Delhi Air Pollution: दिल्लीवासियों को इस साल तीन दिन मिली साफ हवा, ग्रेप में किया गया बदलाव
दिल्ली में स्वच्छता के स्तर में थोड़ा सुधार 2022 में देखने को मिला लेकिन अभी बहुत काम की दरकार है। स्वच्छता सर्वेक्षण में जहां एमसीडी की रैकिंग में मामूली सुधार हुआ तो वहीं नई दिल्ली नगरपालिका परिषद जैसे इलाके में ड्राइंग का गिरना चिंताजनक है।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Wed, 28 Dec 2022 08:21 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पर्यावरण की दृष्टि से वर्ष 2022 पिछले चार वर्षों में फिसड्डी साबित हुआ। पूरे साल में केवल तीन दिन दिल्लीवासियों को साफ हवा मिली। 2019 के बाद से इस साल स्वच्छ हवा वाले दिन घट गए, जबकि खराब हवा वाले दिन बढ़ गए। यमुना प्रदूषित हो गई। इस वर्ष की सबसे अहम घटना ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान में बदलाव एवं सेंट्रल रिज से विलायती कीकर हटाने की प्रक्रिया का शुरू होना रही।
वायु गणवत्ता प्रबंधन आयोग ने इस वर्ष लिए ये निर्णय
दिल्ली एनसीआर में 31 दिसंबर 2022 के बाद गाड़ियों की वैध पीयूसी दिखाने के बाद ही लोगों ईंधन मिलेगा। पीयूसी केंद्रों की निगरानी के लिए 31 मार्च 2023 तक हर छह महीने में इनका आडिट अनिवार्य किया गया है। तेल कंपिनयों, राज्यों की सरकारें और एनसीआर के परिवहन विभागों को यह जानकारी दे दी गई है।दिल्ली के आसपास के चार जिलों मं चल रहे डीजल आटो को 31 दिसंबर 2024 तक बाहर करने का लक्ष्य तय किया गया है। डीजल आटो राजधानी में पहले ही प्रतिबंधित है। अब 2024 के अंत तक यह गुरुग्राम, फरीदाबाद, गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में भी नहीं चल सकेंगे। एनसीआर के अन्य जिलों से इन्हें बाहर करने के लिए 31 दिसंबर 2026 तक की समय सीमा तय की गई है।
दिल्ली और एनसीआर में 31 दिसंबर 2022 के बाद जहां भी पीएनजी सप्लाई नहीं होगी वहां बायोमास ईधन का इस्तेमाल प्रदूषण कंट्रोल सिस्टम के साथ होगा। वहीं 31 दिसंबर 2022 से ग्रेप की अवधि में कोयले का इस्तेमाल दिल्ली एनसीआर में पूरी तरह बंद होगा।सड़कों की धूल कम करने के लिए दिल्ली एनसीआर की सभी सेंट्रल वर्ज के 50 प्रतिशत हिस्से को 2022 के अंत तक और 100 प्रतिशत हिस्से को 2023 के अंत तक पक्का या हरा कर दिया जाएगा। सड़कों के किनारे और साइडवाक के 20 प्रतिशत हिस्से को दिसंबर 22 तक, 50 प्रतिशत हिस्से को दिसंबर 2024 तक और 100 प्रतिशत हिस्से को दिसंबर 26 तक पक्का या ग्रीन कर दिया जाएगा। दिसंबर 22 तक राजधानी में सभी चयनित सड़कों की सफाई मशीनों से होंगी। इसके लिए मशीनों की व्यवस्था करने का लक्ष्य 2026 तक तय हुआ है।
प्रदूषण से यूं चली जंग
एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक की 19 वस्तुओं पर प्रतिबंध लग गया। हालांकि, यह पूरी तरह से लागू नहीं हो सका और विभिन्न स्तरों पर नियमों का उल्लंघन देखा जा रहा है।राउज एवेन्यू में तैयार हो रही सुपर साइट और मोबाइल लैब इस वर्ष भी शुरू नहीं हो पाई। हालांकि, रियल टाइम सोर्स अपोर्शमेंन्ट अध्ययन शुरू हो गया। इससे पता चलेगा कि कहां किस वजह से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
पिछले वर्ष की तुलना में पराली इस साल काफी कम जली। इसलिए इमरजेंसी वाले हालात भी नहीं बने। दिल्ली के गैस चैंबर बनने की स्थिति भी उत्पन्न नहीं हुई।पौधारोपण और स्माग टावर, दोनों की ही रिपोर्ट आई। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के मुताबिक स्थिति संतोषजनक रही। l वन विभाग द्वारा हाई कोर्ट में जमा की गई रिपोर्ट में सामने आया कि दिल्ली में हर घंटे तीन पेड़ काटे जाते हैं।
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