Heroes of Delhi Violence: जान बचाने के लिए मां ने कलेजे के टुकड़े को छत से नीचे फेंका
Heroes of Delhi Violenceपीड़िता ने बताया कि वह बगल वाली इमारत पर कूदी और पीछे के रास्ते से बाहर निकली। उन्होंने कहा मुझे घर छोड़ भागना पड़ा। इसे शब्दों में बयान करना संभव नहीं।
By Prateek KumarEdited By: Updated: Fri, 28 Feb 2020 12:11 PM (IST)
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। Heroes of Delhi Violence: 24 फरवरी की दोपहर हमारे सामने मौत का खुला खेल चल रहा था। सामने से पेट्रोल बम फेंके जा रहे थे। घर की पहली मंजिल से मैं अपने घर को जलता हुआ देख रही थी। मेरे पति और दो बच्चे घर पर थे और उपद्रवियों ने मेरे घर को सामने से घेर लिया था। नीचे फेंके गए पेट्रोल बम से घर में आग लग गई और बाइक जलने लगी। एसी में आग लगने के कारण आग की लपटें घर के अंदर आ रही थीं।
दहशत के माहौल में समझ नहीं आ रहा था कुछदहशत के माहौल में कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। कुछ पल को लगा मौत हमारे सामने खड़ी है। मैं अपने घर के पीछे की तरफ पहुंची तो वहां गली में नीचे मोहल्ले के लोग खड़े थे। कलेजे के टुकड़ों की जान बचाने के लिए मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने 9 वर्षीय संयम और 5 वर्षीय विहान को पहली मंजिल से नीचे फेंक दिया। लोगों ने उन्हें नीचे पकड़ लिया और उनकी जान बच गई। यह खौफनाक मंजर बयां करते हुए यमुना विहार बी-ब्लॉक निवासी प्रीति अब भी सिहर जाती हैं। उनकी आंखों में मौत का खौफ दिखाई देता है और गला रुंध जाता है।
शब्दों में बयां करना मुश्किल
वह आगे बताती हैं कि बच्चों को सही सलामत नीचे उतारने के बाद वह अपने पति दीपक गुप्ता के साथ दूसरे मंजिल से बगल वाली इमारत पर कूदीं और उनके पीछे के रास्ते से बाहर निकलीं। मुझे घर छोड़कर भागना पड़ा। जो कुछ हुआ वह शब्दों में बयान करना संभव नहीं है। सुबह से सैकड़ों की संख्या में दंगाई भीड़ जमा थी, लेकिन वहां गिनती के चार-पांच पुलिसकर्मी तैनात थे। जब उपद्रवी सड़कों पर तोड़फोड़ और आगजनी करने लगे तो पुलिसकर्मी भी वहां से भाग गए। 9 वर्षीय संयम ने बताया कि वह बहुत डर गया था। इससे पहले उसने ऐसा माहौल कभी नहीं देखा। उस रात वह सो नहीं पाया था
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