Delhi Riots 2020: 'शरजील इमाम की जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई हो', सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली हाईकोर्ट को निर्देश
शरजील इमाम और कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के दंगों के पीछे बड़ी साजिश के मास्टरमाइंड होने के आरोप में यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के कड़े प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि फरवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगों से संबंधित गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम की जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई की जाए। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने कहा कि वह याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत जमानत की भी मांग की गई है।
इमाम के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि जमानत याचिका 2022 से लंबित है, जबकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वह वर्तमान चरण में जमानत के लिए दबाव नहीं डाल रहे हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय 25 नवंबर को मामले की सुनवाई करेगा।
संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका: सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा, "यह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर रिट याचिका है, इसलिए हम इस पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय से अनुरोध करने के लिए स्वतंत्र होगा कि वह जमानत आवेदन पर यथाशीघ्र सुनवाई करे।"आपको यहां तब तक नहीं आना चाहिए, जब तक हाईकोर्ट इस मामले में कोई आदेश ना दे दे। हम आपकी याचिका खारिज कर रहे हैं, क्योंकि यह अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल नहीं किया गया है। अब आप दिल्ली हाईकोर्ट ही जाएं। - जस्टिस बेला एम त्रिवेदी
दिल्ली दंगे का पूरा घटनाक्रम
- शरजील इमाम को जनवरी 2020 में गिरफ्तार किया गया।
- दिल्ली के जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भड़काऊ भाषण देने का आरोप।
- शरजील पर देशद्रोह और यूएपीए के तहत मामला चल रहा है।
- दिल्ली HC ने शरजील की जमानत याचिका पर सुनवाई को टाल दिया था।
- कोर्ट ने सुनवाई के लिए 25 नवंबर की तारीख तय की।
- दिल्ली दंगे के दौरान 53 लोगों की मौत हो गई थी, 700 से ज्यादा घायल हुए थे।
फरवरी 2020 में हुए दंगे में मारे गए थे 53 लोग
बता दें, इमाम और कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के दंगों के पीछे बड़ी साजिश के मास्टरमाइंड होने के आरोप में यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के कड़े प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।
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