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पुराने वाहनों को इलेक्ट्रिक में कैसे बदलें? लोगों का सरकार से सवाल, दिल्ली में 5 साल बाद भी नहीं शुरू हुई व्यवस्था

दिल्ली परिवहन विभाग ने पुराने वाहनों का पंजीकरण रद्द कर दिया है लेकिन लोगों के पास अपने पुराने वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने का कोई विकल्प नहीं है। विभाग ने 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने का विकल्प दिया था लेकिन पांच साल बाद भी कोई व्यवस्था नहीं है। लोग पूछ रहे हैं वे पुराने वाहनों में इलेक्ट्रिक किट कहां लगवाएं।

By V K Shukla Edited By: Geetarjun Updated: Mon, 11 Nov 2024 09:53 PM (IST)
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लोग पूछ रहे कहां लगवाएं पुराने वाहन में इलेक्ट्रिक किट।
वीके शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली परिवहन विभाग (Delhi Transport Department) ने उम्र पूरी कर चुके 59 लाख पुराने वाहनों का पंजीकरण निरस्त कर दिया है। मगर विभाग ऐसी कोई व्यवस्था नहीं खड़ी कर सका है कि लोग अपने पुराने वाहन को इलेक्ट्रिक में बदल सकें।

हालांकि कहने के लिए विभाग ने 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल इन वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने का एक विकल्प जनता को दे दिया है, मगर पांच साल बाद भी विभाग जहां का तहां खड़ा है।

अधिकारी नहीं दे रहे जवाब

लोग पूछ रहे हैं अपने पुराने वाहन में इलेक्ट्रिक किट कहां लगवाएं। परिवहन विभाग के अधिकारी इस बारे में कोई ठोस जवाब नहीं दे रहे हैं। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कारों में इलेक्ट्रिक किट लगवाने की प्रक्रिया बहुत महंगी है और कार में इलेक्ट्रिक किट लगवाने के लिए कम से कम छह लाख का खर्च आता है।

सफलता पर संशय

उन्होंने कहा कि अभी तक किसी अन्य राज्य में भी यह व्यवस्था शुरू नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि इसकी सफलता पर संशय है। इसलिए यह स्कीम आगे नहीं बढ़ सकी है। उन्होने कहा कि दो पहिया में इस पर विचार किया जा सकता है। मगर यह नीतिगत मामला है।

परिवहन विभाग को मिला था कंपनियों का साथ

इस स्कीम की बात करें तो इसे लेकर परिवहन विभाग ने 2019 में बैठक बुलाई थी और इस मुद्दे पर उनकी राय ली थी। उस समय करीब 11 कंपनियों ने इस मुद्दे पर अपनी सहमति जताते हुए आगे आने की बात कही थी। परिवहन विभाग ने इलेक्ट्रिक किट लगाने वाली इन कंपनियां का पैनल बना दिया था।

ट्रायल सफल रहा

कंपनियों ने दावा किया था कि उन्होंने कारों और दोपहिया में इसका ट्रायल किया है जो सफल रहा है। विभाग के अधिकारी ने कहा है कि इस प्रयोग को लेकर सकारात्मक सोचने की जरूरत है। कुछ समय की बात है कि हम कारों को डीजल से इलेक्ट्रिक में करवाना शुरू करवा देंगे।

इसके लिए 11 कंपनियों का पैनल बनाया गया था। कहा गया था कि उनसे संपर्क कर जानकारी ली जा सकती है। मगर योजना आगे नहीं बढ़ सकी है।

बंगलुरू की कंपनी स्कूटर में लगाएगी बैटरी

बंगलुरु की कंपनी ग्रीन टाइगर ने स्कूटर को इलेक्ट्रिक में बदलने का प्रमाणपत्र हासिल किया है। कंपनी बंगलुरु में काम कर रही है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष दोकनिया ने कहा कि हम दिल्ली में काम करने के लिए तैयार हैं।

पुराने वाहनों के लिए टैक्स में दे छूट

उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले दिल्ली सरकार के साथ हुई बातचीत में हमने सुझाव दिया है कि जिस तरह से सरकार नए इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स में छूट दे रही है, इसी तरह पुराने वाहनों को भी इलेक्ट्रिक में बदलने पर पंजीकरण व टैक्स में छूट दे। उन्होंने कहा कि पुराने दो पहिया वाहन को स्क्रैप कराने और नए दो पहिया खरीदने पर नीति में सब्सिडी देने का प्रविधान किया है, जो कुल मिलाकर 13 हजार बैठता है।

उन्होंने कहा कि अगर सरकार 13 हजार की जगह दो पहिया स्कूटर या स्कूटी में इलेक्ट्रिक लगवाने पर अगर 10 हजार सब्सिडी दे देती है तो यह किट 20 हजार के करीब लोगों को पड़ेगी। उन्होंने कहा कि हम यह स्कीम देने को भी तैयार हैं कि इस 20 हजार में से आधे पैसे देने के बाद इसे किस्त पर दे दिया जाएगा।

यानी 10 हजार में ही लोग अपने दो पहिया को इलेक्ट्रिक किट में बदल सकेंगे। जिसकी लाइफ कम से कम 15 साल मानी गई है। यानी बहुत कम पैसे में उसे एक नई तरह की स्कूटी मिल जाएगी।

तिपहिया को इलेक्ट्रिक में बदलने का काम कर रहे हैदराबाद की कंपनी जीरो-21 के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रानी श्रीनिवासन ने कहा कि दिल्ली परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ लंबे समय से बात कर रहे थे, मगर कहीं कुछ होता दिख नहीं रहा है तो अब कुछ माह से बात नहीं हुई है।

वह कहते हैं कि उनकी कंपनी डीजल, पेट्रोल और सीएनजी के तिपहिया को साढे़ चार घंटे में इलेक्ट्रिक में बदल देती है। परिणाम बेहतर आ रहे हैं। तीन से लेकर चार रुपये एक किलोमीटर चलने वाला तिपहिया अब 75 पैसे प्रति किलोमीटर के खर्च पर चल रहा है।उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को इस मामले में सब्सिडी देनी चाहिए।

पुणे में छोटा हाथी में इलेक्ट्रिक किट लगाने के कार्य के विशेषज्ञ राहुल चंदवानी कहते हैं कि इस बारे में हम लोग दिल्ली परिवहन विभाग से लगातार संपर्क कर रहे थे। मगर दिल्ली परिवहन विभाग से कोई रिस्पांस नहीं मिला तो हम लोगों ने संपर्क करना बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह कार्य जितना आसान दिख रहा है, यह उतना आसान नहीं है।पहले तो वाहन का पूरा सिस्टम बदलना पड़ेगा।

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