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Delhi Air Pollution: दस में आठ बच्चों को बीमार बना रही है दिल्ली की जहरीली हवा, फेफड़ों पर पड़ रहा असर

Delhi Air Quality Index सफर इंडिया एयर क्वालिटी सर्विस के मुताबिक आज बुधवार की सुबह सात बजे के आस-पास दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 373 दर्ज किया गया है। यह बेहद खराब श्रेणी में आता है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariPublished: Wed, 02 Nov 2022 11:54 AM (IST)Updated: Wed, 02 Nov 2022 11:54 AM (IST)
Delhi Air Pollution: दस में आठ बच्चों को बीमार बना रही है दिल्ली की जहरीली हवा

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर की आवो-हवा कितनी खराब हो चुकी है इसका अंदाजा अस्पतालों में पहुंच रहे मरीजों को देखकर लगाया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, राजधानी क्षेत्र में प्रत्येक दस में आठ बच्चे सांस से जुड़ी समस्या से जूझ रहा है।

बच्चों को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत

हवा की गुणवत्ता का स्तर में लगातार खराब बना हुआ है। बुधवार सुबह सात बजे के करीब दिल्ली का औसत एक्यूआई 373 दर्ज किया गया है। वहीं इससे पहले मंगलवार सुबह तक वायु गुणवत्ता सूचकांक 385 मापा गया। मालवीय नगर स्थित रेनबो चिल्ड्रेन हास्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिक्स डा अनामिका दुबे के अनुसार, इस मौसम में ओपीडी में आने वाले बच्चों में दस में से आठ ऐसे हैं जिन्हें सर्दी, खांसी और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत है।

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प्रदूषण के कारण हवा में बढ़ी जहरीली गैसें

इसके अलावा छोटे बच्चे भी है जो बोल नहीं पाते है लेकिन उनमें भी इस तरह की काफी समस्या है। डा आगे बताती हैं कि प्रदूषण के कारण हवा में जहरीली गैसों बढ़ गई है, जो नवजात व बच्चों के फेफड़ों पर असर डाल रहे हैं। आम तौर पर छोटे बच्चे में सर्दी-खासी जैसे फ्लू के लक्षण दिखाई देते है। जबकि कुछ रोगियों को सांस लेने में तकलीफ हो जाती है।

जिन्हें हम दवाओं के साथ-साथ नेब्युलाइजर देते है। आज-कल सांस संबंधी समस्या आम हो गई है और ये सब हानिकारक गैसों की वजह से है। इसका सीधा असर बच्चे की सांस और फेफड़ों की स्थिति पर पड़ता है। तीन वर्गों में बाटें जा रहे मरीजडा दुबे बताती हैं फिलहाल जो मरीज आ रहे है उन्हें हम तीन वर्ग हल्के, मध्यम और गंभीर के रूप में वर्गीकृत करते हैं।

इनमें हल्के रोगियों का इलाज घर पर किया जाता है और मध्यम से गंभीर रोगियों का अस्पताल में इलाज किया जाता है। हम उन्हें एंटीबायोटिक्स नहीं देते हैं। हम उन्हें एंटी-एलर्जी, नेब्युलाइज़र, आदि के माध्यम से उपचार देते है।

मास्क का करें इस्तेमाल

डा अनामिका दुबे ने इन समस्याओं से बचने के लिए सभी से मास्क पहनने व हाथों को बार-बार धोने को कहा है। उन्होंने बताया कि अस्थमा ग्रसित बच्चों के लिए वायु प्रदूषण से उनकी समस्या और बढ़ जाती है। इसके अलावा ब्रोंकाइटिस यानि एलर्जी के मरीज में दूसरों की तुलना में अधिक प्रभावित होते हैं।

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