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Delhi AQI today: आप जवाब देते और हम सुनवाई करते रहेंगे; ऐसे हल निकलेगा क्या? प्रदूषण पर SC ने सरकार को लगाई फटकार

Delhi air pollution दिल्ली-एनसीआर में गंभीर हो चुके प्रदूषण के स्तर को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज केंद्र व राज्य सरकारों पर बेहद नाराज नजर आया। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने केंद्र सरकार के साथ ही पंजाब हरियाणा सरकार को प्रदूषण के मामले को गंभीरता से न लेने के लिए कड़ी फटकार लगाई है। केंद्र से ये पूछा आखिर पर्यावरण संरक्षण कानून को लागू क्यों नहीं कर रहे।

By Jagran News Edited By: Pooja Tripathi Updated: Wed, 23 Oct 2024 01:51 PM (IST)
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दिल्ली में प्रदूषण के चलते किया जा रहा पानी का छिड़काव। एएनआई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण (Delhi Poor AQI) के बिगड़ते हालात पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट बेहद सख्त नजर आया। प्रदूषण () को लेकर हुई सुनवाई में आज सर्वोच्च अदालत ने न सिर्फ राज्य बल्कि केंद्र के रवैये को लेकर भी गंभीर टिप्पणियां की हैं।

इसी मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने पिछले हफ्ते भी हरियाणा और पंजाब सरकार को पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए खरी-खरी सुनाई थी। साथ ही दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को भी समन भेजा था।

सबसे पहले केंद्र को लगाई फटकार

मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अभय ओका, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने आज शुरुआत में ही केंद्र सरकार को फटकारा और कहा कि केंद्र ने कोई मशीनरी नहीं बनाई है। पर्यावरण संरक्षण कानून को भी बेकार (toothless दंतहीन) कर दिया गया है।

आपने इस कानून की धारा 15 में बदलाव कर सजा को जुर्माने में बदलकर अपना पीछा छुड़ा लिया है। इसके साथ ही आप जुर्माना लगाने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए वो भी नहीं अपनाई जा रही।

सेक्शन 15 ही एक ऐसी धारा थी जो इस कानून का पालन करवा रही थी। इस पर एएसजी एश्वर्य भाटी ने कहा कि अगले 10 दिन में इस धारा को पूरी तरह ऑपरेशन में ला दिया जाएगा।

कानून आपको सजा का अधिकार दे रहा आप नोटिस भेज रहे

एएसजी ने अदालत को ये भी बताया कि हमने दोनों राज्यों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिस पर उन्होंने बहुत भारी उत्तर दिए हैं।

इस पर जस्टिस ओका बोले, यही तो सबसे परेशानी वाली बात है। कानून आपको अधिकार दे रहा है कि आप सजा दें। हमारे आदेश साफ दिखाते हैं कि आदेशों का पालन नहीं हो रहा। आप अब भी नोटिस ही भेज रहे हैं।

जस्टिस ओका आगे बोले, वो भारी-भरकम रिप्लाई करते रहेंगे और आप उनको सुनवाई का मौका देते रहेंगे और इससे उन्हें आदेशों को चैलेंज करने का मौका मिल जाएगा।

सरकारों में सच में पर्यावरण की फिक्र होती तो...

जस्टिस ओका बोले, अगर यह सरकारें सच में कानून का पालन कराना चाहतीं तो कम से कम एक मामले में सजा तो होती। पिछली बार वकील ने साफ तौर पर कहा था कि शायद किसानों पर कार्रवाई न करने की वजह राजनीतिक हो सकती है। बिल्कुल यह राजनीतिक ही है, इसके सिवाय क्या हो सकता है?

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