रियल टाइम आधार पर प्रदूषण के स्रोतों की पहचान के लिए राउज एवेन्यू के सर्वोदय बाल विद्यालय में सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस सुपरसाइट और मोबाइल एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन की शुरुआत 30 जनवरी को की थी।
दावा था कि रियल टाइम सोर्स अपार्शन्मेंट स्टडी से हर घंटे पता चलेगा कि कहां और किस वजह से प्रदूषण है। साथ ही अगले तीन दिन का पूर्वानुमान मिल सकेगा। वाहन, उद्योग और बायोमास बर्निंग की वजह से किसी क्षेत्र में होने वाले प्रदूषण का पता चलेगा और उससे लड़ने में भी मदद मिलेगी।
मोबाइल बैन की मदद से हॉट स्पॉट एरिया में प्रदूषण के कारणों का पता लगाकर उसे कम करने की कोशिश होगी। हॉट स्पॉट क्षेत्र में प्रदूषण क्यों ज्यादा है, यह पता चलता रहेगा और फिर उसी स्रोत पर ध्यान देते हुए प्रदूषण कम करने की कोशिश होगी। मोबाइल वैन दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में भेजी जाएगी, जिससे हर कोने में प्रदूषण स्रोतों के बारे में पता चल पाएगा। यह एडवांस मशीन लर्निंग माडल के आधार पर अगले तीन दिनों के लिए पीएम- 2.5 स्तरों का पूर्वानुमान बताएगी।
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नहीं पता चल रहे मोबाइल वैन का आंकड़े
इसके अलावा यहां डैशबोर्ड और पोर्टल भी रहेगा। यह सारा कार्य डीपीसीसी की देखरेख में किया जा रहा है। समस्या यह है कि मोबाइल वैन के आंकड़ों का पता ही नहीं चल पा रहा तो अब डैशबोर्ड भी बंद पड़ा है। पिछले तीन दिन से पता ही नहीं चल पा रहा कि दिल्ली के प्रदूषण में किस कारक की कितनी हिस्सेदारी है।
इस समय जबकि दिल्ली में हवा बिगड़ रही है, डैशबोर्ड का कई दिनों तक खराब पड़े रहना चिंताजनक है। एक अहम बात यह कि डैशबोर्ड पर आकाईव भी नहीं है जिससे कुछ दिन पहले की स्थिति पता चल सके। हैरत की बात यह है कि इसकी जानकारी अधिकारियों तक को नहीं है। संपर्क करने पर भी किसी से कोई जवाब नहीं मिलता।सुपरसाइट के प्रभारी आइआइटी कानपुर के प्रो. मुकेश शर्मा फोन ही नहीं उठाते, तो डीपीसीसी की वरिष्ठ विज्ञानी नंदिता मोइत्रा खुद को हर समय बैठक में बताती हैं। यहां तक कि डीपीसीसी के सदस्य सचिव डा. के एस जयचंद्रन ने भी मोबाइल पर संदेश भेजने के बावजूद कोई जवाब नहीं दिया कि यह समस्या क्यों आ रही है और कब तक ठीक हो पाएगी।
खराब श्रेणी में पहुंची हवा की गुणवत्ता
कई दिनों तक ‘मध्यम’ दिल्ली की हवा एक बार फिर से ‘खराब’ श्रेणी में पहुंच गई। बृहस्पतिवार को दिल्ली का एक्यूआइ 200 के पार हो गया। मानसून की वापसी के बाद यह सीजन का तीसरा दिन है, जब वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में रहा।दिल्ली के कई इलाकों का एक्यूआइ 300 के पार यानी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। मानसून की वापसी के बाद छह और सात अक्टूबर को 200 के पार यानी खराब श्रेणी में पहुंच गया था। इसके बाद हवा की गति बढ़ी और प्रदूषक कणों का बिखराव तेज हो गया। लिहाजा, प्रदूषण की स्थिति से राहत मिली, लेकिन बृहस्पतिवार को एक बार फिर से हवा ‘खराब’ श्रेणी में पहुंच गई।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, बृहस्पतिवार को दिल्ली का एक्यूआइ 220 रहा। इस स्तर की हवा को ‘खराब’ श्रेणी में रखा जाता है। एक दिन पहले बुधवार को यह 193 यानी ‘मध्यम’ श्रेणी में रहा था। चौबीस घंटे के भीतर इसमें 27 अंकों की बढ़ोतरी हुई है। अगले दो दिनों के बीच भी वायु गुणवत्ता के लगभग इसी स्तर पर रहने की संभावना है। उधर, एनसीआर के शहरों की बात करें तो फरीदाबाद का 198, गाजियाबाद का 192, ग्रेटर नोएडा का 223, गुरुग्राम का 140, जबकि नोएडा का 178 दर्ज किया गया। ग्रेटर नोएडा का एक्यूआइ ‘खराब’ जबकि अन्य सभी जगह ‘मध्यम’ श्रेणी में रहा।
छह साल में सबसे ठंडी रही गुरुवार की सुबह
मौसमी उतार-चढ़ाव के बीच दिन के समय भले ही गर्मी अभी बरकरार है, लेकिन राजधानी में सुबह और शाम का मौसम सुहाना होने लगा है। इसी कड़ी में बृहस्पतिवार की सुबह छह साल के दौरान सबसे ठंडी रही। मौसम विभाग के मुताबिक, दिल्ली की मानक वेधशाला सफदरजंग में बृहस्पतिवार का अधिकतम तापमान 34.7 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से एक डिग्री ज्यादा है।
वहीं, न्यूनतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री कम 16.4 डिग्री सेल्सियस रहा। अक्टूबर के पहले पखवाड़े में इतना कम तापमान 16.6 डिग्री सेल्सियस नौ अक्टूबर 2018 में दर्ज किया गया था। बृहस्पतिवार को हवा में नमी का स्तर 94 से 42 प्रतिशत तक रहा। मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले दो दिनों तक न्यूनतम तापमान सामान्य से कम, जबकि अधिकतम तापमान ज्यादा ही रिकार्ड होगा।
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