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Delhi: राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित होंगी रीतिका आनंद, खिलौने और AI का सहारा लेकर देती हैं शिक्षा

ष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार-2023 के लिए दिल्ली से शिक्षिका रीतिका आनंद का चयन किया गया है। पश्चिम विहार स्थित सेंट मार्क्स सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल कार्यरत शिक्षिका रीतिका को पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। उन्हें शिक्षण के क्षेत्र में 23 वर्षों का अनुभव है। पीजीटी भौतिकी की शिक्षिका रीतिका अपनी अनोखी शिक्षण शैली के लिए विद्यार्थियों के बीच जानी जाती है।

By Ritika MishraEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Sun, 27 Aug 2023 12:20 AM (IST)
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रीतिका को शिक्षण के क्षेत्र में 23 वर्षों का अनुभव है।
नई दिल्ली, रीतिका मिश्रा। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार-2023 के लिए दिल्ली से शिक्षिका रीतिका आनंद का चयन किया गया है। पश्चिम विहार स्थित सेंट मार्क्स सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल कार्यरत शिक्षिका रीतिका को पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। उन्हें शिक्षण के क्षेत्र में 23 वर्षों का अनुभव है।

पीजीटी भौतिकी की शिक्षिका रीतिका अपनी अनोखी शिक्षण शैली के लिए विद्यार्थियों के बीच जानी जाती है। वह विद्यार्थियों को भौतिकी के कठिन से कठिन सूत्र को पल में कहानियों के माध्यम से समझा देती हैं। वो विषय को रोचक बनाने के लिए विद्यार्थियों को कभी खिलौने, कला एकीकरण तो कभी कहानियों, रंगमंच व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर पढ़ाती हैं।

कोरोना के दौरान दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए शुरु की रंगमंच की पाठशाला

रीतिका बताती है कि एक बार उनसे किसी ने पूछा कि शिक्षा के क्षेत्र में वो क्या खास कर रही हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि वो विद्यार्थियों को रंगमंच का सहारा लेकर पढ़ाती है। फिर उनसे पूछा गया कि दिव्यांग विद्यार्थियों के जीवन में उनका क्या योगदान है? तो इसका उनके पास कोई जवाब नहीं था। बस तभी से उन्होंने दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए काम करना शुरु कर दिया।

कोरोना के दौरान उन्होंने इन विद्यार्थियों के लिए रंगमंच की पाठशाला शुरु की। इसमें वो विद्यार्थियों को एक दो लाइनों के डायलाग्स देती थी और उन्हें वो ग्रीन स्क्रीन में रिकार्ड करने को कहती थी। उनके स्कूल में 150 से अधिक दिव्यांग विद्यार्थी हैं। इन विद्यार्थियों से रिकॉर्डिंग लेकर उन्होंने एडिटिंग कर के एक छोटी वीडियो तैयार की। वो विद्यार्थियों को न सिर्फ पाठ्य, बल्कि उन्हें जीवन के अन्य पहलू जैसे अच्छा स्पर्श और बुरा स्पर्श, मूल्य और नैतिकता समेत अन्य मुद्दों पर विद्यार्थियों को जागरुक करती हैं। रीतिका बताती हैं कि उन्हें कहानी सुनाना और थिएटर का शौक बचपन से ही था इसलिए वो अपने इस शौक को पढ़ाने में भी जारी रखे हैं।

वो कहती हैं कि रंगमंच एक ऐसा परफार्मिंग आर्ट जिसमें संगीत है, संवाद है, आलोचनात्मक सोच और टीम निर्माण है। वो वर्ष में 40 से अधिक प्ले कराती हैं। वो कहती हैं बच्चों को सिखाने के लिए रंगमंच सबसे अच्छा माध्यम है।

उन्होंने बताया कि वो अब आने वाले समय में रामायण पर प्ले करेंगी। वो कहती हैं संज्ञानात्मक शिक्षा और विकास के लिए रंगमंच सबसे अच्छा है।

सामाजिक कार्यों में भी अपनाया हाथ

इसके साथ ही वो कई सामाजिक कार्य भी करती है। श्रीलंका में उन्होंने सीता माता के एक मन्दिर में शब्दों को तस्वीरों में उकेरने का कार्य किया है। उन्होंने एनसीईआरटी के लिए माध्यमिक स्तर की कक्षाओं के लिए 47 वीडियो बनाए हैं जो ई-विद्या चैनल पर अपलोड हैं। इसमें उन्होंने कहानियों के माध्यम से विषय को पढ़ाया है।

वो कहती हैं कि उनके यहां तक के सफर में उनके पति राजेश आनंद का हमेशा सहयोग रहा है। इसके पहले वो वर्ष 2021 में सीबीएसई उत्कृष्टता पुरस्कार और 2022 में राज्य शिक्षक पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुकी है।

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