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DU छात्र संघ चुनाव में संगठनों से झोंकी ताकत, प्रचार में खर्च हो रहे करोड़ों; नियमों का भी हो रहा उल्लंघन

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव (DUSU Election) में प्रचार तेज हो गया है। इसी क्रम में लिंगदोह कमेटी द्वारा तय अधिकतम पांच हजार रुपये की खर्च सीमा से कहीं अधिक एक दिन में गाड़ियों में पेट्रोल भराने में खर्च हो जा रहा है। इसके साथ ही सड़क से इंटरनेट मीडिया तक प्रचार में चुनाव प्रबंधन का खर्च करोड़ों में पहुंच रहा है।

By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Mon, 18 Sep 2023 01:59 AM (IST)
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नई दिल्ली-डूसू चुनाव के लिए नार्थ कैंपस में चुनाव प्रचार के दौरान कारों के काफिले से पर्चे उड़ाते हुए छात्र।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव (DUSU Election) में प्रचार तेज हो गया है। इसी क्रम में लिंगदोह कमेटी द्वारा तय अधिकतम पांच हजार रुपये की खर्च सीमा से कहीं अधिक एक दिन में गाड़ियों में पेट्रोल भराने में खर्च हो जा रहा है। इसके साथ ही सड़क से इंटरनेट मीडिया तक प्रचार में चुनाव प्रबंधन का खर्च करोड़ों में पहुंच रहा है।

छात्र संगठनों का कहना है कि जब यह नियम तय किए गए थे तब और अब की महंगाई में बड़ा अंतर आ गया है। इस वजह से पहले के मुकाबले खर्च कई गुना बढ़ गया है।

छात्र संगठनों ने चुनाव प्रचार में झोंकी ताकत

डूसू चुनाव में छात्र संगठनों ने चुनाव प्रचार में सारी ताकत झोंक दी है। सारा खेल पैसों का है। पम्फलेट छपवाने, संपर्क करने, इंटरनेट मीडिया पर प्रचार के लिए टीम लगाने में उम्मीदवार और संगठन के लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं। छात्र संघ के नेताओं का कहना है कि खर्च की बड़ी वजह 52 कालेजों में चुनाव प्रचार में दूरी बन रही है।

इसमें कई कॉलेज नार्थ कैंपस के अलावा दक्षिण, पूर्व और पश्चिमी दिल्ली में स्थित हैं। यहां उम्मीदवारों का दौरा होता है। उनके काफिले में पांच से दस गाड़ियों में छात्र कार्यकर्ता रहते हैं। इस दौरान गाड़ियों में पेट्रोल के अलावा कार्यकर्ताओं के खाने पीने का इंतजाम भी होता है।

रात-दिन एक ही जगह रहते हैं छात्र

चूंकि चुनाव की तारीख काफी नजदीक है तो अधिकांश छात्र रात-दिन एक जगह ही रहते हैं। इनके रहने खाने आदि के सभी इंतजाम संगठन के द्वारा ही किया जाता है। पूरे खर्च की बात करें तो यह करीब दो से ढ़ाई करोड़ तक पहुंच रहा है।

जगह-जगह बिखरे पम्फलेट

इसी क्रम में लिंगदोह कमेटी की अन्य सिफारिशों की भी धज्जियां उड़ रही हैं। ऐसा न सिर्फ खर्च सीमा के लिहाज से बल्कि होर्डिंग और छपी सामग्री का वितरण करने पर भी है। विश्वविद्यालय की सड़कों पर जगह-जगह पम्फलेट बिखरे नजर आते हैं। दीवारों पर उम्मीदवारों के पोस्टर चिपके हैं।

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इसमें पांच हजार अधिकतम खर्च की तय सीमा से निपटने के लिए उम्मीदवार अन्य छात्रों के नामों का सहारा ले रहे हैं। जिससे उनकी खर्च की सीमा का उल्लंघन न हो। लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक पम्फलेट भी हाथ से लिखे हुए होने चाहिए। लेकिन तमाम छात्र संगठनों ने पम्फलेट छपवाने में ऐसे फांट का उपयोग किया है, जिसे देखने में लगे की यह हाथ से लिखे हुए हैं।

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छात्र संगठनों का कहना है कि उनकी मंशा लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का उल्लंघन करना नहीं है। वे चाहते हैं कि खर्च सीमा को बढ़ाया जाए। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि जब कमेटी की सिफारिशों को लागू किया था तब और अब की महंगाई में काफी बड़ा अंतर आ गया है। इसलिए खर्च की सीमा बढ़ाना जरूरी है।

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