दिल्ली यूनिवर्सिटी ने विरोध के बाद अपना बड़ा आदेश लिया वापस, हजारों शिक्षकों को मिली राहत
दिल्ली विश्वविद्यालय को विरोध के बाद प्रोफेसरों के वर्कलोड बढ़ाने संबंधी आदेश को वापस लेना पड़ा। शिक्षकों ने यूजीसी के नियमों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए विरोध किया था। डीयू ने कहा था कि कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की तरह एसोसिएट और प्रोफेसर को सप्ताह में 16 घंटे कक्षाएं लेनी होंगी। इस आदेश का शिक्षकों ने जमकर विरोध किया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने मंगलवार को जारी प्रोफेसरों के वर्कलोड बढ़ाने के आदेश को शाम को ही वापस ले लिया। शिक्षक आदेश के विरोध में उतर आए थे। शिक्षकों ने कहा कि डीयू का आदेश विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों की अनदेखी करता है। इसके बाद शाम होते-होते आदेश वापस हो गया।
असिस्टेंट प्रोफेसर को हफ्ते में लेनी होती हैं 16 घंटे कक्षाएं
यूजीसी के नियम के अनुसार, असिस्टेंट प्रोफेसर को हफ्ते में 16 घंटे और एसोसिएट व प्रोफेसर को 14 घंटे कक्षाएं लेनी होती हैं। डीयू ने आदेश में कहा था कि कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की तरह एसोसिएट और प्रोफेसर को सप्ताह में 16 घंटे कक्षाएं लेनी होंगी।
डीयू ने कहा कि करियर एडवांस स्कीम (सीएएस) के तहत शिक्षकों की असिस्टेंट से एसोसिएट और फिर प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति होती है। उनके अध्यापन के घंटे असिस्टेंट प्रोफेसर की तरह होने चाहिए। सीधे एसोसिएट या प्रोफेसर नियुक्त होने वालों पर यह लागू नहीं होगा।
एसोसिएट और प्रोफेसर के लिए कम होते हैं अध्यापन के घंटे
डीयू के आदेश पर डेमोक्रेटिक टीचर फ्रंट (डीटीएफ) की सचिव प्रो. आभा देव हबीब ने कहा कि एसोसिएट और प्रोफेसर को पढ़ाई के अलावा प्रशासनिक और शोध कार्य होता है, इसलिए उनके अध्यापन के घंटे कम होते हैं। कोई कम काम नहीं करता है।
उन्होंने कहा कि यूजीसी विनियम 2018 (और उससे पहले, 2010) ऐसा अंतर नहीं करता है। यह उन लोगों के बीच भेदभाव नहीं करता है, जो सीधे प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में भर्ती होते हैं और जो पदोन्नत होते हैं।
'नीतिगत रूप से सही नहीं था डीयू का आदेश'
विनियमों के अनुसार, प्रोफेसर-एसोसिएट प्रोफेसर के लिए प्रत्यक्ष शिक्षण घंटे 14 और सहायक प्रोफेसर के लिए 16 हैं, यही रहना चाहिए।
इंडियन नेशनल टीचर कांग्रेस (इंटेक) के चेयरमैन प्रो. पंकज गर्ग ने कहा, डीयू का आदेश नीतिगत रूप से सही नहीं था और इसलिए उसे वापस लिया गया है। ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू होने के बाद शिक्षकों की सीटें बढ़ाई नहीं गई हैं और वर्कलोड बढ़ाकर डीयू प्रशासन कम शिक्षकों में काम चलाना चाहता था, ताकि अतिरिक्त शिक्षकों की मांग न मानी जाए।
एनडीटीएफ ने 12 कॉलेजों की स्थिति पर जताई चिंता
नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) के महासचिव प्रो. वीएस नेगी ने कहा कि दिल्ली सरकार की स्व वित्तपोषित नीति से डीयू के 12 कॉलेजों में शिक्षकों व सुविधाओं की भारी कमी हो गई है। कई कक्षाओं में अध्यापन के लिए स्थायी शिक्षक नहीं हैं, लैब नहीं हैं।
स्कूल भवन में चल रहे कुछ कॉलेज नए भवनों की बाट जोह रहे हैं, तो जिन कॉलेजों को नए भवनों में स्थानांतरित किया गया हैं, वो सालों से रखरखाव के लिए नियमित अनुदान के अभाव में खस्ताहाल हैं। एनडीटीएफ ने दिल्ली सरकार के इन कॉलेजों के लिए जारी 100 करोड़ का अनुदान अपर्याप्त बताया।