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वेस्ट टू बेस्ट का अनुपम उदाहरण है दिल्ली का शहीदी पार्क, स्वर्णिम युग से आजादी तक की बता रहा कहानी; खास बातें

Delhi Shahidi Park आठ करोड़ रुपये की लागत से बने पार्क में 150 मीट्रिक टन कबाड़ का उपयोग किया गया है। शहीदी पार्क को और भी बेहतर तरीके से बनाया गया है। यहां आंगतुक इतिहास के साथ कला के अदुभुत कार्य को भी देख सकेंगे। यहां आगंतुकों को चापेकर बंधु लाल बाल पाल खुदीराम बोस सावरकर रास बिहारी बोस महात्मा गांधी की कलाकृतियां देखने को मिलेंगी।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Wed, 09 Aug 2023 08:00 AM (IST)
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शहीदी पार्क दिल्ली में कबाड़ से विकसित किए जा रहे वेस्ट टू बेस्ट पार्क का अनुपम उदाहरण है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Shahidi Park : आइटीओ में नगर निगम की ओर से विकसित शहीदी पार्क दिल्ली में कबाड़ से विकसित किए जा रहे वेस्ट टू बेस्ट पार्क का अनुपम उदाहरण है। शहीदी पार्क ऐसा तीसरा पार्क है। ऐसे दो पार्क और बने हैं। इनमें भारत दर्शन पार्क वेस्ट से तैयार किया गया है।

आठ करोड़ रुपये की लागत से बने पार्क में 150 मीट्रिक टन कबाड़ का उपयोग किया गया है। शहीदी पार्क को और भी बेहतर तरीके से बनाया गया है। यहां आंगतुक इतिहास के साथ कला के अदुभुत कार्य को भी देख सकेंगे।

पार्क भ्रमण के 11 भाग हैं। इनमें स्वर्ण युग में ईसा पूर्व 315 से सन 1044 तक के भारत के युग की झलक देखने को मिलेगी। सबसे पहले शकुंतला पुत्र भरत और भारत माता की विशाल मूर्ति से रूबरू होंगे।

इसके बाद विदेशी आक्रमणों और इनसे लोहा लेने वाले वीरों के बारे में जानकारी मिलेगी। आगे मराठा साम्राज्य के प्रमुख छत्रपति शिवाजी, संभाजी महाराज, पेशवा, महादजी सिंधिया आदि के बारे में जान सकेंगे। इसके सिख साम्राज्य के बारे में जानकारी दी जाएगी।

स्वाधीनता संग्राम के नायकों से होंगे परिचित

इसके बाद स्वाधीनता संग्राम 1818 से 1858 के इतिहास और नायकों से परिचित कराया जाएगा। इसके बाद जन आंदोलन संस्कृति व समाजिक जागरण और स्वदेशी आंदोलन (1770 से 1990) के बारे में जानने को मिलेगा।

आगे बढ़ने पर क्रांतिकारी आंदोलन के प्रथम चरण (1869 से 1947) के इतिहास के बारे में जानने को मिलेगा। यहां आगंतुकों को चापेकर बंधु, लाल, बाल, पाल, खुदीराम बोस, सावरकर, रास बिहारी बोस, महात्मा गांधी की कलाकृतियां देखने को मिलेंगी।

स्वतंत्रता तक के इतिहास से रूबरू होने के बाद भारतीय संविधान के निर्माताओं और विभिन्न रियासतों के भारत में विलय की कहानी के बारे में जानने का मौका मिलेगा। यहां पं. जवाहर लाल नेहरू, संविधान निर्माता बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर, सरदार बल्लभ भाई पटेल की मूर्तियां और इतिहास के बारे में जानकारी मिलेगी।

बनाई गई है खास दीर्घा

शहीदी पार्क में एक खास दीर्घा बनाई गई है। इसमें भारत के स्वाधीनता संग्राम में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले बच्चे, महिलाओं और कवियों के बारे में जानकारी दी गई है।

इसमें झलकारी बाई, झलकारी बाई, दुर्गा भाभी, क्वैली मंतांगनी हजारी, भीकाजी कामा, तारा रानी बिनदास, रानी गाइदिन्ल्यू, कनकलता बरूआ, कवि रविंद्र नाथ टैगोर, बंकिम चंद्र चटर्जी, वैनकेया, सुब्रह्मण्य भारती, माखन लाल चतुर्वेदी, श्याम लाल गुप्ता, ज्योति प्रसाद अग्रवाल और रामधारी सिंह दिनकर समेत अन्य कवियों की मूर्तियां देखने मिलेंगी।

इसके अलावा, बाल चरित्र के रूप में बालक शंकराचार्य, शिवाजी संग जीजाबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, एपीजे अब्दुल कलाम और शहादत दिवस से संबंधित कुछ मूर्तियां देखने को मिलेंगी।

पार्क की विशेषताएं

  •  4.5 एकड़ में फैला है शहीदी पार्क
  • 250 टन स्क्रैप का इस्तेमाल इसे बनाने में किया गया है।
  • 10 कलाकारों और 700 कारीगरों ने छह महीने तक वेस्ट टू आर्ट के तहत इसे बनाया है।
  • पार्क लगी कलाकृतियों में वेस्ट मेटिरियल लोहे के खराब सामान, बिजली के खंभे, पुरानी कारें, ट्रक, पार्को की ग्रिल, ऑटो मोबाइल पार्ट और पाइप समेत अन्य वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया है।
  • पार्क की सुंदरता बढ़ाने के लिए चम्पा, फाइकस बैनजामिना, फरकेरिया, ऐरिका पाम, सिंगगोनियम समेत अन्य प्रजाति के 56 हज़ार पेड़-पौधे लगाए गए हैं।
  • आगंतुकों के लिए स्मारिका की दुकान व फूड कियोस्क बनाए गए हैं।
  • पार्क को आठ हिस्सों और तीन चित्रशालाओं में बांटा गया है।
  • 15 करोड़ रुपये की लागत से इसे बनाया गया है। l 144 टू डी और 22 थ्री डी इमेज इसमें बनाई गई हैं।

शहीदी पार्क में पार्टी गठन का हुआ था निर्णय

जिस हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकशन एसोसिएशन की स्थापना भगत सिंह और दूसरे क्रांतिकारियों ने की थी। उस पर सहमति भगत सिंह और आजाद के नेतृत्व में शहीदी पार्क में ही बनी थी। नौ अगस्त 1994 को विपक्ष के नेता के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी और तत्कालीन मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना ने पार्क की शुरुआत की थी।

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