पुराने वाहनों को इलेक्ट्रिक में कैसे बदलें? लोगों का सरकार से सवाल, दिल्ली में 5 साल बाद भी नहीं शुरू हुई व्यवस्था
दिल्ली परिवहन विभाग ने पुराने वाहनों का पंजीकरण रद्द कर दिया है लेकिन लोगों के पास अपने पुराने वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने का कोई विकल्प नहीं है। विभाग ने 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने का विकल्प दिया था लेकिन पांच साल बाद भी कोई व्यवस्था नहीं है। लोग पूछ रहे हैं वे पुराने वाहनों में इलेक्ट्रिक किट कहां लगवाएं।
वीके शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली परिवहन विभाग (Delhi Transport Department) ने उम्र पूरी कर चुके 59 लाख पुराने वाहनों का पंजीकरण निरस्त कर दिया है। मगर विभाग ऐसी कोई व्यवस्था नहीं खड़ी कर सका है कि लोग अपने पुराने वाहन को इलेक्ट्रिक में बदल सकें।
हालांकि कहने के लिए विभाग ने 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल इन वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने का एक विकल्प जनता को दे दिया है, मगर पांच साल बाद भी विभाग जहां का तहां खड़ा है।
अधिकारी नहीं दे रहे जवाब
लोग पूछ रहे हैं अपने पुराने वाहन में इलेक्ट्रिक किट कहां लगवाएं। परिवहन विभाग के अधिकारी इस बारे में कोई ठोस जवाब नहीं दे रहे हैं। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कारों में इलेक्ट्रिक किट लगवाने की प्रक्रिया बहुत महंगी है और कार में इलेक्ट्रिक किट लगवाने के लिए कम से कम छह लाख का खर्च आता है।सफलता पर संशय
उन्होंने कहा कि अभी तक किसी अन्य राज्य में भी यह व्यवस्था शुरू नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि इसकी सफलता पर संशय है। इसलिए यह स्कीम आगे नहीं बढ़ सकी है। उन्होने कहा कि दो पहिया में इस पर विचार किया जा सकता है। मगर यह नीतिगत मामला है।
परिवहन विभाग को मिला था कंपनियों का साथ
इस स्कीम की बात करें तो इसे लेकर परिवहन विभाग ने 2019 में बैठक बुलाई थी और इस मुद्दे पर उनकी राय ली थी। उस समय करीब 11 कंपनियों ने इस मुद्दे पर अपनी सहमति जताते हुए आगे आने की बात कही थी। परिवहन विभाग ने इलेक्ट्रिक किट लगाने वाली इन कंपनियां का पैनल बना दिया था।ट्रायल सफल रहा
कंपनियों ने दावा किया था कि उन्होंने कारों और दोपहिया में इसका ट्रायल किया है जो सफल रहा है। विभाग के अधिकारी ने कहा है कि इस प्रयोग को लेकर सकारात्मक सोचने की जरूरत है। कुछ समय की बात है कि हम कारों को डीजल से इलेक्ट्रिक में करवाना शुरू करवा देंगे।
इसके लिए 11 कंपनियों का पैनल बनाया गया था। कहा गया था कि उनसे संपर्क कर जानकारी ली जा सकती है। मगर योजना आगे नहीं बढ़ सकी है।
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