दिल्ली दंगे में आगजनी के आरोप से एक व्यक्ति बरी, पुलिस को 19 शिकायतों की अलग जांच के निर्देश
दिल्ली दंगे में आगजनी के एक मामले में मंगलवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने एक व्यक्ति को बरी कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल के कोर्ट ने संदीप कुमार को बरी करते हुए कहा कि पुलिस यह साबित नहीं कर पाई कि इस घटना को अंजाम देने वाली दंगाई भीड़ में वह शामिल था। कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वह इन 19 शिकायतों की अलग जांच करे।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। दिल्ली दंगे में आगजनी के एक मामले में मंगलवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने एक व्यक्ति को बरी कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल के कोर्ट ने संदीप कुमार को बरी करते हुए कहा कि पुलिस यह साबित नहीं कर पाई कि इस घटना को अंजाम देने वाली दंगाई भीड़ में वह शामिल था।
साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस मामले जोड़ी गई 19 अन्य शिकायतों की ठीक से जांच नहीं हुई है। साथ ही आरोपपत्र और कुछ शिकायतों की अनट्रेस रिपोर्ट एकसाथ दाखिल किए जाने पर हैरानी जताते हुए कहा कि पुलिस की यह गलत प्रैक्टिस है। बिना ठोस आधार के इन शिकायतों को जोड़ दिया गया।
कोर्ट में दाखिल की समग्र रिपोर्ट दाखिल की गई
कोर्ट ने कहा कि अनट्रेस या क्लोजर रिपोर्ट के संबंध में प्रत्येक शिकायतकर्ता को मजिस्ट्रेट के समक्ष जाने का अधिकार है, क्योंकि इस मामले में कई शिकायतों को गलत प्रकार से एकसाथ जोड़ कर जांच की गई और उसकी समग्र रिपोर्ट दाखिल की गई। ऐसे में शिकायतकर्ताओं द्वारा अपने अधिकार का प्रयोग नहीं किया जा सका। कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वह इन 19 शिकायतों की अलग जांच करे।
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दंगाइयों ने कई क्षेत्रों में किया हमला
दंगाइयों ने 25 फरवरी 2020 को करावल नगर थाना क्षेत्र में कई जगह हमला किया था, जिसमें शिव विहार 25 फुटा रोड फेज-10 में शौकीन के घर में तोड़फोड़ के बाद आग लगा दी थी। घर के नीचे दुकान भी जला दी गई थी।
इस मामले को पंजीकृत करने के बाद जांच के दौरान 19 शिकायतें जोड़ी गई थीं। इस मामले में शिव विहार फेज-नौ गली नंबर 11 निवासी संदीप कुमार को आरोपित बनाया गया था। अगस्त 2021 में उसके खिलाफ कोर्ट ने दंगा, चोरी, आगजनी, धमकी देने समेत कई आरोप तय किए थे। ट्रायल के दौरान अभियोजन ने इस केस में चश्मदीद के तौर पर पीड़ित शैकीन और हेड कांस्टेबल अशोक कुमार को पेश किया।
शौकीन के बयानों से कोर्ट ने पाया कि घटना उसके सामने नहीं हुई थी। घटना के वक्त वह लोनी में था। वहीं हेड कांस्टेबल की गवाही पर कोर्ट ने भरोसा नहीं किया। सभी पक्षों को दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने सुदीप कुमार को बरी कर दिया। कोर्ट ने पाया कि शौकीन को छोड़ कर बाकी 19 लोगों की शिकायतों पर जांच नहीं हुई। ऐसे में इन शिकायतों की जांच का निर्देश दिया।
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