धमाके से दुकानों और कारों के शीशे टूटे
धमाका ऐसा था कि तीन-चार किलोमीटर दूर तक इसकी आवाज सुनाई दी और करीब 20 मिनट तक हवा में सफेद धुएं का गुबार फैला रहा। धमाके से आसपास की कई दुकानों, कार्यालयों व कारों के शीशे टूट गए।
स्कूल की दीवार क्षतिग्रस्त हो गई और माहौल में काफी देर तक तीखी गंध आती रही। गनीमत थी कि रविवार होने के कारण स्कूल बंद था और सुबह 7:45 बजे दीवार के आसपास लोग मौजूद नहीं थे, जिससे कोई हताहत नहीं हुआ।
जांच एजेंसियां इसे त्योहारों पर दहशत फैलाने की कोशिश के रूप में देख रही हैं। प्रशांत विहार थाने में भारतीय न्याय संहिता और विस्फोटक अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। केस को स्पेशल सेल या एनआईए को सौंपा जा सकता है। गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगी, जिसपर प्रारंभिक रिपोर्ट उसे भेज दी गई है।
धमाके में विस्फोटक की सूचना पर पहुंची NSG व NIA की टीम
धमाके की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस के साथ ही दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच, स्पेशल सेल व साइबर विंग, फोरेंसिक लैब की टीमें, एनडीआरएफ, फायर ब्रिगेड, कैट एंबुलेंस, डाग स्क्वाड और बम निरोधक दस्ता मौके पर पहुंच गया। धमाके में विस्फोटक के इस्तेमाल का पता चलने पर एनएसजी व एनआईए की टीमें भी बुला ली गईं।
एनएसजी अपने साथ रोबोटिक मशीन व काकर स्नाइपर डाग लेकर पहुंची। इन कुत्तों में सूंघने की क्षमता दूसरे कुत्तों के मुकाबले अधिक होती है। केंद्रीय एजेंसियों के विशेषज्ञों ने पांच घंटे तक मौके पर रहकर वहां से सफेद रंग के पाउडर, तारनुमा कुछ चीजों समेत अन्य नमूने उठाए और पास में खाली जगह पर ले जाकर उनकी जांच की।
धमाके में किया गया रसायनों का इस्तेमाल
स्पेशल सेल के एक अधिकारी का कहना है कि मौके से टाइमर, डेटोनेटर, बैटरी, घड़ी आदि नहीं मिले हैं। धमाके में रसायनों का इस्तेमाल किया गया है। जांच में शुरुआती तौर पर धमाके में नाइट्रेट, क्लोराइड व पोटैशियम के इस्तेमाल का पता चला है, जिसे उच्च श्रेणी का विस्फोटक नहीं माना जाता है।
यह देसी यानी क्रूड बम जैसा भी नहीं लग रहा है, क्योंकि क्रूड बम में शीशा, कील व छर्रे आदि का इस्तेमाल किया जाता है। जांच में रेडियो एक्टिव पदार्थ जैसा भी कुछ नहीं मिला। उनके अनुसार, जांच एजेंसियां इस धमाके को स्कूलों, अस्पतालों और विमानों में बम विस्फोट की धमकियों के साथ जोड़कर भी जांच कर रही हैं, इसीलिए जांच में दिल्ली पुलिस की साइबर विंग को भी शामिल किया गया है।
10 महीने पहले भी हुआ था ऐसा धमाका
रोहिणी जिले के डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि धमाका किस प्रकार का था। विशेषज्ञ टीम घटना की विस्तृत जांच कर रही है। जल्द ही स्थिति स्पष्ट होगी। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 26 दिसंबर को इजरायली दूतावास के पीछे भी इसी तरह का धमाका हुआ था।
10 महीने में दूसरा धमाका
10 महीने में एक ही तरह का यह दूसरा धमाका है। इस बीच, देश में कई स्थानों पर रेल पटरियां अवरुद्ध कर ट्रेन पलटाने के प्रयास किए गए हैं और राजधानी सहित देश के कई हिस्सों में स्कूलों व अस्पतालों में बम धमाके की धमकी भरे मेल आते रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से विमानों को बम से उड़ाने की धमकियां भी दी जा रही हैं, जिनसे विमान सेवा प्रभावित हो रही है।
50 मीटर की दूरी पर खड़े थे 20 लोग
घटनास्थल से महज 50 मीटर की दूरी पर पूड़ी-सब्जी की एक मशहूर दुकान है। यह दुकान रोजाना की तरह सुबह छह बजे खुल गई थी। जिस समय धमाका हुआ, यहां कारें खड़ी कर दुकान के पास करीब 10 से 12 लोग पूड़ी-सब्जी का स्वाद ले रहे थे। वहीं, दुकानदार और उनके आठ से 10 कर्मचारी भी थे, तभी जोरदार धमाका हुआ। धमाके से दुकानों पर लगे लगे सीसीटीवी कैमरे गिर गए या उनकी दिशा बदल गई।
सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई घटना
धमाके की पूरी घटना सड़क के दूसरी तरफ दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। फुटेज में दिख रहा है कि सुबह 7:45 बजे स्कूल के सामने वाली सड़क पर लोग वाहनों से आवाजाही कर रहे हैं। तभी स्कूल की दीवार के पास पहले चिंगारी उठी, फिर जोरदार धमाका हुआ। इसके बाद चारों तरफ धुआं फैल गया।