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Coaching Center Death: क्या प्रदर्शन करने वाले छात्रों से मिलने जाएंगे शिक्षक अवध ओझा? जानिए क्या मिला जवाब

Avadh Ojha Interview ओल्ड राजेंद्र नगर में राव आईएएस स्टडी सर्कल के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की डूबने से मौत हो गई। जिनकी पहचान श्रेया यादव तान्या सोनी और नेविन डाल्विन के रूप में हुई है। इसके बाद से छात्रों का प्रदर्शन जारी है। छात्र चाहते हैं कि अवध ओझा उनके प्रदर्शन में शामिल हों और उनकी बातों को सुनें।

By Jagran News Edited By: Geetarjun Updated: Wed, 31 Jul 2024 08:12 PM (IST)
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दैनिक जागरण में इंटरव्यू के दौरान शिक्षक अवध ओझा।
जेएनएन, नई दिल्ली। यूपीएससी की तैयारी कराने वाले शिक्षक अवध ओझा ने कहा कि कोचिंग सेंटर को लेकर सरकार को नियम बनाने चाहिए। ऐसे हादसों को रोकने के लिए सेफ्टी कंप्लाइंस (सुरक्षा अनुपालन) जरूरी होना जरूरी है। उन्होंने दैनिक जागरण से खास बातचीत में तीनों छात्रों की मौत के बाद हो रहे प्रदर्शन पर भी बात रखी। छात्रों की मौत के बाद सोशल साइट एक्स पर ट्रेंड होने पर भी बोले।

उनसे पूछा गया कि वो तीन छात्रों की मौत के बाद प्रदर्शन कर रहे छात्रों से मिलने क्यों नहीं जा रहे हैं?

उन्होंने कहा कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों से 50 मीटर दूर उनका संस्थान है। जो प्रदर्शन की लीड रहे हैं वो 8-10 छात्र उनसे मिलने आते और अपनी बात रखते। अगर वो वो कहते कि अवध ओझा उनके साथ खड़े हो जाएं तो मैं उनकी बात सुनते।

उन्होंने कहा कि भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता। अगर मैं वहां खुद से चाला जाता और कोई अराजकता फैल जाती तो उसका जिम्मेदार मुझे माना जाता। उन्होंने कहा कि मैंने छात्रों की मांगें ड्राफ्ट कीं, उन्हें मैसेज भी किया है।

उनसे जब पूछा गया कि प्रदर्शन करने वाले छात्रों ने कहा कि वह उन्हें सुनते हैं। उन्हें गुरु मानते हैं?

अवध ओझा ने कहा कि मेरे पास मैसेज आया, कि सर हम चाहते हैं कि आप प्रदर्शन में आए। मैंने नाम पूछा, लेकिन उसने अपना नाम नहीं बताया। ओझा ने कहा कि इस तरह मैं नहीं जाऊंगा। उन्होंने कहा कि आंदोलन का एक स्वरूप होता है। उसे कौन लीड कर रहा है। उनकी क्या मांगें हैं।

इसके बाद उन्होंने कहा कि मैंने पहली बार देखा कि जहां घटना घटी, वहां मालिक का कहीं नाम नहीं है, उसकी गिरफ्तारी की मांग नहीं है। राव कोचिंग सेंटर का मालिक ट्रेंड नहीं है। उस व्यक्ति का कहीं कोई नाम नहीं है। नाम सिर्फ अवध ओझा का है। एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) कहीं भी ट्रेंड में नहीं देखी।

उससे (राव कोचिंग सेंटर का मालिक) जवाब मांगा जाए कि ऐसी घटना क्यों घटी? यह घटना तब घटी, जब एक लड़की ने इसकी शिकायत पहले से कर रखी है। एमसीडी में रिमाइंडर डाला फिर भी उसकी आवाज को दबा दी। ट्रेंड राव कोचिंग सेंटर के मालिक और एमसीडी को करना चाहिए था कि, लेकिन पब्लिक को लगा कि ये घटना मैंने कराई है, मेरा नाम ट्रेंड करा दिया।

उनसे पूछा गया कि कई कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में क्लासेस और लाइब्रेरी चल रही हैं। ऐसा कोचिंग सेंटर सिर्फ पैसा कमाने के लिए क्यों कर रहे हैं?

उन्होंने कहा कि राजेंद्र नगर एरिया छोटा है, वहां स्पेस नहीं है। इसका सबसे अच्छा सॉल्युशन है कि छात्र हाइब्रिड मॉल अपनाएं, ऑनलाइन पढ़ाई करें। छात्र अपने शहरों की लाइब्रेरियां ज्वाइन करें। इससे उनका पैसा बचेगा।

दूसरा विकल्प ये है कि या फिर एक नया इलाका बसाओ, नॉलेज पार्क जैसा, जहां सिर्फ इंस्टीट्यूशंस हों, लाइब्रेरियां हों। रेजींडेंसियल एरिया हो।

ऐसे हादसों को कैसे रोका जा सकता है?

अगर क्लास या लाइब्रेरी बेसमेंट में चल रही है तो छात्रों को उसमें पढ़ने से मना कर देना चाहिए। उन्हें पढ़ना ही नहीं चाहिए। कोचिंग सेंटर से कह दिया जाए कि हमें अच्छी व्यवस्था कराई जाए। अगर छात्र ही एक्सेप्ट कर लेंगे तो तो फिर कैसे होगा। छात्र खुद ही आवाज नहीं उठा रहे थे।

कोचिंग माफियाओं पर कैसे रोक लगेगी?

छात्रों को कोचिंग जाना ही नहीं चाहिए। कोचिंग सेंटरों ने ग्लैमर दिखा रखा है। छात्र एक साथ भाग रहे हैं, इससे कोचिंग सेंटर पैसा कमाएंगे ही। छात्र खुद ही कोचिंग सेंटर की ओर भाग रहे हैं। अगर छात्र आएंगे पढ़ने तो कोचिंग सेंटर एडमीशन लेने से मना ही नहीं करेंगे। छात्र डिमांग कर रहे हैं और फिर उसकी सप्लाई भी हो रही है।

इसका रास्ता है कि सरकार को कुछ नियम बनाने चाहिए। रेंट, फीस, ब्रोकरेज का रेगुलेशन करना चाहिए। इससे छात्रों को बहुत सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि अगर सभी लोग उस लड़की के साथ खड़े हो जाते जिसने शिकायत की तो स्थिति नहीं बिगड़ती।

जब उनसे पूछा गया कि क्या वो छात्रों से मिलने जाएंगे?

उन्होंने कहा कि वो बिल्कुल मिलेंगे। मैंने छात्रों से कहा कि वो मेरे इंस्टीट्यूट आएं। 8-10 जो छात्र हैं लीडर अपनी मांगे रखें। वह सरकार के प्रतिनिधि सें मिलेंगे। उनकी मांगों को रखेंगे। सबसे ज्यादा परेशान रूम रेंट की है। मकान मालिक बच्चों को परेशान करते हैं। कई ऐसे भी केस आए हैं, जहां मकान मालिकों ने छात्रों को मारा है।

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