Delhi Pollution: आठ साल में सर्वाधिक प्रदूषित रह सकता यह नवंबर, दिल्ली की हवा में सांस लेना हुआ और ज्यादा 'खतरनाक'
सीएसई के मुताबिक प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार की ओर से केवल आपातकालीन कार्रवाई ही पर्याप्त नहीं होगी बल्कि इसे खत्म करने के लिए एक नियोजित कार्यक्रम और इसके बुनियादी ढांचे पर कार्रवाई की जरूरत है। सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी ने कहा इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य का खतरा और बढ़ गया है। दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में अब तक की सबसे कठोर कार्रवाई की जरूरत है।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। वर्ष 2023 का यह नवंबर माह गत आठ वर्षों में सर्वाधिक प्रदूषित रह सकता है। ''गंभीर'' श्रेणी के दिनों की संख्या में यह माह वर्ष 2020 एवं 2022 की बराबरी तो कर ही चुका है।
2019 कभी भी पीछे छूट सकता है तो माह पूरा होने तक 2021 का रिकार्ड भी टूट जाने के आसार हैं। मालूम हो कि माह के 19 दिनों के दौरान इस साल दिल्ली ने आठ दिन ''गंभीर'' श्रेणी का प्रदूषण झेला है। 2022 में यह केवल तीन दिन था तो 2020 और 2021 में आठ आठ दिन था जबकि 2019 में नौ दिन था।
इन कारकों ने प्रदूषण को और भी ‘खतरनाक’ बनाया
सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को लेकर किए गए एक विस्तृत विश्लेषण से आया सामने आया है कि प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों और पराली जलाने की घटनाओं ने इस साल प्रदूषण को और भी ‘खतरनाक’ बना दिया।
विश्लेषण के अनुसार वाहनों, उद्योग, बिजली संयंत्रों, अपशिष्ट जलाने, निर्माण और धूल स्रोतों से उत्सर्जन में कटौती के लिए स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर एक बड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। दिल्ली सरकार इन्हीं कारकों पर लगातार सुधार का दावा तो कर रही है, लेकिन यही प्रदूषण में इजाफे का कारण बन रहे हैं।
विश्लेषण में कहा गया है कि नवंबर की शुरुआत में एक ही दिन के भीतर दिल्ली-एनसीआर में पीएम 2.5 का स्तर आश्चर्यजनक तरीके से 68 प्रतिशत तक बढ़ गया। यह अति गंभीर स्थिति को दर्शाता है। यही नहीं, पिछले साल के मुकाबले इस साल अक्टूबर के पहले हफ्ते में भी दिल्ली में एनओटू भी औसतन 60 प्रतिशत बढ़ गया।
तमाम कार्य योजनाओं के क्रियान्वयन के बावजूद हाटस्पाट अभी भी सबसे अधिक प्रदूषित बने हुए हैं। 2018 में पहचाने गए लगभग 13 हाटस्पाट में से 10 अभी भी एक चुनौती हैं, जबकि नए हाटस्पाट भी उभर रहे हैं और तेजी से बढ़ रहे हैं। मुंडका और न्यू मोती बाग दिल्ली के सबसे प्रदूषित स्थान हैं। दिल्ली के अधिकांश आधिकारिक हाट स्पाट प्रदूषण के गंभीर स्तर को पार कर रहे हैं।
वहीं, कई गैर-हाटस्पाट में प्रदूषण का स्तर अधिक दिख रहा है। जैसे न्यू मोती बाग, नेहरू नगर, सोनिया विहार और डीयू नार्थ कैंपस। वहीं एनसीआर में ग्रेटर नोएडा, नोएडा सेक्टर 62, लोनी और फरीदाबाद एनसीआर में सबसे प्रदूषित स्थान हैं। दिल्ली में नाइट्रोजन डाइआक्साइड का स्तर भी बढ़ रहा है। यह बड़े पैमाने पर वाहनों से आता है।
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का प्रदूषण दिल्ली के नेहरू नगर और सिरी फोर्ट सबसे अधिक रिकार्ड किया गया है। वहीं यह प्रदूषण नोएडा सेक्टर 125 और सेक्टर एक एवं गाजियाबाद के संजय नगर और इंदिरापुरम में सबसे अधिक दर्ज किया गया है।
सीएसई के मुताबिक इन तमाम प्रदूषणों से निपटने के लिए सरकार की ओर से केवल आपातकालीन कार्रवाई ही पर्याप्त नहीं होगी बल्कि इसे खत्म करने के लिए एक नियोजित कार्यक्रम और इसके बुनियादी ढांचे पर कार्रवाई की जरूरत है।
सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी ने कहा, इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य का खतरा और बढ़ गया है। दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में वाहनों, उद्योग, ऊर्जा प्रणालियों व अपशिष्ट प्रबंधन पर अब तक की सबसे कठोर कार्रवाई की जरूरत है।
पिछले कुछ वर्षों में परिवहन और उद्योग क्षेत्रों में ईंधन और प्रौद्योगिकी को साफ करने और धूल स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए गए हैं, लेकिन अभी भी बड़े पैमाने पर कार्रवाई की आवश्यकता है।