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दिल्ली की सीमा सील... आसपास के रास्ते बंद, पुलिस बल की बढ़ती तादाद; टीकरी बॉर्डर पर 3 साल पहले जैसे हालात

Farmers Protest किसानों के दिल्ली कूच के एलान के बाद टीकरी बॉर्डर पर घड़ी की सूइयों के आगे बढ़ने के साथ ही हालात तेजी से बदल रहे हैं। वाहनों के तेज शोर के बजाय अब यहां पुलिस की उदघोषणा सुनाई देती है। आलम यह है कि इलाके के अधिकांश लोग वर्तमान स्थिति के प्रति शंका का भाव रखने लगे हैं।

By Gautam Kumar Mishra Edited By: Shyamji Tiwari Updated: Wed, 14 Feb 2024 08:01 PM (IST)
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टीकरी बार्डर पर 3 साल पहले जैसे हालात
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। सुरक्षाकर्मियों की भारी उपस्थिति व पुलिस के व्यापक बंदोबस्त के बीच टीकरी बॉर्डर के हालात अब तीन वर्ष पूर्व बनी स्थिति की लोगों को याद दिलाने लगे हैं। पूर्व में किसानों की दस्तक के बाद बॉर्डर पर पहले वाहनों की फिर लोगों की आवाजाही बंद की गई थी, लेकिन अबकि बार किसान यहां पहुंचे, इसके पहले ही वाहनों के लिए बार्डर को बंद कर दिया गया है।

पुलिस बलों की बढ़ाई जा रही तादाद

पैदल यात्रियों के लिए बैरिकेड्स की आड़ी तिरछी कतार के बीच एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाना टेड़ी खीर है। किसानों के दिल्ली कूच के एलान के बाद टीकरी बॉर्डर पर घड़ी की सूइयों के आगे बढ़ने के साथ ही हालात तेजी से बदल रहे हैं। पुलिस व अर्धसैनिक बलों की तादाद धीरे-धीरे यहां बढ़ाई जा रही है। सड़क पर अब सामान्य वाहनों के बजाय पुलिस के वाहन अधिक नजर आते हैं।

वाहनों के तेज शोर के बजाय अब यहां पुलिस की उदघोषणा सुनाई देती है। यह उदघोषणा भले ही पुलिस द्वारा पुलिसकर्मियों के लिए की जा रही है, लेकिन आसपास लोग इसे ध्यान से सुनते नजर आते हैं, उन्हें लगता है कि शायद इस उदघोषणा में क्षेत्र के नागरिकों के लिए कोई निर्देश दिए जाएं। आलम यह है कि इलाके के अधिकांश लोग वर्तमान स्थिति के प्रति शंका का भाव रखने लगे हैं।

जबरदस्त बैरिकेडिंग

बॉर्डर पर पुलिस ने जबरदस्त बैरिकेडिंग की है। यह बैरिकेडिंग बॉर्डर के दोनों ओर दिखाई देता है। कुल पांच स्तरों पर बैरिकेडिंग है। बॉर्डर के दोनों ओर दो-दो स्तरों पर 150-150 मीटर की दूरी पर बैरिकेडिंग हैं। वहीं मुख्य बैरिकेडिंग बॉर्डर पर है। यहां लोहे के बैरिकेड के साथ ही कंटेनर, कंक्रीट के ब्लॉक, जर्सी बैरिकेड व जर्जर वाहनों की कतार खड़ी की गई है।

मुख्य सड़क हुई बंद

मुख्य सड़क बंद होने से बॉर्डर के आरपार जाने के लिए लोग जुगाड़ का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे लोग जिन्हें इलाके के भूगोल की जानकारी है, वे पगडंडियों का इस्तेमाल कर बॉर्डर पार कर रहे हैं, जिन्हें इलाके के भूगोल की जानकारी नहीं है, वे सड़क किनारे चारदीवारी के टूटे हिस्से में प्रवेश कर एक हिस्से से दूसरे हिस्से जाने के लिए रास्ता ढूंढते नजर आते हैं।

टीकरी गांव के लोगों की बढ़ी परेशानी

बॉर्डर का सबसे नजदीकी गांव टीकरी कलां है। यहां के निवासियों का कहना है कि उनका नजदीकी बाजार दिल्ली नहीं, बल्कि बहादुरगढ़ है। बच्चों का स्कूल हो उपचार के लिए अस्पताल, इनका रोजाना बहादुरगढ़ आना जाना होता है। गांव के कई लोग बहादुरगढ़ में रहते हैं। अधिकांश अपने वाहनों से बॉर्डर पार करते थे, लेकिन अब वे ऐसा नहीं कर पाएंगे।

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बदली हुई स्थिति में सबसे अधिक परेशानी बच्चों को स्कूल ले जाने व वहां से वापस लाने की है। यदि अपने वाहन का इस्तेमाल कर बॉर्डर के आरपार किया जाए तो पांच मिनट के बजाय 50 मिनट भी लग सकते हैं। इसी तरह शादीब्याह व अन्य समारोह जिन्हें बहादुरगढ़ जाना है, वे कैसे जाएं, यह भी एक समस्या है।

मेट्रो का सहारा

तेजी से बदल रहे हालात में टीकरी बॉर्डर के आसपास रहने वाले लोगों के लिए दिल्ली मेट्रो की ग्रीन लाइन एक बड़ा सहारा है। इस लाइन पर अब पहले के मुकाबले यात्रियों की दो से तीन गुना अधिक भीड़ नजर आती है।

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