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राजनीति के चक्रव्यूह में घिरी रिंग रेल, बनाना होगा दैनिक यात्रियों का मजबूत विकल्प; इन समस्याओं से होना पड़ रहा दो-चार

नई दिल्ली पुरानी दिल्ली व हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशनों पर पैसेंजर ट्रेनों के आवागमन में कोई दिक्कत नहीं हो इसके लिए 1975 में दिल्ली में रिंग रोड के समानांतर पटरी बिछाकर मालगाड़ी चलाने की शुरुआत की गई थी। कुछ पैसेंजर ट्रेनें भी इस पर चलाई जाती थी। 1982 में एशियाई खेलों के दौरान दिल्ली में इस नेटवर्क पर 36 ट्रेनें चलने लगी थी।

By Santosh Kumar Singh Edited By: Sonu Suman Updated: Mon, 18 Mar 2024 01:56 PM (IST)
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राजनीति के चक्रव्यूह में घिरी रिंग रेल, बनाना होगा दैनिक यात्रियों का मजबूत विकल्प।
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। यातायात जाम की समस्या से जूझ रही दिल्ली के लिए लगभग 35 किलोमीटर लंबा रिंग रेल नेटवर्क दैनिक यात्रियों के लिए बेहतर विकल्प बन सकता है। लोग कम पैसे खर्च कर राजधानी के बड़े क्षेत्र में यात्रा कर सकेंगे।

फरीदाबाद, पलवल, गाजियाबाद व अन्य शहरों से दिल्ली आने जाने वाले यात्रियों के लिए भी यह लाभदायक होगा, क्योंकि रिंग रेल पर छोटे स्टेशनों के साथ ही नई दिल्ली व हजरत निजामुद्दीन जैसे बड़े स्टेशन स्थित हैं। राजधानी में सड़कों पर वाहनों का बोझ कम करने में भी इससे मदद मिलेगी।

मालगाड़ियों के बोझ के चलते पैसेंजर ट्रेनें संभव नहीं

इस उपलब्ध आधारभूत ढांचे को विकसित कर इसे एनसीआर के लोगों के लिए उपयोगी बनाने की दिशा में कुछ कदम बढ़ाए गए, लेकिन केंद्र व राज्य सरकार में तालमेल की कमी के कारण अब तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है। कहा जाता है कि रिंग रेल पर मालगाड़ियों का बोझ अधिक होने के कारण अधिक संख्या में पैसेंजर ट्रेनें चलाना संभव नहीं है।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण से मालगाड़ियों का बोझ कम हो जाएगा, जिससे अतिरिक्त ट्रेनें चलाई जा सकती है। इसमें सांसदों को अपनी भूमिका निभानी होगी। वह रेल मंत्रालय के सामने इस विषय को मजबूती से रखकर इसमें आने वाली बाधा को दूर करा सकते हैं।

मालगाड़ी के लिए बिछाई गई थी समानांतर पटरी

नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली व हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशनों पर पैसेंजर ट्रेनों के आवागमन में कोई दिक्कत नहीं हो, इसके लिए 1975 में दिल्ली में रिंग रोड के समानांतर पटरी बिछाकर मालगाड़ी चलाने की शुरुआत की गई थी। कुछ पैसेंजर ट्रेनें भी इस पर चलाई जाती थी।

1982 में एशियाई खेलों के दौरान दिल्ली में इस नेटवर्क पर 36 ट्रेनें चलने लगी थी। यात्रियों की कमी के कराण आहिस्ता-आहिस्ता इनमें से अधिकांश बंद कर दी गईं। इस समय पांच जोड़ी ट्रेनें चलती हैं। वह भी अधिकांश खाली रहती है। प्रतिदिन इससे लगभग 70 मालगाड़ी गुजरती है।

हजरत निजामुद्दीन से चलकर हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पहुंचने वाली रिंग रेल नेटवर्क पर 21 स्टेशन आते हैं। इसके चारों ओर सैकड़ों आवासीय कॉलोनी व कार्यालय स्थित हैं, फिर भी लोग ट्रेन से यात्रा करना पसंद नहीं करते हैं। अब ट्रेनों की 80 प्रतिशत सीटें खाली रहती हैं। प्रतिदिन इन ट्रेनों से लगभग साढ़े तीन हजार लोग यात्रा करते हैं।

ट्रेनें खाली रहने के कारण

  • स्टेशन से अन्य जगह जाने के लिए सार्वजनिक वाहनों की उपलब्धता नहीं है।
  • मुख्य सड़क से कई स्टेशनों को जोड़ने वाली सड़कों की स्थिति ठीक नहीं है। सुनसान सड़कों पर सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा गया है।
  • रेलवे स्टेशनों पर सुविधाओं का अभाव है।
  • स्टेशन व रेलवे लाइन के आसपास अवैध झुग्गियां स्थित हैं। कई घटनाएं सामने आ चुकी है जिसमें अपराधी ट्रेन में कोई अपराध कर झुग्गियों में छिप जाते है। इस कारण यात्री अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं।
  • कम संख्या में ट्रेनें चलती हैं। इस कारण लोगों को ट्रेन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।
  • लोकल ट्रेनों के विलंब से चलना।

