनों में ईंधन के दहन से ब्लैक कार्बन भी उत्सर्जित होता है जो सूर्य से ऊर्जा को अवशोषित कर सकता है और वार्मिंग में योगदान कर सकता है। 2010 से 2020 तक परिवहन क्षेत्र का यह योगदान भी बढ़ा है। इस अध्ययन पेपर में कहा गया है कि औद्योगिक क्षेत्र में 36 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में परिवहन क्षेत्र से उत्सर्जन भार में 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं हवा से उड़ने वाली सड़क की धूल उत्सर्जन में 23 प्रतिशत की कमी आई है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।