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Delhi Stubble Smoke: चार साल में 50 प्रतिशत घटी पराली, लेकिन समस्या बरकरार; हरियाणा-पंजाब में अब भी जल रही

Delhi Stubble Smoke दिल्ली में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले चार सालों में 50 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है। 2020 में 87 हजार से ज्यादा घटनाएं दर्ज की गई थीं जबकि 2023 में यह संख्या घटकर 39 हजार हो गई। हालांकि हरियाणा और पंजाब के कुछ जिले अभी भी नियंत्रण से बाहर हैं। सीएक्यूएम इन जिलों पर विशेष निगरानी रख रहा है।

By Jagran News Edited By: Geetarjun Updated: Thu, 26 Sep 2024 01:07 AM (IST)
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चार साल में 50 प्रतिशत घटी पराली, लेकिन समस्या बरकरार।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। बेशक पराली का धुआं एक बार फिर दिल्ली वासियों के लिए आफत बनने जा रहा हो, लेकिन पिछले चार वर्षों के दौरान पराली जलाने की घटनाएं काफी कम हुई हैं। हां, इतना जरूर है कि हरियाणा एवं पंजाब के कुछ जिले इस संदर्भ में अभी भी नियंत्रण से बाहर हैं।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के मुताबिक वर्ष 2020 में पराली जलाने की कुल 87 हजार 632 घटनाएं दर्ज की गई थीं। इसकी तुलना में वर्ष 2023 में 39 हजार 186 घटनाएं रिकार्ड की गई। यानी पिछले चार सालों के दौरान पचास प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है।

2022 की तुलना में वर्ष 2023 में पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 27 प्रतिशत जबकि हरियाणा में 37 प्रतिशत तक की कमी आई थी।

सीएक्यूएम के अनुसार, वर्ष 2022 की तुलना में पंजाब के तीन और हरियाणा के पांच जिले ऐसे भी रहे थे, जहां वर्ष 2023 में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी थीं। इनमें पंजाब के अमृतसर, सास नगर और पठानकोट जिले जबकि हरियाणा के रोहतक, भिवानी, फरीदाबाद, झज्झर और पलवल का नाम शामिल है।

इन आठों जिलों पर पराली जलाने की घटनाओं की रोकथाम इस बार भी चुनौती हो सकती है। सीएक्यूएम सूत्रों के मुताबिक इसके चलते इन आठों जिलों पर इस बार विशेष निगरानी बरती जा रही है। यहां पर लोगों को जागरुक करने, पराली प्रबंधन के अन्य तरीके बताने के साथ-साथ बाध्यकारी कदम भी उठाने की तैयारी है।

15 अक्टूबर से 25 नवंबर के बीच जलती सर्वाधिक पराली

यूं तो पंजाब और हरियाणा के खेतों में धान की कटाई के बाद ही कृषि अवशेष जलाने लगते हैं, लेकिन 15 सितंबर के बाद इसमें तेजी आने लगती है। हालांकि 15 अक्टूबर से 25 नवंबर तक पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं होती हैं। इसी दौरान दीपावली का पर्व भी आता है और हवा की गति बहुत धीमी होती है। पराली और दीवाली का धुआं मिलकर प्रदूषण की स्थिति को खतरनाक बना देते हैं।

2020 से 2023 के दौरान पराली जलाने के आंकड़े

वर्ष 2020- 87,632

वर्ष 2021- 78,550

वर्ष 2022- 53,792

वर्ष 2023- 39,186