केंद्रीय सचिव की सैलरी के बराबर कैसे हो गया गोपाल मोहन का एक रुपये का वेतन, सेवा विभाग ने शुरू की जांच
दिल्ली सरकार के डीडीसीडी में कार्यरत कार्यरत गोपाल मोहन का वेतन एक रूपये महीने से कैसे केंद्रीय सचिव के वेतन के बराबर हो गया। इसको लेकर सेवा विभाग ने इस पर सवाल उठाते हुए इस मामले की जांच शुरू कर दी है। सेवा विभाग जांच कर जल्द ही इस बारे में उपराज्यपाल को रिपोर्ट सौंपेगा। वहीं दिल्ली सरकार ने कहा कि एलजी दिल्ली को बर्बाद करने में लगे हुए हैं।
By V K ShuklaEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Sun, 03 Sep 2023 01:54 AM (IST)
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली सरकार के संवाद एवं विकास आयोग (डीडीसीडी) में कार्यरत गोपाल मोहन का वेतन एक रूपये महीने से कैसे केंद्रीय सचिव के वेतन के बराबर हो गया, दिल्ली सरकार के सेवा विभाग ने इस पर सवाल उठाते हुए इस मामले की जांच शुरू कर दी है और इस बारे में योजना विभाग से जवाब मांगा है। योजना विभाग को लिखे 11 पृष्ठ के पत्र में सेवा विभाग ने इस बारे मेें सात दिन के अंदर जवाब देने के लिए कहा है।
दिल्ली सरकार ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
गोपाल मोहन सहित डीडीसीडी के तीन गैर-आधिकारिक सदस्यों में से दो का वेतन इस समय प्रति व्यक्ति तीन लाख 80 हजार रुपये प्रति माह है। सेवा विभाग जांच कर जल्द ही इस बारे में उपराज्यपाल को रिपोर्ट सौंपेगा।उधर दिल्ली सरकार ने इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया दी है, दिल्ली सरकार ने कहा है कि सेवा कानून की आड़ में एलजी दिल्ली को बर्बाद करने में लगे हुए हैं।
सेवा विभाग ने प्रधान सचिव वित्त व योजना विभाग के डीडीसीडी के गैर-आधिकारिक सदस्यों द्वारा भारत सरकार के सचिव के समान वेतन मिलने के बारे में समीक्षा किए जाने की बात कही है। पत्र में 11 अगस्त को अधिसूचित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 का जिक्र किया गया है।जिसके अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधान सभा द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के लिए प्राधिकरण धारा 45एच के प्रविधानों के अनुसार उपराज्यपाल द्वारा गठन या नियुक्ति या नामांकन के लिए उपयुक्त व्यक्तियों के एक पैनल की सिफारिश करेगा।
उपमुख्यमंत्री ने प्रस्तावित किया था गोपाल मोहन का नाम
पत्र के अनुसार उपमुख्यमंत्री ने नौ मार्च 2020 को गोपाल मोहन का नाम डीडीसीडी में प्रस्तावित किया था। मंत्री ने नौ मार्च 2020 को ही इसकी मंजूरी दे दी थी। कैबिनेट नोट्स में तीन गैर-सरकारी सदस्यों की स्थिति का संकेत दिया गया है। अन्य सदस्यों यानी अश्वथी मुरलीधरन और विजया चंद्र वुप्पुतुरी की डीडीसीडी के सदस्य के रूप में उसी नोट में मंजूरी दी गई थी। बिना यह उल्लेख किए कि उन्हें केंद्र सरकार के सचिव के बराबर वेतन दिया जाएगा या नहीं।
पत्र में आरोप लगाया गया है कि पहले इन सदस्यों को मानद पद के रूप में एक रुपये वेतन दिया गया। फिर इन्हें टीए/डीए देना शुरू किया गया। सुपर टाइम स्केल (एसटीएस) और उसके बाद दिल्ली सरकार के सचिव के बराबर वेतन का फैसला किया गया और उसके बाद केंद्र सरकार के सचिव के बराबर वेतन निर्धारित किया गया है।
इस मामले में वेतन विकल्प का प्रयोग सरकार द्वारा नहीं किया गया और न ही योजना विभाग/डीडीसीडी के वेतन और लेखा अधिकारियों द्वारा फाइल पर विचार-विमर्श किया गया। तत्कालीन मुख्यसचिव ने इस मामले में सर्च कमेटी के गठन का प्रस्ताव रखा। समिति द्वारा यह वेतन पर सुझाव दिए जाने थे, आराेप है कि इसे भी नहीं माना गया।
पत्र में सवाल उठाया गया है कि इन तीन गैर-आधिकारिक सदस्यों को मुद्दे की जांच किए बिना अवैध रूप से वेतन और भत्ते दिए गए। पत्र के अनुसार फ़ाइल पर की गई कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि डीडीसीडी के गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति के इस तार्किक और उचित प्रस्ताव को मनमाने ढंग से नजरअंदाज कर दिया गया। ऐसा करते हुए उपराज्यपाल द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट को भी नजरअंदाज कर दिया गया।
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- गोपाल मोहन -3,80,250/-
- अश्वथी मुरलीधरन 3,80,250/-
- विजया चंद्र वुप्पुतुरी 3,19,500/-