Delhi Riots 2020: दिल्ली दंगे से जुड़े मामले में तथ्य बताने में हेड कांस्टेबल से हुई देरी, 9 आरोपित बरी
दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए नौ आरोपितों को बरी कर दिया। एक हेड कांस्टेबल ही घटना में आरोपितों की मौजूदगी बता रहा है उसने भी महत्वपूर्ण तथ्य जांच के दौरान बताने में देरी की है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे में एक व्यक्ति का घर व दुकान जलाने के मामले में शनिवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए नौ आरोपितों को बरी कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल के कोर्ट ने कहा कि संपत्ति में आगजनी की घटना पूरी तरह सच है, पुलिस उन लोगों के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर पाई जिन्हें आरोपित बनाया गया था।
तथ्य बताने में की देरी
एक हेड कांस्टेबल ही घटना में आरोपितों की मौजूदगी बता रहा है, उसने भी महत्वपूर्ण तथ्य जांच के दौरान बताने में देरी की है। ऐसे में दो या उससे अधिक गवाहों का परीक्षण जरूरी है। सिर्फ एक गवाह का बयान पर्याप्त नहीं माना जा सकता। इस कारण आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया जा रहा है।
गोकलपुरी थाना क्षेत्र में चमन पार्क मेन जौहरीपुर रोड पर यतेंद्र कुमार शर्मा के मकान व दुकान में दंगाइयों ने 25 फरवरी 2020 को आग लगा दी थी। इस मामले में पुलिस ने आरोपपत्र में मोहम्मद शाहनवाज उर्फ शानू, मोहम्मद शोएब उर्फ छुटवा, शाहरुख, राशिद, आजाद, अशरफ अली, परवेज, मोहम्मद फैसल और राशिद उर्फ माेनू को आरोपित बनाया था।
इस मामले में अलग-अलग आरोपितों की तरफ से अधिवक्ता जेड बाबर चौहान, मोहम्मद नाजिम और सलीम मलिक ने पैरवी की। कोर्ट ने पाया कि पब्लिक के दो गवाहों ने पुलिस के केस का समर्थन नहीं किया था। पुलिस की ओर से एक एएसआई और एक हेड कांस्टेबल को गवाह के रूप में ट्रायल के दौरान पेश किया गया।
ASI की गवाई पर कोर्ट ने नहीं किया भरोसा
एएसआई की गवाही पर कोर्ट ने भरोसा नहीं किया। कोर्ट ने पाया कि इन आरोपितों को लेकर दो अन्य मामलों में एएसआई का बयान विरोधाभासी रहा है। अंत में एकमात्र गवाह हेड कांस्टेबल विपिन बचा, जिसने दंगाई भीड़ में आरोपितों के शामिल होने की बात करते हुए अपना बयान दिया था।
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कोर्ट ने पाया कि इस गवाह ने सात अप्रैल 2020 को आरोपितों की पहचान की थी, उससे पहले थाने में मौजूद रहते हुए भी कभी इतने महत्वपूर्ण तथ्य को प्रकट नहीं किया।
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