समस्या के समाधान के प्रयास

  1. रेल प्रशासन ने कई वर्ष पहले दिल्ली परिवहन विभाग से मेट्रो फीडर की तर्ज पर रिंग रेल फीडर बस सेवा चलाने का सुझाव दिया था, लेकिन इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ।
  2. वर्ष 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेल से पहले रिंग रेल सेवा को बेहतर बनाने को लेकर काफी चर्चा हुई थी। दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और तत्कालीन रेलमंत्री ममता बनर्जी में इस मुद्दे पर बातचीत भी हुई थी, लेकिन कोई काम नहीं हुआ।
  3. वर्ष 2015 में तत्कालीन केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने रिंग रेल विकसित करने की आवश्यकता जताई थी।
  4. प्रदूषण की समस्या बढ़ने पर वर्ष 2016 में दिल्ली सरकार के तत्कालीन परिवहन मंत्री गोपाल राय ने तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु से मिलकर रिंग रेल के विकास की मांग की थी। बजट में भी इसे विकसित करने की घोषणा की गई थी। उसके बाद रेलवे ने एक समिति बनाई थी, परंतु बात उससे आगे नहीं बढ़ी।
  5. वर्ष 2018 में दिल्ली के सभी सातों सांसद तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल से मिलकर रिंग रेल को विकसित करने की मांग की थी। उसके सांसदों ने इस दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं किया।

हटाना होगा अतिक्रमण

रेलवे का कहना था कि अतिरिक्त पटरी बिछाने के लिए स्टेशनों व पटरी के आसपास से अतिक्रमण हटाना जरूरी है। दिल्ली सरकार के सहयोग के बिना यह संभव नहीं है। स्टेशनों तक आवाजाही की समस्या दूर करने का काम भी राज्य सरकार को करना है।

रिंग रेल स्टेशनों से बढ़ानी होगी मेट्रो की कनेक्टिविटी

दिल्ली में लोगों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल सिस्टम पर बल दिया जा रहा है। मेट्रो स्टेशनों को रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंड से जोड़ने की कोशिश हो रही है। रिंग रेल नेटवर्क पर पड़ने वाले नौ स्टेशन या तो मेट्रो से कनेक्ट हैं या उसके नजदीक हैं। यदि अन्य स्टेशनों को भी इससे जोड़ दिया जाए तो दिल्ली के साथ ही एनसीआर के अन्य शहरों से आने वाले यात्रियों को इसका लाभ मिल सकेगा।

राइट्स से कराया गया अध्ययन

वर्ष 2016 में बजट में रिंग रेल को विकसित करने की घोषणा के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम राइट्स से इसे लेकर अध्ययन कराया गया। उसकी रिपोर्ट के अनुसार यात्रियों के लिए इसे सुविधाजनक बनाने के लिए रेलवे स्टेशनों के विकास, स्टेशन तक आवागमन की समस्या दूर करने, स्टेशनों व पटरियों से अतिक्रमण हटाने के सुझाव दिए थे।

मेट्रो से जुड़े रिंग रेल के स्टेशन

  • दिल्ली सराय रोहिल्ला (रेड लाइन)
  • सदर बाजार (रेड लाइन)
  • नई दिल्ली (यलो लाइन व एयरपोर्ट एक्सप्रेस)
  • प्रगति मैदान (ब्लू लाइन)
  • हजरत निजामुद्दीन (पिंक लाइन)
  • लाजपत नगर (पिंक लाइन व वायलेट लाइन)
  • पटेल नगर (ग्रीन लाइन)
  • कीर्ति नगर (ब्लू लाइन व ग्रीन लाइन)
  • नारायणा विहार (पिंक लाइन)

रिंग रेल नेटवर्क पर स्थित 21 रेलवे स्टेशन

दयाबस्ती, दिल्ली सराय रोहिल्ला, दिल्ली किशनगंज, सदर बाजार, नई दिल्ली, शिवाजी ब्रिज, तिलक ब्रिज, प्रगति मैदान, हजरत निजामुद्दीन, लाजपत नगर, सेवा नगर, पटेल नगर, कीर्ति नगर, नारायणा विहार, इंद्रपुरी, बराड़ स्क्वायर, सरदार पटेल मार्ग, चाणक्यपुरी, दिल्ली सफदरजंग, सरोजनी नगर और लोधी कालोनी।

कम किराया में कर सकते हैं यात्रा

रिंग रेल नेटवर्क पर 10 रुपये न्यूनतम किराया है। 12 रेलवे में न्यूनतम किराया दस रुपये में 35 किलोमीटर लंबी रिंग रेल की यात्रा पूरी की जा सकती है। वहीं, बस व मेट्रो से यात्रा करने पर 25 से 60 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं।

दिल्ली परिवहन निगम व क्लस्टर बस का किराया

  • नॉन एसी बस- पांच रुपये से 15 रुपये
  • एसी बस- 10 रुपये से 25 रुपये
  • मेट्रो किरायाः न्यूनतम 10 रुपये और अधिकतम 60 रुपये

पैसे के साथ समय की बचत

35 किलोमीटर की यात्रा लगभग 90 मिनट में पूरी हो जाती है। राजधानी में जाम के कारण सड़क मार्ग से यात्रा करने में अधिक समय लगता है। रिंग रेल के नजदीक स्थित स्थानों पर कम समय में पहुंचा जा सकता है।

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