Congress Delhi Candidates: कन्हैया कुमार और उदित राज का प्रदेश कांग्रेस में ही था विरोध, चाहते थे स्थानीय प्रत्याशी
दिल्ली की सात लोकसभा सीटों के संग्राम में कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी तो घोषित कर दिए लेकिन खासी जद्दोजहद के बाद भी नामों पर सर्वसम्मति नहीं बन पाई। उत्तर पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार और उत्तर पश्चिमी दिल्ली से उदित राज के नाम पर प्रदेश कांग्रेस का खासा विरोध था लेकिन पार्टी आलाकमान ने प्रदेश के विरोध को दरकिनार कर इन दोनों को टिकट दे दिया।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली की सात लोकसभा सीटों के संग्राम में कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी तो घोषित कर दिए, लेकिन खासी जद्दोजहद के बाद भी नामों पर सर्वसम्मति नहीं बन पाई। उत्तर पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार और उत्तर पश्चिमी दिल्ली से उदित राज के नाम पर प्रदेश कांग्रेस का खासा विरोध था, लेकिन पार्टी आलाकमान ने प्रदेश के विरोध को दरकिनार कर इन दोनों को टिकट दे दिया।
यही वजह है कि टिकटों की घोषणा के साथ ही दिल्ली कांग्रेस के तमाम नेताओं का मुंह फूल गया है। खुलकर तो कोई नहीं बोल पा रहा, लेकिन जिस टोन में बोल रहे हैं उससे साफ है कि टिकट बंटवारे से संतुष्ट नहीं हैं।
कन्हैया कुमार का हो रहा था विरोध
प्रदेश कांग्रेस के स्तर पर उत्तर पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार का लगातार विरोध हो रहा था। प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली या फिर पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को टिकट दिए जाने की मांग की जा रही थी। इसी तरह उत्तर पश्चिमी सीट से उदित राज की जगह भी पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान या फिर पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार को टिकट दिए जाने की सिफारिश स्क्रीनिंग कमेटी ने की थी।जेपी अग्रवाल पर बनी सभी की सहमति
चांदनी चौक से जेपी अग्रवाल की मांग चौतरफा थी, उनको टिकट दिए जाने के बाद प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने संतुष्टि जताते हुए कहा कि सिर्फ एक मात्र जेपी अग्रवाल का टिकट ही सही मायने में सही है, बाकी तो बस पार्टी का भगवान मालिक है।प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसियों का कहना है कि दिल्ली में पार्टी वैसे ही हाशिए पर खड़ी है, ऐसे में स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश को दरकिनार किया जाना संगठन के हित में बिल्कुल नहीं है।
बाहरी नेताओं को टिकट देने पर खासा गुस्सा
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस लगातार इस बात की मांग उठा रहा था कि दोनों जगहों से स्थानीय नेता को टिकट दिया जाए, लेकिन पार्टी आलाकमान ने उनकी बातों को दरकिनार कर दिया। कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर खासा गुस्सा है। कांग्रेसी कार्यकर्ता पहले ही बाहरी लोगों को चुनाव लड़ाने के पक्ष में नहीं थे और लगातार चेतावनी दे रहे थे कि उनको टेबल लगाने वाले भी पूरे नहीं मिलेंगे।
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