Delhi Heat: अक्टूबर के अंत में दिल्ली में पड़ी एक दशक की सबसे ज्यादा गर्मी, अगले तीन दिनों तक ऐसा ही रहेगा मौसम
दिल्ली में अक्टूबर के आखिर में भीषण गर्मी पड़ रही है। पिछले एक दशक में पहली बार ऐसा हुआ है जब अक्टूबर के आखिर में इतनी गर्मी पड़ी हो। अधिकतम तापमान 36.1 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 21.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि अगले तीन दिनों तक दिल्ली का तापमान सामान्य से ज्यादा ही रहेगा।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। कोई पश्चिमी विक्षोभ नहीं आने और कमोबेश हर रोज ही पूरे पूरे दिन तेज धूप निकलने के कारण इस बार अक्टूबर महीने के आखिर में भी खासी गर्मी देखने को मिल रही है। आलम यह है कि अधिकतम एवं न्यूनतम दोनों तापमान सामान्य से पांच पांच डिग्री ऊपर जा रहा है।
अभी अगले सप्ताह भर तक इस स्थिति में अधिक बदलाव के आसार भी नहीं हैं। ऐसे हालात बीते एक दशक में पहली बार बन रहे हैं। गर्मी की चुभन से बचने के लिए अभी तक एसी एवं पंखे भी चल रहे हैं।
हवा में नमी का स्तर 94 से 48 प्रतिशत
दिन भर खिली रही तेज धूप के बीच बुधवार को दिल्ली का अधिकतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री ऊपर 36.1 डिग्री सेल्सियस रहा। न्यूनतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री ऊपर 21.0 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। इस माह के अंत में इतना अधिक तापमान पिछले दशक भर में कभी नहीं गया। वहीं हवा में नमी का स्तर 94 से 48 प्रतिशत रहा।मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि बृहस्पतिवार को सुबह के समय धुंध होगी जबकि दिन भर आसमान साफ रहेगा। धूप भी निकली रहेगी। अधिकतम तापमान 36 जबकि न्यूनतम 21 डिग्री सेल्सियस रहने के आसार हैं। अगले तीन दिनों में भी दिल्ली का तापमान सामान्य से ज्यादा ही रहेगा।
प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी कम
वहीं, दिल्ली की हवा में अभी पराली के धुएं की हिस्सेदारी बहुत ज्यादा नहीं है। इसके बावजूद दिल्ली की हवा 'खराब' या 'बहुत खराब' श्रेणी में चल रही है। इसके पीछे मुख्य तौर पर स्थानीय कारक जिम्मेदार है। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वॉयरमेंट (सीएसई) ने बुधवार को जारी विश्लेषण में इसका दावा किया है। सीएसई के मुताबिक दिल्ली की हवा में अभी पराली जलने के चलते होने वाले पीएम 2.5 प्रदूषक की हिस्सेदारी सिर्फ 4.44 प्रतिशत के लगभग ही है।हवा लगातार 'खराब' या 'बहुत खराब' श्रेणी में
इसके बावजूद दिल्ली की हवा लगातार 'खराब' या 'बहुत खराब' श्रेणी में है। इसलिए प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों को ज्यादा जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। सीएसई के मुताबिक दिल्ली में रोजमर्रा के दिनों में होने वाले प्रदूषण का आधा हिस्सा वाहनों के चलते हो रहा है। जबकि 13 प्रतिशत प्रदूषण घरेलू बर्निग (आग जलाने आदि) से और 11 प्रतिशत प्रदूषण उद्योगों के धुएं की वजह से हो रहा है। निर्माण स्थलों की धूल की हिस्सेदारी सात प्रतिशत के लगभग है।
सीएसई का कहना है कि प्रदूषण के लिए केवल पराली को जिम्मेदार ठहराकर बचा नहीं जा सकता है। प्रदूषण की रोकथाम के लिए वाहनों से होने वाले प्रदूषण में कमी लाने के साथ-साथ घरों में जल रहे ईंधन, उद्योगों के उत्सर्जन और निर्माण गतिविधियों से होने वाले धूल प्रदूषण की रोकथाम करना भी बहुत जरूरी है। यह भी पढ़ें- Delhi Pollution: दीवाली पर दिल्ली की हवा हुई 'बहुत खराब', आतिशबाजी के कारण AQI 'गंभीर' श्रेणी में पहुंचने की आशंका
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